नई दिल्ली (एजेंसी)। मोदी सरकार 3.0 के पहले आम बजट से सभी वर्ग के लोगों को खासी उम्मीदें हैं। निम्न और मध्यवर्ग को सरकार महत्वाकांक्षी योजनाओं के जरिए विशेष लाभ दे सकती है। नौकरीपेशा लोगों के लिए भी आयकर छूट सीमा बढ़ाए जाने और स्लैब में परिवर्तन किए जाने की चर्चाएं हैं। बदले हुए समीकरणों के बीच सरकार के लिए यह बजट सहयोगी दलों के अपने रा’यों की मांगों के चलते चुनौतियों से भरा भी है। केंद्र सरकार पर हर वर्ग की झोली में कुछ न कुछ डालने का दबाव है। चूंकि चार रा’यों के चुनाव सामने हैं, ऐेसे में बजट पर इन रा’यों के लोगों की भी उम्मीदें टिकी हैं। राजनीतिक रूप से सरकार को मतदाताओं को साधने की भी कवायद करनी पड़ रही है। इसलिए 23 जुलाई को आम बजट में कुछ बड़ी घोषणाएं हो सकती हैं।
कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार आयकर छूट सीमा में बदलाव करेगी। इससे मध्यवर्ग और नौकरीपेशा लोगों को खासा लाभ होगा। साथ ही न्यू पेंशन स्कीम को ‘यादा आकर्षक बनाया जा सकता है, जिसको लेकर अभी तक सरकारी कर्मचारी नाखुश हैं। वहीं, सरकार किसान सम्मान निधि सालाना 6,000 रुपए से बढ़ाकर 10-12 हजार रुपए कर सकती है। कृषि उत्पादों पर जीएसटी की दरों को कम करने का फैसला भी हो सकता है। इसके अलावा मनरेगा के तहत मजदूरी दिवस को 100 से बढ़ाकर 150 दिन किया जा सकता है। मनरेगा मजदूरों को कृषि क्षेत्र के साथ जोडऩे का फैसला भी लिया जा सकता है।
सरकार के ऊपर सबसे ‘यादा दबाव रोजगार के अवसर पैदा करने का है। इसलिए स्किल डेवलपमेंट और रोजगार पैदा करने वाले क्षेत्रों का बजट आवंटन बढऩे की संभावना है। अग्निवीर जैसी योजना में भी सैनिकों को ‘यादा वित्तीय लाभ देने का ऐलान किया जा सकता है। महिलाओं की बेहतरी के लिए रसोई गैस से लेकर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सब्सिडी दिया जा सकता है। महिलाओं को टैक्स छूट देने पर भी सरकार विचार कर सकती है, ये छूट काफी अलग हो सकते हैं और मैरिज, रोजगार की स्थिति और माता-पिता की जिम्मेदारियों जैसे कारकों पर निर्भर हो सकते हैं।
कम नहीं है चुनौतियां
यह एनडीए सरकार का पहला साझा बजट है। इसमें सरकार के सामने जेडीयू और टीडीपी की मांगों को पूरा करने की चुनौती है। दोनों ही पार्टियों ने बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए वित्तीय सहायता की मांग रखी है। वहीं, इस वर्ष के अंत तक झारखंड, महाराष्ट्र, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनाव होने हैं। इन रा’यों में युवा रोजगार तो महिलाएं महंगाई के मुद्दे पर सरकार से नाराज हैं। आम बजट के जरिए सरकार चुनावी समीकरणों को साधने की कोशिश करेगी। लोकसभा चुनाव में नतीजे भाजपा की उम्मीदों के अनुरूप न आने के पीछे एक वजह मध्यवर्ग का नाराज होना माना जा रहा है। इस बार के बजट में मध्यवर्ग के वोट बैंक को थामे रखने की चुनौती भी सरकार के ऊपर होगी। दूसरी ओर सरकार के प्रति युवाओं में नाराजगी की मुख्य वजह रोजगार के अवसर सीमित होने और अग्निवीर जैसी योजना को बताया जाता है। इस लिहाज से बजट में युवाओं को साधने की चुनौती भी होगी।
नई टैक्स रीजीम पर फोकस
आम जनता को इनकम टैक्स को लेकर कई उम्मीदें हैं। इस बार सबका फोकस टैक्स की नई रीजीम पर बना रहेगा। आम जनता टैक्स को लेकर कुछ राहतों की उम्मीद कर रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि सरकार स्टैंडर्ड डिडक्शन में वृद्धि कर सकती है। वर्तमान में स्टैंडर्ड डिडक्शन 50,000 रुपये हैं जिसे 1 लाख रुपये बढ़ाने की उम्मीद हैं। आखिरी बार साल 2019 में स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40,000 रुपये से 50,000 रुपये किया गया है। पिछले 5 सालों से इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है, जबकि इस बीच महंगाई काफी बढ़ गया है। आम आदमी को उम्मीद है कि बजट में उन्हें राहत मिलनी चाहिए। आम जनता को राहत देने के लिए सरकार को महंगाई और हेल्थकेयर के बढ़ते खर्च में कंट्रोल करना होगा। हेल्थकेयर के लिए सरकार को इनकम टैक्स के सेक्शन 80डी के तहत मिलने वाले टैक्स बेनिफिट को बढ़ाना होगा। अभी हेल्थ पॉलिसी प्रीमियम पर सीनियर सिटिजन को 50,000 रुपये का कर छूट मिलता है, जिसे 1 लाख रुपये तक बढ़ाने की उम्मीद की जा रही है। वहीं 60 साल से कम उम्र वालों के लिए कर छूट को 50,000 रुपये करना चाहिए जो अभी 25,000 रुपये है।
कैपिटल गेन्स टैक्स में मिले राहत
बजट 2023 में न्यू टैक्स रीजीम को डिफॉल्ट टैक्स रीजीम बनाया गया था। इसके बावजूद पिछले साल में हुए एक सर्वे के अनुसार अभी भी 80 फीसदी करदाता ओल्ड रीजीम का इस्तेमाल कर रहे हैं। क्योंकि, ओल्ड रीजीम वाले टैक्सपेयर्स की संख्या ‘यादा है तो उम्मीद है कि बजट में ओल्ड टैक्स रीजीम को लेकर कोई एलान हो सकता है। आम जनता को उम्मीद है कि सरकार ओल्ड टैक्स स्लैब में बदलाव करें और करदाताओं पर टैक्स का बोझ घटाएं। सीनियर सिटिजंस को उम्मीद है कि इस बजट में उनके लिए कैपिटल गेंस टैक्स में राहत दी जाएगी। वर्तमान में स्टॉक और म्यूचुअल फंड से 1 लाख रुपये तक की इनकम पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगाया जाता है। लेकिन, सीनियर सिटिजंस उम्मीद कर रहे हैं कि इस बजट में इसे 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये किया जाए।