सुकमा (Sukma)। छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से नक्सलियों को मुख्यधारा में वापस लाने के लिए चलाई जा रही पुनर्वास नीति व बस्तर में शुरू किए गए नियद नेल्लानार योजना का काफी लाभ मिल रहा है। सरकार की योजनाओं से प्रभावित होकर नक्सली हिंसा का मार्ग छोड़कर मुख्यधारा में जुड़ रहे हैं। इसी कड़ी में गुरुवार को सुकमा जिले (Sukma) में ओडिशा क्षेत्र में सक्रिय रहे 1 हार्डकोर इनामी नक्सली सहित 5 नक्सलियों ने सरेंडर किया है। सभी नक्सलियों ने सुकमा पुलिस अधीक्षक कार्यालय में हथियार डाला है। इनमें से एक पर पांच लाख रुपए का इनाम है।
सुकमा (Sukma) एसपी किरण चव्हाण ने बताया कि सरकार की पुनर्वास नीति और नियद नेल्लानार के तहत अभियान चलाकार ग्रामीणों तक सुविधाएं पहुंचाने का काम किया जा रहा है। इस बीच लगातार नक्सलियों से मुख्यधारा में जुटने की अपील की जा रही है। इसी से प्रभावित होकर छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य ओडिशा में सक्रिय रहे हार्डकोर इनामी नक्सली सहित 5 नक्सलियों ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय सुकमा में सरेंडर किया है। सरेंडर करने वाले नक्सलियों में सागर उर्फ दूधी कोसा, मुचाकी कोसा, महिला कोरसा हुंगी, महिला मड़कम लक्खे, मड़कम देवा शामिल हैं। सभी ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय सुकमा (Sukma) में अरविंद पी आनंद के समक्ष बिना हथियार के आत्मसमर्पण किया।
दूधी कोसा पर था पांच लाख का इनाम
सरेंडर माओवादी सागर उर्फ दूधी कोसा गालीकोंडा ओडिशा एरिया कमेटी कमांडर एसीएम के पद पर पदस्थ था. उसके ऊपर छत्तीसगढ़ सरकार ने 5 लाख रुपए का इनाम घोषित कर रखा था। वहीं, मुचाकी कोसा जीआरडी मिलिशिया डिप्टी कमांडर, कोरसा हूंगी आरपीसी सीएनएम सदस्य, मड़कम लक्खे एरिया कमेटी टेलर टीम सदस्य, मड़कम देवा गोमपाड़ आरपीसी जनताना सरकार अध्यक्ष के रूप में नक्सल संगठन में सक्रिय थे। सरेंडर नक्सली सागर साल 2007 में दंतेशपुरम में बाल संगम सदस्य के तौर पर शामिल हुआ। साल 2009 में दलम दल में शामिल हुआ। साल 2011 से साल 2015 तक कालीमेला एरिया कमेटी का सदस्य बना। वहीं, साल 2016 से अब तक गालीकोंडा एरिया कमेटी कमांडर के पद पर सक्रिय रहा। सरेंडर नक्सली सागर एसएलआर हथियार धारी था। उक्त सभी आत्मसमर्पित नक्सलियों को ‘छत्तीसगढ़ नक्सलवाद उन्मूलन एवं पुनर्वास नीति के तहत् सहायता राशि व अन्य सुविधायें प्रदाय कराये जायेंगे।
नक्सलियों ने किया शहीदी सप्ताह मनाने का एलान
सुकमा में नक्सलियों की दक्षिण सब जोनल के प्रवक्ता ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर 28 जुलाई से 3 अगस्त तक शहीदी सप्ताह मनाने का आह्वान किया है। वहीं प्रेस विज्ञप्ति में अब तक माओवादी संगठन को हुए नुकसान का जिक्र कर अलग-अलग मुठभेड़ों में मारे गए साथियों की जानकारी भी साझा की है। वहीं नक्सली हमले में बड़ी संख्या में जवानों को नुकसान पहुंचाने और सुरक्षा एजेंसीयों और सरकार द्वारा इसकी जानकारी छिपाने का दावा नक्सली संगठन ने किया है। नक्सलियों के शहीदी सप्ताह के ऐलान के बाद सुरक्षाबल भी अलर्ट हो गए हैं।