रायपुर (श्रीकंचनपथ न्यूज़)। प्रदेश की सत्ता में आने के बाद कांग्रेस में वर्चस्व की लड़ाई का नतीजा विधानसभा और लोकसभा चुनाव में करारी पराजय के रूप में सामने आया था। माना गया कि गुट विशेष को ज्यादा महत्व दिए जाने के चलते प्रदेश में कांग्रेस की बुरी गत बनी। अब इससे सबक लेते हुए प्रदेश संगठन में बड़ा फेरबदल करने की तैयारी है। खासतौर पर गुटीय संतुलन पर जोर दिया जाएगा। टीएस सिंहदेव और चरणदास महंत जैसे सीनियर नेताओं के समर्थकों को संगठन में महत्व मिलेगा, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कई समर्थकों की संगठन से छुट्टी हो सकती है। कहा जा रहा है कि नीचे से लेकर ऊपर तक के संगठन में जल्द ही बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। कांग्रेस की मंगलवार को हुई बैठक के बाद यह संकेत मिले हैं। हालांकि परिवर्तन की बातें लोकसभा चुनाव के बाद से ही चर्चा में रही है।
प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारियों, जिलाध्यक्षों के साथ ही विधायकों की मंगलवार को अहम् बैठक हुई। इस बैठक में पार्टी के भीतर वाद-विवाद और अंर्तकलह की बातें सामने आई। इससे पहले हाईकमान द्वारा गठित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के समक्ष भी यही यही सब हुआ था। इस कमेटी के दिल्ली लौटने के बाद छत्तीसगढ़ में दो दिवसीय समीक्षा बैठक तय की गई। इसी के तहत प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में मंगलवार को बैठक हुई। दोपहर में शुरू हुई इस बैठक में जिला कांग्रेस अध्यक्षों, विधायकों व अन्य जनप्रतिनिधियों से चुनावी पराजय के कारणों पर चर्चा की गई। हार की कई वजहों में कांग्रेस सरकार में हुए भ्रष्टाचार, जमीनी कार्यकर्ताओं की पूछपरख नहीं होने, उनका कोई काम नहीं होने के साथ ही सत्ता व संगठन में आपसी अंतर्कलह व वाद-विवाद को जिम्मेदार ठहराया गया।
पहले जिला फिर प्रदेश पदाधिकारियों से चर्चा
दोपहर 2 बजे शुरू हुई बैठक में पहले जिलाध्यक्षों से संवाद किया गया। बैठक की अध्यक्षता प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज ने की, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, उपाध्यक्ष गुरमुख सिंह होरा, अंबिका मरकाम व राज्यसभा सांसद फूलोदेवी नेताम समेत अन्य नेता शामिल हुए। जिलाध्यक्षों से सवाल-जवाब का लम्बा दौर चला। इसके बाद प्रदेश पदाधिकारियों से चर्चा की गई। गौरतलब है कि दिल्ली से लौटने के बाद पीसीसी चीफ दीपक बैज ने संगठन में बदलाव के संकेत दिए थे। माना जा रहा है कि जिले से लेकर प्रदेश संगठन में जल्द ही बड़ा फेरबदल हो सकता है। जानकारों के मुताबिक, प्रदेश में लगातार पराजय के बाद अब छत्तीसगढ़ पर हाईकमान की सीधी नजर है। ऐसे में बड़े फेरबदल में शीर्ष नेतृत्व की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। कहा जा रहा है कि सत्ता में रहने के दौरान एक गुट विशेष पूरी तरह से हावी रहा। इसलिए अब गुटीय संतुलन बनाने पर जोर दिए जाने की तैयारी है।
फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के समक्ष भी फूटी थी नाराजगी
लोकसभा चुनाव में अपेक्षानुरूप परिणाम नहीं आने से चिंतित पार्टी हाईकमान ने हार के कारणों की पड़ताल करने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया। पूर्व मुख्यमंत्री वीरप्पा मोइली की अगुवाई में गठित इस दो सदस्यीय कमेटी ने जब स्थानीय स्तर पर पड़ताल शुरू की तो यह बात खुलकर सामने आई कि सत्ता और संगठन के कामकाज से पार्टी का एक बड़ा वर्ग नाराज था। इस कमेटी के समक्ष नेताओं व कार्यकर्ताओं ने अपनी नाराजगी भी जाहिर की। कहा गया कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार रहने की वजह से कार्यकर्ता खामोशी ओढ़े रहे, लेकिन विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव की पराजय के चलते कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूट पड़ा। इन सबके चलते फैक्ट फाइंडिंग कमेटी भी चकित रह गई। टीम के सामने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार को हार के प्रमुख कारणों में बताया गया। संभवत: इसीलिए अब यह माना जा रहा है कि सांगठनिक बदलाव में पूर्व मुख्यमंत्री के करीबियों की छुट्टी हो सकती है।
पराजय वाले क्षेत्रों में बदलेगा नेतृत्व
जिन जिलाध्यक्षों के क्षेत्र में कांग्रेस को विधानसभा और लोकसभा चुनावों में पराजय मिली, उन क्षेत्रों में संगठन का नेतृत्व बदला जा सकता है। दिल्ली से लौटने के बाद से ही पीसीसी चीफ दीपक बैज ने बदलाव के संकेत दिए थे। कांग्रेस बड़े पैमाने पर जिला अध्यक्षों को बदलने पर विमर्श कर रही है। साथ ही राज्य स्तरीय पदाधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है। विधानसभा-लोकसभा में जिन सीटों पर कांग्रेस को हार मिली है, वहां के जिलाध्यक्षों को साफ संकेत दे दिए गए हैं। साथ ही जिला स्तर पर संगठनात्मक ढांचे में भी फेरबदल होगा। प्राप्त सुझावों के आधार पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी की बैठक में बदलाव पर अंतिम निर्णय होगा। आज बुधवार को पार्टी की बैठक में नगरीय निकाय चुनावों को लेकर चर्चा चल रही है। बताया जाता है कि मंगलवार की बैठक में बैज ने एक-एक कर जिलाध्यक्षों के साथ सवाल-जवाब किया। उनसे पूछा गया कि क्यों न पार्टी के बुरे प्रदर्शन की वजह से आप पर कार्रवाई की जाए।
आक्रामक रूख अपनाने की तैयारी
छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र जल्द ही प्रारम्भ होने जा रहा है। इस सत्र में कांग्रेस आक्रामक रूख अख्तियार करेगी। पार्टीजनों का कहना है कि कांग्रेस के पास विधानसभा में इतनी सीटें तो है कि वह सत्तारूढ़ दल पर दबाव बना सके। वर्तमान में कांग्रेस की स्थिति पिछले चुनाव के बाद की भाजपा की स्थिति से बहुत बेहतर है। इसलिए सरकार के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोलने में कोई दिक्कत नहीं है। पीसीसी चीफ दीपक बैज के मुताबिक, बिजली की बढ़ी दरें, कानून व्यवस्था, फर्जी नक्सल घटनाएं, किसानों की आत्महत्या, महंगे खाद-बीज और महंगाई समेत जनहित के ऐसे कई मुद्दे हैं, जिन पर सरकार को आक्रामक तरीके से घेरा जाएगा। बैज ने कहा कि पटवारी हड़ताल पर हैं, तहसीलदारों ने खुलेआम नाराजगी व्यक्त की है। सरकार व्यवस्था नहीं संभाल पा रही है। कांग्रेस जनहितों के मुद्दे पर सदन के भीतर से लेकर सड़क की लड़ाई लड़ेगी।