रायपुर (श्रीकंचनपथ न्यूज़)। लोकसभा चुनाव के नतीजे आने में अभी भी काफी वक्त है, लेकिन इससे पहले ही उपचुनाव को लेकर सुगवुगाहट शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि चुनाव नतीजों के बाद कुछ सीटों पर विधानसभा के उपचुनाव हो सकते हैं। इसी के मद्देनजर टिकट के दावेदारों ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। सबसे ज्यादा आश्वस्ती रायपुर सीट को लेकर जताई जा रही है, जहां से भाजपा के बृजमोहन अग्रवाल चुनाव मैदान में हैं। उनकी जीत को तय मानकर दावेदारों ने न केवल अपनी सक्रियता बढ़ा दी है, बल्कि वरिष्ठ नेताओं तक अपनी दावेदारी पहुंचाने में भी जुट गए हैं। छत्तीसगढ़ में कुल 4 विधायक इस बार लोकसभा चुनाव मैदान में हैं। इनमें बृजमोहन के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, भिलाई नगर विधायक देवेन्द्र यादव व बस्तर की कोंटा सीट से विधायक कवासी लखमा शामिल हैं।
रायपुर दक्षिण के विधायक बृजमोहन अग्रवाल की जीत को तय मानते हुए न केवल भाजपा बल्कि कांग्रेस के दावेदार भी टिकट के जुगाड़ में लग गए हैं। भाजपा नेताओं का दावा है कि बृजमोहन बड़े अंतर से जीत दर्ज करने जा रहे हैं। 8 बार के विधायक बृजमोहन अग्रवाल की मौजूदगी के चलते रायपुर दक्षिण सीट पर दावेदार सामने आने से परहेज करते रहे लेकिन अब बृजमोहन की लोकसभा चुनाव में जीत को तय मानकर इस क्षेत्र के साथ ही आसपास के क्षेत्रों से भी कई नेताओं ने दावेदारी करना शुरू कर दिया है। हालांकि पार्टी सूत्रों का दावा है कि उपचुनाव की स्थिति में भाजपा बेदाग व नए चेहरे को तवज्जो दे सकती है। भाजपा ने भविष्य में रिक्त होने वाली रायपुर दक्षिण सीट को लेकर तैयारियां भी शुरू कर दी है। कई लोग लॉबिंग में जुटे हैं तो कई दिल्ली दरबार में हाजिरी लगाने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि टिकट पर अंतिम मुहर दिल्ली में ही लगनी है।
नए-पुराने नेताओं ने ठोकी ताल
दोनों ही पार्टी भाजपा और कांग्रेस में इस समय सबसे ज्यादा दावेदारी पुराने और वर्तमान पार्षद करने लगे हैं। उन्होंने अभी से अपने समर्थकों को बताना शुरू कर दिया है कि इस बार वे टिकट जरूर लेकर रहेंगे। क्योंकि कई सालों से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी दावेदारों की शिकायतें भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं तक अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों के जरिए भिजवाना शुरू कर दी है। दक्षिण विधानसभा सीट से टिकट की दावेदारी को लेकर दोनों ही पार्टी के संगठन के पदाधिकारी भी अभी से सक्रिय हो गए हैं। भाजपा के कुछ पदाधिकारियों ने तो सामाजिक स्तर पर भी लॉबिंग शुरू कर दी है। साथ ही, पार्टी के बड़े नेताओं तक उनके समाज द्वारा क्षेत्र में किए गए सामाजिक और जनहित कार्यों का बखान भी करने लगे हैं। साथ ही अन्य प्रमुख लोगों को अपने नाम की दावेदारी बताने को कह रहे हैं।
नए और बेदाग चेहरे को वरीयता
इधर, भाजपा में चर्चा है कि रायपुर दक्षिण सीट खाली होने पर किसी ऐसे चेहरे को टिकट जाएगा, जो एकदम से नया चेहरा और बेदाग छवि है। साथ ही, क्षेत्र में लोग उन्हें जानते हो। ताकि सीट को आसानी से निकाला जा सके। वहीं, कांग्रेस में भी किसी ऐसे चेहरे को टिकट मिल सकता है, जो नए चेहरे के साथ भाजपा प्रत्याशी को कड़ी टक्कर देकर चुनाव जीत सकें। रायपुर लोकसभा सीट से बृजमोहन अग्रवाल के चुनाव जीतने के बाद दिसंबर में ही उपचुनाव हो सकता है। किसी भी सीट के खाली होने पर छह माह में चुनाव कराने का प्रावधान है। क्योंकि लोकसभा चुनाव के छह माह बाद नगरीय निकायों का चुनाव भी होना है। इसलिए दोनों चुनाव एक साथ कराने की संभावना ज्यादा है। हालांकि यह स्थिति फिलहाल सिर्फ रायपुर सीट को लेकर ही है, लेकिन कांग्रेस दावा कर रही है कि उसके भी कुछ विधायक चुनाव जीत सकते हैं।
कांग्रेस से 3 विधायक मैदान में
एक ओर जहां भाजपा ने रायपुर से बृजमोहन अग्रवाल को मैदान में उतारा था तो दूसरी ओर कांग्रेस ने भी अपने 3 विधायकों को टिकट देकर चुनावी माहौल का रंग गहराने की कोशिश की। उसके 3 विधायक पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पाटन से तो कवासी लखमा बस्तर के कोंटा सीट से विधायक हैं। वहीं भिलाई नगर के युवा विधायक देवेन्द्र यादव को बिलासपुर से टिकट दी गई है। कांग्रेस के जानकारों का दावा है कि इन तीनों में से दो विधायक भूपेश बघेल राजनांदगांव में तो कवासी लखमा बस्तर में कड़ी टक्कर देने की स्थिति में हैं। यदि इन दोनों सीटों में भी कुछ उलटफेर होता है तो यहां भी उपचुनाव के हालात निर्मित होंगे। गौरतलब है कि भाजपा ने राज्य की सभी 11 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था और पार्टी के नेता सभी सीटें जीतने का दावा भी कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस भी 4 से 5 सीटें जीतने की बात कह रही है।
6 माह में होंगे उपचुनाव
यदि राज्य में विधानसभा के उपचुनाव की नौबत आती है तो इन चुनावों को 6 माह के भीतर निपटाना अनिवार्य है। छत्तीसगढ़ में स्थानीय निकायों के चुनाव भी करीब 6 माह बाद होने हैं। इसलिए यह माना जा रहा है कि स्थानीय निकायों के चुनावों के साथ ही उपचुनाव भी करवाए जा सकते हैं। हालांकि फिलहाल यह कहना जल्दबाजी होगी कि कितनी सीटों पर उपचुनाव होंगे। लेकिन राजनीतिक दलों ने अपने स्तर पर इसके लिए तैयारियां जरूर शुरू कर दी है। कांग्रेस के दावे को सही मानें तो राजनांदगांव में भूपेश बघेल की जीत की स्थिति में पाटन क्षेत्र में उपचुनाव होगा। भूपेश कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में हैं, ऐसे में उनके क्षेत्र में कोई नया और जिताऊ प्रत्याशी तलाशना पार्टी के लिए टेढ़ी खीर होगी। वहीं कोंटा विधायक कवासी लखमा की जीत की स्थिति में भी लखमा परिवार से ही किसी को टिकट दी जा सकती है।