रायपुर (श्रीकंचनपथ न्यूज़)। छत्तीसगढ़ में तीनों चरणों का चुनाव निपटने के बाद वोटिंग की समीक्षा और विश्लेषण का दौर चल रहा है और इसी आधार पर राजनीतिक दल अपनी-अपनी जीत के दावे भी कर रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच पुरूषों की तुलना में महिलाओं का वोटिंग के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैय्या महत्वपूर्ण संकेत करता दिखता है। दरअसल, करीब 5 महीने पहले जब विधानसभा के चुनाव हुए थे, उस दौरान पुरूषों के मुकाबले महिलाओं ने जमकर वोटिंग की थी। माना गया था कि महराती वंदन योजना के चलते महिलाएं बड़े पैमाने पर घर से निकलीं। इसी के चलते प्रदेश में भाजपा की सरकार भी बनी, लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में न केवल भाजपा की महतारी अपितु कांग्रेस की महालक्ष्मी न्याय योजना भी कसौटी पर है। महिलाओं का मतदान के लिए नहीं निकलना इस बात का संकेत है कि संभवत: उन्होंने यथास्थिति का चयन किया है। यानी महिलाओं की दिलचस्पी महालक्ष्मी न्याय योजना के प्रति ज्यादा नहीं रही।
विधानसभा चुनाव के दौरान जब भाजपा ने अपनी चुनावी घोषणा-पत्र बनाम मोदी की गारंटी के रूप में महतारी योजना का जिक्र किया तो छत्तीसगढ़ की महिलाओं को यह योजना खूब भाई। योजना के तहत प्रत्येक महिला को 1000 रूपए प्रतिमाह दिए जाने थे। हालांकि तत्कालीन सत्तारूढ़ दल कांग्रेस ने भी भाजपा की तर्ज पर महिलाओं को हर महीने 1200 रूपए देने का वायदा किया, लेकिन कांग्रेस को वायदा करने में काफी विलम्ब हो गया। कांग्रेस का वायदा जनता तक सही तरीके से पहुंच भी नहीं पाया। नतीजा यह निकला कि बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया और प्रदेश में भाजपा की सरकार बन गई। भाजपा के लिए यह योजना क्रांतिकारी साबित हुई और सत्ता में आने के बाद विष्णुदेव साय की सरकार ने महतारी वंदन योजना को लागू कर महिलाओं के खाते में हर महीने 1000 रूपए डालने भी शुरू कर दिए। इसी से प्रेरणा लेकर कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में महिलाओं को अपने पक्ष में करने की पुरजोर कोशिश की। कांग्रेस पार्टी महिलाओं के लिए महालक्ष्मी न्याय योजना लेकर आई, जिसके तहत प्रत्येक महिला को हर साल 1 लाख रूपए दिए जाने का वायदा किया गया। लेकिन मतदाताओं खासकर महिलाओं के सामने सबसे बड़ा सवाल यह था कि यह राशि मिलेगी कैसे? इस सवाल का जवाब स्पष्ट था कि केन्द्र में यदि कांग्रेस की सरकार बनती है तो ही महिलाओं को कांग्रेस की महालक्ष्मी योजना का लाभ मिलेगा।
चुनाव के नतीजे क्या होंगे, यह तो 4 जून को ही पता चलेगा, लेकिन इससे पहले ही महिलाओं की वोटिंग के प्रति बेरूखी ने कुछ संकेत जरूर कर दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का भी मानना है कि आधी आबादी यानी महिलाओं के मन में संभवत: इस बात को लेकर संशय रहा कि केन्द्र में कांग्रेस की सरकार बन पाएगी। यही वजह है कि महिलाओं ने कांग्रेस की महालक्ष्मी न्याय योजना के प्रति बहुत ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई। भाजपा और कांग्रेस छत्तीसगढ़ में अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। माना भी जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी ने इस बार भाजपा को कड़ी टक्कर दी है और नतीजे कोई भी करवट ले सकते हैं। लेकिन ये संभावनाएं और भी ज्यादा पुख्ता हो जाती, यदि महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत ज्यादा होता।
इस चुनाव में हुआ ज्यादा मतदान
संसदीय चुनाव में मतदान के अंतिम आंकड़े आ गए हैं। 11 लोकसभा सीट में पर 72.80 प्रतिशत मतदान हुआ है। यह वर्ष 2019 की तुलना में 1.31 प्रतिशत अधिक है। कुल 2 करोड़ 6 लाख 58 हजार वोटरों में से 1 करोड़ 50 लाख 40 हजार 444 ने वोट डाले। आधी आबादी पर अधिक फोकस करने वाले इस चुनाव में महिलाएं मताधिकार का प्रयोग करने में इस बार पीछे रह गईं। पुरुष मतदाताओं की तुलना में 1.17 प्रतिशत कम महिलाओं ने वोट डाले। इस कारण भाजपा और कांग्रेस ही नहीं बल्कि राजनीति के जानकारों का भी समीकरण उलझ गया है। हालांकि दोनों दल इसे लेकर अपने-अपने पक्ष में दावे भी कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के सभी चरण के मतदान में कुल 72.80 प्रतिशत मतदान हुआ। इसमें 73.40 प्रतिशत पुरुष 72.23 प्रतिशत महिला मतदाताओं ने वोट डाला। प्रदेश में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले लगभग 1 लाख 80 हजार अधिक है। निर्वाचन कार्यालय के अनुसार 75 लाख 15 हजार 102 पुरुष व 75 लाख 25 हजार 123 महिलाओं के अलावा अन्य मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया। आंकड़े देखें तो महिलाओं के वोट केवल 10 हजार अधिक हैं। चुनाव में महिलाओं को निर्णायक माना जा रहा था। मतदान के बाद अब जीत-हार के आकलन का आधार भी बदलता दिख रहा है।
कुछ क्षेत्रों में दिखा दम
जांजगीर लोकसभा के छह विधानसभा क्षेत्रों में महिलाओं ने पुरुषों से अधिक वोटिंग की। यहां के कसडोल, पामगढ़, बिलाईगढ़,जैजपुर, सक्ती और अकलतरा विधानसभा में महिलाओं का वोट प्रतिशत अधिक रहा। यहां की चंद्रपुर और जांजगीर-चांपा विधानसभा में पुरुष मतदाता से महिलाएं पीछे रहीं। वहीं, रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के विधानसभा क्षेत्र कुनकुरी में महिला वोटरों ने पुरुषों के मुकाबले लगभग 2 प्रतिशत अधिक वोट किया। यहां के खरसिया और सारंगढ़ विधानसभा में भी महिलाओं का वोट प्रतिशत अधिक रहा। शेष विधानसभा में पुरुष मतदाता आगे रहे।
9 लोकसभा में पिछड़ी महिलाएं
निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आंकड़ों को देखें तो अधिकतर लोकसभा क्षेत्रों में महिलाओं का वोट प्रतिशत घटा है। बस्तर लोकसभा के 8 विधानसभा क्षेत्र में नारायणपुर को छोड़कर सभी जगह महिलाओं का वोट प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले कम रहा। कांकेर लोकसभा में डौंडीलोहारा विधानसभा को छोड़कर सभी विधानसभाओं में महिलाओं का वोट प्रतिशत पुरुषों से कम रहा। राजनांदगांव में खुज्जी और मोहला मानपुर में महिलाओं ने ज्यादा वोट किया। शेष विधानसभा में वे पुरुषों से पीछे रहीं। दुर्ग लोकसभा में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत कम रहा। कई विधानसभा क्षेत्रों में 2 से 4 प्रतिशत तक का अंतर देखा गया। महासमुंद लोकसभा में बिंदानवागढ़ विधानसभा को छोड़कर सभी जगहों पर महिलाओं ने कम मतदान किया। बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में मस्तुरी विधानसभा को छोड़कर सभी जगहों पर महिलाएं, पुरुषों से पीछे रहीं। कोरबा लोकसभा जहां पर कांग्रेस और भाजपा से महिला प्रत्याशी उतारे गए, वहां पर महिलाओं का वोट प्रतिशत पुरुषों से कम रहा। सरगुजा लोकसभा क्षेत्र में प्रतापपुर और रामानुजगंज को छोड़ कर अन्य विधानसभा में पुरुष मतदाता महिलाओं से आगे रहे।