रायपुर (श्रीकंचनपथ न्यूज)। छत्तीसगढ़ में दो चरणों का मतदान निपटने के बाद राजनीतिक दल गुणा-भाग लगाने में जुट गए हैं। भाजपा व कांग्रेस दोनों ने ही अपनी-अपनी जीत के दावे किए हैं। वहीं अब 7 मई को होने जा रहे तीसरे चरण के मतदान पर भी सबकी निगाहें हैं। राज्य में पहले चरण में 1 और दूसरे चरण में कुल 3 सीटों पर वोटिंग हुई है। अब तीसरे दौर में बाकी बची 7 सीटों पर मतदान होना है। दूसरे चरण के बाद भाजपा प्रदेश कार्यालय में जिस तरह से आतिशबाजी की गई, वह भाजपाइयों का उत्साह बयां करता है, जबकि कांग्रेस ने भी दोनों चरणों की 4 सीटें जीतने का दावा किया है। अधिक वोटिंग को भी सत्ता विरोधी रूझान बताया जा रहा है।
गौरतलब है कि दूसरे चरण की 3 सीटों पर कुल 76.24 फीसद मतदान हुआ। जबकि 2019 के चुनाव में 74,.95 फीसदी मतदान हुआ था। इस बार 1.29 फीसद अधिक मतदान हुआ है। सबसे ज्यादा वोटिंग राजनांदगांव में 77.42 फीसद हुई। कांकेर में 76.23 और महासमुंद में 75.02 फीसद मतदान हुआ। तीनों सीटों पर मतदाताओं का फैसला अब ईवीएम में कैद हो चुका है। लेकिन जीत-हार के दावे-प्रतिदावे जरूर चल रहे हैं। दूसरे चरण के मतदान के बाद सामने आ रहे मतदान प्रतिशत के आधार पर भाजपा अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है। भाजपा नेताओं, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने एकात्म परिसर स्थित भाजपा कार्यालय में जमकर आतिशबाजी की। भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रदेश की सभी 11 लोकसभा सीटों पर भाजपा की जीत सुनिश्चित करने का संकल्प दोहराते हुए कहा कि इस बार भाजपा 400 पार का लक्ष्य अर्जित करेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार सरकार बनना तय है। उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने दावा किया कि बस्तर के बाद अब कांकेर, राजनांदगांव और महासमुंद लोकसभा की जनता-जनार्दन ने पूरे छत्तीसगढ़ के विकास के लिए भाजपा के पक्ष में भारी संख्या में स्वस्फूर्त मतदान किया है। साव ने कहा कि शुक्रवार को मतदान के दूसरे चरण में मतदान का प्रतिशत भाजपा के लिए काफी उत्साहजनक हैं और भाजपा का यह विश्वास फलीभूत होने जा रहा है कि प्रदेश की सभी 11 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो रहा है।
दूसरी ओर कांग्रेस ने भी पहले और दूसरे चरण की वोटिंग को अपने पक्ष में बताया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि पहले और दूसरे चरण के मतदान के बाद मतदान केंद्रों के बाहर मतदाताओं का रुझान कांग्रेस के प्रति साफ दिखा। भीषण गर्मी में लोग बदलाव करने के लिए घरों से निकल कर वोट डालने आए। पहले और दूसरे चरण के बाद कांग्रेस पार्टी का पूरा फोकस तीसरे चरण की सात सीटों पर है। बैज के मुताबिक, तीसरे चरण की सातों सीटों में भी कांग्रेस के उम्मीदवारों के पक्ष में बेहतर माहौल दिख रहा है। पहले और दूसरे चरण के मतदान के बाद राजनीतिक दलों ने भी गुणा-भाग करना शुरू कर दिया है और लोगों के मन को टटोलना भी शुरू कर दिया है। हालांकि मतदाताओं का मन ईवीएम में कैद हो चुका है और चार जून को परिणाम बताएगा कि मतदाताओं ने इस बार किस प्रत्याशी पर भरोसा जताया है।
राष्ट्रवाद और मोदी की गारंटी की चर्चा
दूसरे चरण की वोटिंग के बाद मतदाताओं के बीच राष्ट्रवाद और मोदी की गारंटी की चर्चा है। खासतौर पर राम मंदिर का निर्माण और रामलला दर्शन योजना पर मतदाताओं ने अपनी राय रखी है। इसके अलावा महतारी वंदन योजना भी इस बार के चुनाव में प्रमुख मुद्दा है। दूसरी ओर कांग्रेस की न्याय की गारंटियों पर भी चर्चा हो रही है। भले ही तीनों सीटों पर बड़ी संख्या में उम्मीदवार मैदान में रहे हों, लेकिन प्रमुख मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के ही बीच है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि बस्तर और कांकेर जैसे लोकसभा क्षेत्र में आदिवासियों का बोलबाला है। ऐसे में इस क्षेत्र के मतदाताओं के अपने स्थानीय मुद़्दे कारगर हैं मगर महासमुंद और राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में लगभग सभी वर्ग के मतदाता होने के कारण यहां स्थानीय और राष्ट्रीय दोनों ही मुद्दे प्रभावी रहे हैं। प्रदेश में पहले और दूसरे चरण के मतदान के बाद अब ये मुद्दे तीसरे चरण के चुनाव में भी कारगर हो सकते हैं।
7 विस में कम हुई वोटिंग
दूसरे चरण में पिछले चुनाव के मुकाबले 1.3 फीसदी अधिक वोटिंग हुई। इसके बावजूद इन लोकसभा क्षेत्रों में आने वाली 7 विधानसभा सीट ऐसी है, जहां पिछली बार की तुलना में मतदान कम हुआ। इनमें से 5 सीट कांग्रेस के और 2 सीट अभी भाजपा के पास है। ऐसे में मतदान के प्रतिशत में हुए बदलाव से राजनीतिक दलों का समीकरण बिगड़ सकता है। यही वजह है कि वोटिंग के बाद कांग्रेस-भाजपा के प्रत्याशी वोटों का हिसाब-किताब करने में जुटे हुए हैं ताकि जीत-हार का आंकलन करने में आसानी हो। हालांकि दूसरे चरण के मतदान के बाद कांग्रेस-भाजपा के नेताओं अपनी-अपनी जीत के दावे करने से पीछे नहीं हट रहे हैं। अब इन दावों की हकीकत 4 जून को ही जनता के सामने आएगी।