रायपुर (श्रीकंचनपथ न्यूज़)। पहले चरण में छत्तीसगढ़ की इकलौती बस्तर लोकसभा सीट पर कल यानी शुक्रवार को मतदान होने जा रहा है। सुरक्षित मतदान के लिहाज से जमीन से लेकर आसमान तक पुख्ता इंतजामात किए गए हैं। चुनाव आयोग ने भी अपनी तैयारियां पूरी कर ली है। बड़ी संख्या में अद्र्धसैनिक बलों की टुकडिय़ां तैनात की गई है, वहीं शत प्रतिशत मतदान के लिए लोगोंको जागरूक भी किया जा रहा है। इस सीट पर कुल 11 उम्मीदवार मैदान में हैं, हालांकि मुख्य मुकाबला इस बार भी भाजपा व कांग्रेस के बीच ही होने की संभावना है। सालों से बस्तर बम और बारुद के धमाकों से गूंजरा रहा है। नक्सलगढ़ होने के चलते बस्तर आज भी विकास की राह से दूर खड़ा है। चुनाव मैदान में इस बार विकास, रोजगार, नक्सलवाद, सरकारी योजनाओं का लाभ ये तमाम वो बड़े मुद्दे हैं जिनपर मतदान होगा। युवा जहां बस्तर के विकास और खुद के रोजगार के लिए वोट डालेगा तो महिलाएं खुद को सशक्त बनाने के लिए वोट करेंगी।
नक्सल प्रभावित लोकसभा सीट बस्तर पर पहले चरण में मतदान शुक्रवार को होगा। मतदान को लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है। बस्तर में सुरक्षित मतदान कराने के लिए चुनाव आयोग पूरी तरह से तैयार है। सुरक्षा के लिहाज से अर्धसैनिक बलों की बड़ी टुकडिय़ों की तैनाती की गई है। मतदान से पहले केंद्रीय चुनाव आयोग ने शत प्रतिशत मतदान के लिए लोगों को जागरुक करने का अभियान भी चलाया है। मतदान से 48 घंटे पहले बुधवार की शाम को चुनाव प्रचार थमा तो प्रत्याशियों ने डोर टू डोर अभियान छेड़ दिया। यह आज भी सारा दिन जारी रहा। चुनाव आयोग प्रचार पर नजर रखने के लिए बाकायदा प्रत्याशियों के कैंपेन की रिकार्डिंग भी करवा रहा है। इसके अलावा वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए कई तरह के अभियान स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा भी चलाए जा रहे हैं। मतदाताओं को उनके मत की कीमत भी बताई जा रही है।
बेखौफ मतदान के लिए फ्लैगमार्च
बस्तर लोकसभा सीट नक्सल प्रभावित होने के चलते इलाके में सालों से विकास के काम अटकते रहे हैं। विकास नहीं होने के चलते बस्तर क्षेत्र लगातार पिछड़ता रहा है। लोकसभा चुनाव 2024 में बस्तर के लोगों को भी उम्मीद है कि इस बार वो अपने वोट से विकास की राह पर आगे बढ़ेंगे। नक्सल प्रभावित इलाकों में वोटरों में सुरक्षा की भावना जगाने के लिए जवानों ने फ्लैग मार्च किया। फ्लैग मार्च के जरिए जवानों ने नागरिकों को संदेश दिया कि वो बिना डरे घर से निकलें और अपना वोट डालें। नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा के दृष्टिकोण से बड़ी संख्या में अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है। जंगलों के बीच बसे इलाकों में सुरक्षित मतदान और नक्सलियों पर नजर रखने के लिए ड्रोन कैमरों की मदद ली जा रही है। संवेदनशील इलाकों और मतदान स्थलों के पास जवानों का सर्चिंग अभियान भी तेज कर दिया गया है। मतदान दलों को कुछ जगहों पर हेलीकॉप्टर की मदद से पहुंचाया गया है। चुनाव आयोग ने साफ किया है कि हर हाल में सुरक्षित मतदान होगा। हिंसा और हंगामा करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा।
संवेदनशील केंद्रों की निगरानी
बस्तर लोकसभा सीट पर इस बार 14 लाख 72 हजार मतदाता अपने वोट डालेंगे। मतदान के लिए 1961 केंद्र बनाए गए हैं। संवेदनशील मतदान केन्द्रों में हेलीकाप्टर के जरिए मतदान दलों को पहुंचाया गया है। बस्तर लोकसभा क्षेत्र का बड़ा हिस्सा नक्सल प्रभावित इलाकों में शुमार है। लिहाजा संवेदनशील मतदान केंद्रों पर बड़ी संख्या में जवानों की तैनाती की गई है। दंतेवाड़ा के नक्सल प्रभावित बुरगुम पोटाली और नीलावया में मतदान दलों को हेलीकॉप्टर की मदद से पहुंचाया गया। दंतेवाड़ा के नक्सल प्रभावित इलाकों में सीआरपीएफ, डीआरजी और दंतेश्वरी फाइटर्स के जवानों की तैनाती की जा रही है। मतदान से 48 घंटे पहले ही दुर्गम इलाकों में मतदान दलों को पहुंचा दिया है। 22 मतदान दलों की टीम को बुरगुम और पोटाली में भेजा गया है। रिटर्निंग ऑफिसर जयंत नाटा के मुताबिक, मतदान केंद्र की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त जवानों की तैनाती की गई है। दंतेवाड़ा के अलावा बीजापुर, सुकमा और बस्तर के दूसरे इलाके में मतदान दलों को हेलीकॉप्टर से भेजा गया है।
आदिवासी और महिला निर्णायक
बस्तर लोकसभा सीट पर कुल मतदाता 14 लाख 66 हजार 337 हैं। पुरुष मतदाताओं की संख्या 6 लाख 98 हजार 197 व महिला वोटरों की संख्या 7 लाख 68 हजार 88 है। थर्ड जेंडर के यहां 52 वोटर भी चुनाव आयोग के आंकड़ों में रजिस्टर्ड हैं। बस्तर लोकसभा सीट पर मतदान के लिए इस बार चुनाव आयोग ने 1957 मतदान केंद्र बनाए हैं। इन मतदान केंद्रों में 97 संगवारी मतदान केंद्र, 08 दिव्यांग मतदान केंद्र हैं। वहीं शिफ्टिंग मतदान केंद्रों की संख्या 234 है। क्षेत्र में बारूद बनाम विकास की लड़ाई इस बार देखने को मिल रही है। बस्तर में कुल 8 विधानसभा की सीटें आती है। यह सभी सीटें नक्सल प्रभावित हैं और विकास की बाट जोह रही हैं। भाजपा ने जहां जल, जंगलऔर जमीन के साथ ही रोजगार पर फोकस किया है, वहीं कांग्रेस अपनी पांच न्याय गारंटी के भरोसे है। इस बार के चुनाव में रोजगार एक बड़ा और प्रमुख मुद्दा रहा है, ऐसे में युवाओं के वोटों से भी रूख काफी कुछ तय होगा। वैसे, धर्मांतरण और रावघाट रेल लाइन को भी मुद्दा बनाया गया है।