नई दिल्ली (एजेंसी)। नवजात बच्चों की खरीद-फरोख्त करने वाले गिरोह ने शुरुआती पूछताछ में जो खुलासा किया है, उससे पुलिस के होश उड़ गए हैं। आरोपियों ने खुलासा किया कि गिरोह वर्ष 2014 से सक्रिय है और सैकड़ों बच्चों का अब तक सौदा कर चुका है। देशभर के कई राज्यों में गिरोह का नेटवर्क फैला हुआ है। कई अस्पताल भी इस गोरखधंधे में शामिल हैं। आरोपियों के पास से बरामद मोबाइल फोन में 20-20 से अधिक व्हाट्सएप ग्रुप मिले हैं। इनमें बच्चा खरीदने और बेचने को लेकर चैट पुलिस को बरामद हुई है। छानबीन के दौरान पता चला है कि अस्पताल के डॉक्टर, गांव की दाइयां, आया और झोलाछाप गिरोह के संपर्क में रहते थे।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि गरीब माता-पिता के अलावा बिन ब्याही मां, चार-पांच लड़कियों वाले माता-पिता इनके निशाने पर होते थे। लोकल नेटवर्क की मदद से गिरोह उन माता-पिता को बहलाकर बच्चा खरीद लिया जाता था। बाद में उन्हें जरूरत के हिसाब से मुंहमांगे दाम पर बेच दिया जाता था। बच्चे की कीमत लिंग और रंग के हिसाब से तय की जाती थी। यदि लड़का होता था और उसका रंग साफ या गोरा होता था तो उसकी कीमत अच्छी वसूल की जाती थी। एक-डेढ़ लाख से लेकर 20 से 25 लाख रुपये तक कीमत वसूल कर ली जाती थी। कुछ मामलों में चार-पांच बच्चों की मां के दोबारा गर्भवती होने पर उस पर नजर रखी जाती थी।
जैसे ही वह बच्चे को जन्म देती थी तो उसको बहलाकर बच्चा ले लिया जाता था। पुलिस आरोपियों के बैंक खातों के अलावा उनके मोबाइल की पड़ताल में जुटी है। इस बात का पता करने का प्रयास किया जा रहा है कि गिरोह ने अब तक कितने बच्चों को सौदा किया। गिरोह की सरगना हसमीत ने बताया कि बच्चा लाकर मरियम और नैना के हवाले कर दिया जाता था। बच्चे का जब तक आगे सौदा नहीं हो जाता था तो मरियम और नैना उसे अपने घर पर रखकर उसका ख्याल रखती थीं। पुलिस को मामले में गिरोह के कुछ और लोगों की तलाश है, उनकी तलाश में छापे जारी हैं।