-दीपक रंजन दास
छत्तीसगढ़ में मेडिकल कालेजों की संख्या भले ही लगातार बढ़ रही हो पर यहां नीट यूजी की परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों की संख्या लगातार घट रही है। पिछले तीन साल के रूझान देखें तो 2021 में जहां 49.14 प्रतिशत बच्चे सफल हुए वहीं 2022 और 2023 में सफलता का यह प्रतिशत क्रमश: 48.73 और 47.60 रहा। वैसे इन तीन वर्षों में नीटी यूजी के लिए पंजीयन कराने वालों की संख्या लगातार बढ़ी है. 2021 में जहां 31027 विद्यार्थियों ने अपना पंजीयन कराया था वहीं इसके बाद के दो वर्षों में पंजीयन कराने वालों की संख्या क्रमश: 35636 और 42130 रही। डेढ़ से दो हजार बच्चे पंजीयन कराने के बाद भी परीक्षा में शामिल नहीं हुए। परीक्षार्थियों में से आधे से भी कम लोगों ने इस परीक्षा को क्वालिफाई किया। इन आंकड़ों से दो बातें सामने आती हैं। कोरोना काल में विद्यार्थियों से लेकर पालक और शिक्षक भी इंटरनेट पर व्यस्त रहे। उन्होंने नए विकल्पों की तलाश की और अब उन वैकल्पिक विषयों की पढ़ाई को लेकर विद्यार्थियों में रुझान बढ़ रहा है। नीट की परीक्षा दिलाने वालों में अच्छी-खासी संख्या ऐसे विद्यार्थियों की भी है जो केवल औपचारिकता के नाते यह परीक्षा दिलाते हैं। हालांकि वे नीट की तैयारी कराने वाले संस्थानों में प्रवेश भी लेते हैं पर जब कोर्स का टकराव शुरू होता है तो वे 12वीं को तरजीह देने लगते हैं। भिलाई की बात करें तो पिछले साल यहां से लगभग दो दर्जन बच्चों ने बीएससी फोरेंसिक साइंस की पढ़ाई करने का निर्णय लिया और प्रदेश से बाहर चले गए। पहले जहां फोरेंसिक का मतलब केवल पोस्टमार्टम करने को समझा जाता था वहीं अब डिजिटल फोरेंसिक्स को लेकर भी लोगों में जागरूकता आई है। मोबाइल और कम्प्यूटरों की मदद से होने वाले अपराध बढ़े हैं तो उसके डिटेक्शन के तरीके भी बदले हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें पैसों के साथ ही जॉब सैटिस्फैक्शन भी अधिक है। इस्पात नगरी में एक समय ऐसा था जब पहली च्वाइस मैथ्स और इंजीनियरिंग थी। सेकण्ड च्वाइस मेडिकल की पढ़ाई थी। फिर एक समय आया जब सीएम और आईसीडब्लूए (अब सीएमए) ने भी इनके बराबर में अपनी जगह सुनिश्चित कर ली। वक्त बदला और अब लोग अच्छे अंकों से 12वीं, ग्रैजुएशन और फिर एमबीए करने को तरजीह देने लगे हैं। एमबीए का क्रेज ऐसा है कि अब सीए और सीएमए भी नहीं लुभाता। एमबीए की जरूरत आज हर फील्ड में है। बावजूद इसके छत्तीसगढ़ के बी-स्कूल अभी इस कोर्स को लेकर गंभीर नहीं हैं। यही कारण है कि एमबीए करने के लिए लोग प्रदेश से बाहर जा रहे हैं। कोरोना काल में सभी विश्वविद्यालयों ने ऑनलाइन कोर्स शुरू कर दिये। इनकी फीस भी कम है और इंटर्नशिप प्रॉस्पेक्ट्स भी अच्छे हैं। इनके कैम्पस का रिकार्ड भी अच्छा है। यूपीएससी को लेकर शहर कभी गंभीर नहीं रहा। पीएससी का जो हाल है, बच्चे इससे भी कटने लगे हैं।
