-दीपक रंजन दास
लूमियर ब्रदर्स ने 7 जुलाई 1896 को मुंबई के वाटसन होटल में फिल्म का पहला शो दिखाया था। दादा साहेब तोरणे की ‘पुण्डलिकÓ एक मूक मराठी फिल्म थी जो 18 मई 1912 को मुंबई के ‘कोरोनेशन सिनेमेटोग्राफÓ में रिलीज़ हुई। इसके एक साल बाद 1913 में राजा हरिश्चन्द्र को रिलीज किया गया। यह भी एक मूक फिल्म थी। इसके निर्माता निर्देशक दादासाहब फालके थे और यह भारतीय सिनेमा की प्रथम पूर्ण लम्बाई की नाट्यरूपक फिल्म थी। 1931 में आलमआरा रिलीज हुई जो भारत की पहली हिन्दी सवाक फिल्म थी। तब से आज तक सिनेमा ने एक लंबा सफर तय कर लिया है। कैमरा फोन आने के बाद से तो हर कोई मूवी शूट कर रहा है। ऐसे में वैवाहिक बाजार कैसे इससे दूर रहता। एक समय था जब दूल्हा और दुल्हन की पहली मुलाकात विवाह के मंडप में ही होती थी। बंगाली शादियों में शुभ दृष्टि का भी एक पल होता था। पर अब दुनिया बेसब्री है। प्री-वेडिंग फोटो शूट का दौर भी पुराना हो चला है। पसंद नापसंद ने रीति-रिवाजों को अंगूठा दिखा दिया है। प्री-वेडिंग फोटो शूट पर नाक भौं सिकोडऩे वालों के लिए एक और दु:खद खबर है। पिछले कुछ वर्षों से युवा जोड़े अपनी लव-स्टोरी की बाकायदा फिल्म बनवा रहे हैं। इसमें स्टोरी, स्क्रिप्ट, लोकेशन से लेकर शूटिंग एडिटिंग तक सबकुछ शामिल है। हालांकि प्रोफेशनल टीमों द्वारा फिल्म बनवाने पर यह थोड़ा महंगा पड़ता है पर इससे टैलेंटेड लोगों को काम भी मिल रहा है। प्रोफेशनल टीमों से प्री-वेडिंग लव स्टोरी शूट करवाने के कुछ फायदे भी हैं। लगभग सभी लोगों के मन में अपने प्यार का एक सपना होता है। दूल्हा-दुल्हन अपने सपनों को स्टोरी राइटर के साथ शेयर करता है। वह उसके आधार पर कहानी लिखता है। फिर संवाद लिखे जाते हैं। 40-45 दिन में अलग-अलग लोकेशन पर शूटिंग होती है। इसके बाद फिल्म की एडिटिंग की जाती है। पहले टीजर आता है जिसे वैवाहिक न्यौते के रूप में शेयर किया जाता है। इसके बाद आता है ट्रेलर जिसे वैवाहिक कार्यक्रमों के दौरान दिखाया जाता है। कुछ शादियों में स्क्रीन लगाकर पूरी फिल्म दिखाई जाती है। इनमें से कुछ फिल्में बड़ी दिलचस्प होती हैं। लड़की का सपना था कि वह किसी गरीब का हाथ थामे। फिल्म में लड़का गरीब बन जाता है और लड़की उसे अपना दिल दे बैठती है। किसी को लगता था कि वह एक सुन्दर युवती को गुंडों से बचाए और फिर युवती उसकी दीवानी हो जाए-तो प्री-वेडिंग फिल्म में ऐसा ही दिखाया जाता है। इसके अलावा खूबसूरत वादियों, झरनों में जाकर गीतों के साथ डांस सीक्वेंस भी शूट किये जाते हैं। मनोविज्ञानी कहते हैं कि प्री-वेडिंग फोटो-शूट हो या वीडियो शूट, इसके नफा नुकसान दोनों हैं। तनाव भरे पलों में ये फिल्में जहां प्यार को ताजा कर सकते हैं वहीं ऐसी फिल्में काल्पनिक प्रेम और वास्तविकता के बीच द्वंद्व भी उत्पन्न कर सकती हैं। लिहाजा सतर्कता जरूरी है।