ShreeKanchanpathShreeKanchanpath
  • होम
  • छत्तीसगढ़
    • रायपुर
    • दुर्ग-भिलाई
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • स्पोर्ट्स
  • मनोरंजन
  • हेल्थ
  • E-Paper
Reading: …तुलसी बिन हुआ आंगन सूना, तुलसी साहू ने पार्टी छोड़ी तो आ गए कांग्रेस के दुर्दिन
Share
Notification Show More
Latest News
राष्ट्रीय स्तर की ‘लखपति महिला पहल’ क्षेत्रीय कार्यशाला रायपुर में, 9 से 11 जुलाई तक होगा भव्य आयोजन
July 8, 2025
बाल संप्रेषण गृह में नाबालिग से अननेचुरल सेक्स, जांच दौरान कोर्ट की टीम को बालक ने बताई आपबीती, आरोपी गिरफ्तार
July 8, 2025
नैनो डीएपी किसानों के लिए ठोस डीएपी उर्वरक का स्मार्ट विकल्प, सरकार ने की किसानों से इस्तेमाल की अपील
July 8, 2025
युक्तियुक्तकरण के बाद जिन्होंने नहीं ली पदस्थापना, अब रुकेगा उनका वेतन… शिक्षा विभाग का फैसला
July 8, 2025
मतदाता सूची संशोधन को लेकर विपक्ष के आरोपों पर चुनाव आयोग की दो टूक, कहा- यह पूरी तरह समावेशी प्रक्रिया
मतदाता सूची संशोधन को लेकर विपक्ष के आरोपों पर चुनाव आयोग की दो टूक, कहा- यह पूरी तरह समावेशी प्रक्रिया
July 8, 2025
Aa
ShreeKanchanpathShreeKanchanpath
Aa
  • होम
  • छत्तीसगढ़
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • स्पोर्ट्स
  • मनोरंजन
  • हेल्थ
  • E-Paper
Search
  • होम
  • छत्तीसगढ़
    • रायपुर
    • दुर्ग-भिलाई
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • व्यापार
  • स्पोर्ट्स
  • मनोरंजन
  • हेल्थ
  • E-Paper
Follow US
© Copyright ShreeKanchanpath 2022 | All Rights Reserved | Made in India by Anurag Tiwari
Breaking NewsChhattisgarhDurg-BhilaiFeatured

…तुलसी बिन हुआ आंगन सूना, तुलसी साहू ने पार्टी छोड़ी तो आ गए कांग्रेस के दुर्दिन

By Mohan Rao Published December 23, 2023
Share
तुलसी साहू, Tulsi Sahu- फाइल फोटो
SHARE

भिलाई। कांग्रेस पार्टी में अपने लिए लम्बे समय तक सम्मान तलाशती रही तुलसी साहू का पार्टी छोडऩा कांग्रेस को गहरे जख्म दे गया है। दरअसल, सत्ता में लौटने का दम्भ भरने वाली कांग्रेस पराजय के सदमे से बाहर नहीं निकल पा रही है। तत्कालीन मुख्यमंत्री के गृहजिले में ही कांग्रेस को शर्मसार होना पड़ा। इसके पीछे जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी, उपेक्षा और मनमर्जी टिकट वितरण बड़े कारण रहे। दुर्ग जिले में तुलसी साहू जैसी कद्दावर नेत्री की उपेक्षा कहीं न कहीं कांग्रेस को भारी पड़ी। चुनाव से कुछ समय पहले ही तुलसी साहू ने कांग्रेस को अलविदा कर भाजपा में प्रवेश कर लिया था। इन कुछ दिनों में उन्होंने भाजपा प्रत्याशियों के लिए खूब पसीना बहाया। जिसका नतीजा भी सबके सामने है। ऐसे में यह कहा जा रहा है कि जिस आंगन में तुलसी नहीं, वह आंगन सूना।

चुनाव नतीजों के बाद फुरसत के पल बीता रही तुलसी साहू से इस संवाददाता ने संक्षिप्त चर्चा की। अपनी बेबाकी के लिए ख्यात श्रीमती साहू ने कहा कि जहां जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं की पूछपरख नहीं होती, वहां ऐसे ही नतीजे आते हैं। भाजपा में कार्यकर्ताओं को भरपूर सम्मान मिलता है। रिकेश सेन, ललित चंद्राकर और गजेन्द्र यादव जैसे कार्यकर्ताओं के पीछे कोई नहीं था, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट देकर सम्मान बढ़ाया। जब जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं को टिकट मिलती है तो दूसरी जमीनी कार्यकर्ता भी तन, मन और धन से काम करते हैं। यहीं से नतीजा भी निकलता है। भाजपा और कांग्रेस में सबसे बड़ा अंतर यही है कि भाजपा नए-नए कार्यकर्ताओं को खोजकर नई लाइन बनाती है, जबकि कांग्रेस में कोई नेता दशकों तक एक ही पद पर बना रहता है। यही नेता स्वयं को कार्यकर्ताओं का भगवान और मालिक समझने लगता है। जबकि वास्तविकता यह है कि कार्यकर्ताओं का भी अपना सम्मान होता है। उनकी भी भावनाएं होती है, जिस पर पार्टी नेतृत्व को ध्यान देना चाहिए। जमीनी कार्यकर्ताओं की भावनाओं के विपरीत यदि बाहर से लाकर प्रत्याशी थोपे जाएंगे तो कार्यकर्ताओं का आत्मबल कमजोर होगा और वे पार्टी या थोपे गए प्रत्याशी के लिए निष्ठा और समर्पण से काम नहीं कर पाएंगे। चुनाव के नतीजों पर इसका गहरा असर होता है।

भाजपा नेत्री तुलसी साहू ने साफ कहा कि वे ऐसा नहीं कह सकती कि कांग्रेस में उन्हें प्रेम नहीं मिला। हकीकत यह है कि कांग्रेस एक बड़ी पार्टी है और लोग पार्टी से जुड़ते हैं तो अलग भी होते हैं। लेकिन यह भी देखना चाहिए कि प्रेम और विश्वास था तभी तो लम्बे समय तक पार्टी में बने रहे। उन्होंने कहा कि पुराने और जमीनी कार्यकर्ताओं का अपना महत्व होता है। महत्व से आशय पार्टी में उपयोगिता से है, इसलिए जो अच्छा परफारमेंस करने वाले लोग हैं, उन्हें आगे बढ़ाया जाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होगा तो लोग अपने लिए नए रास्तों की तलाश करेंगे। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को सिर्फ इसलिए टिकट नहीं दी जा सकती, कि वह कुर्मी या साहू है। ऐसे व्यक्ति का पार्टी का कार्यकर्ता होना भी जरूरी है। किसी भी व्यक्ति को बाहर से लेकर समाज के नाम पर टिकट देने से जीत तय नहीं हो जाती। जीत और हार के अपने कई कारण होते हैं। ऐसे में यदि वह प्रत्याशी हार जाए तो कैसे कहा जा सकता है कि समाज का व्यक्ति हार गया। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आखिर आपने टिकट दिया किसे है? समाज का अपना वोट प्रतिशत होता है, पर पार्टी के कार्यकर्ता की क्षेत्र में अपनी पकड़ होती है। अन्य समाज से जुड़ाव होता है। फिर दीगर कार्यकर्ता भी चाहते हैं कि उनके बीच से ही किसी को टिकट दी जाए। यदि नए व्यक्ति को या बाहर से लेकर किसी अन्य को टिकट दी जाएगी तो कार्यकर्ता हतोत्साहित होंगे। ऐसे प्रत्याशी को समाज के वोट तो मिल सकते हैं, लेकिन सिर्फ इसे ही जीत का आधार नहीं माना जा सकता।

तुलसी साहू ने कहा कि कांग्रेस में बहुत सारे लोगों ने पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा, कार्यक्षमता और लगन को तवज्जो नहीं दी। 2018 में उनके जिलाध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस ने 6 में से 5 सीटें जीती, प्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार बनी, लेकिन हमारी सोच लाभ पाने तक सीमित नहीं थी। यदि मैं यह सोचती कि जिलाध्यक्ष हूँ तो मुझे टिकट भी मिल जाए तो यह सोच ठीक नहीं है। उन्होंने स्वीकार किया कि उनकी टिकट तय थी, लेकिन किसी और दे दी गई। बावजूद इसके उनकी नीयत पार्टी छोड़ देने की नहीं रही। भिलाई नगर निगम बना तो एक नई प्रत्याशी को उतार दिया गया। दूसरी बार फिर एक गृहिणी को टिकट दे दी गई। यदि यह सब कुछ होता रहेगा तो जमीनी कार्यकर्ताओं के बारे में कब सोचा जाएगा? राज्यसभा की सीट रिक्त हुई तो एआईसीसी के प्रभारी चंदन यादव ने उन्हें फोन कर बायोडाटा मांगा, उस वक्त वे चारधाम यात्रा पर थीं। प्रदेश संगठन के कहने पर वे यात्रा छोड़कर वापस आ गई, लेकिन राज्यसभा से भी दीगर राज्य के लोगों को प्रत्याशी बनाया गया। ऐसे में जमीनी कार्यकर्ता कहां जाएगा? श्रीमती साहू ने बताया कि उन्होंने 2018 में चुनाव को लेकर काफी तैयारियां की थी। लेकिन टिकट कटने पर यदि पार्टी छोडऩी होती या टिकट पाने के लिए दूसरी पार्टी में जाना होता तो कापी पहले चली जाती। उन्होंने कहा कि सबको यही लग रहा था कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस फिर से सरकार बना रही है, ऐसे में मेरे भाजपा में जाने के फैसले पर सवाल उठाए जा रहे थे। हकीकत यह है कि भाजपा में जाना सम्मान और स्वाभिमान से जुड़ा हुआ विषय था। इससे बढ़कर कुछ नहीं है। तुलसी साहू ने कहा कि वे भाजपा में अब सिर्फ एक सामान्य कार्यकर्ता हैं। पार्टी नेतृत्व यह तय करेगा कि उन्हें क्या करना है।

कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने को सम्मान से जोड़ते हुए तुलसी साहू ने कहा कि वे भाजपा में काम और मेहनत करने के लिए आई हैं। क्योंकि सबको अहसास था कि इस बार राज्य में भाजपा की सरकार नहीं बन रही है। यह जानते हुए भी हमने भाजपा को चुना, क्योंकि कांग्रेस ने लम्बे समय तक उन्हें कोई काम नहीं दिया। कई लोगों को 4-4 पद दिए गए तो किसी को एक भी नहीं मिला। पहले कहा गया कि जिलाध्यक्ष चुनाव नहीं लड़ेंगे। फिर कहा गया कि प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र से 2 महिलाओं को टिकट दी जाएगी। कांग्रेस के लोग अपने ही बनाए नियम कायदों पर बने नहीं रह पाए। भाजपा में जाते ही सबसे पहला सम्मान पीएम मोदी की सभा में मिला। उन्हें प्रधानमंत्री से मिलवाया गया। मोदी ने उन्हें काम करने और आगे बढऩे का आशीर्वचन दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा में आपका सम्मान बरकरार रहेगा। जब प्रधानमंत्री जैसे बड़े नेता प्रोत्साहित करते हैं तो काम करने में मजा आता है। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के हालातों के लिए कांग्रेस हाईकमान को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। हाईकमान ऊपरी स्तर पर काम करता है। उन्हें स्थानीय हालातों की जानकारी यहां के नेताओं से मिलती है। कमजोर लोग ऊपर जाते हैं और गलत जानकारियां देकर टिकट ले आते हैं। यह लोकल लीडरशिप की गलतियां हैं। हाईकमान प्रत्येक व्यक्ति के बारे में जानकारी नहीं रख सकता। उन्होंने कहा कि कांग्रेस छत्तीसगढ़ में क्यों हारी, इस पर मंथन कांग्रेस के ही लोग करें। हमने 4 नवम्बर को मोदीजी के मंच से उतरने के बाद भाजपा के लिए काम करना शुरू किया। रविकिशन, मनोज तिवारी और अनुराग ठाकुर जैसे नेताओं के मंच पर पर्याप्त सम्मान मिला। प्रत्येक कार्यकर्ता सम्मान चाहता है। कार्यकर्ता की क्षमता चुनाव में दिखती है। भाजपा ने उन्हें काम करने का पूरा अवसर दिया। समय कम था, पर हमने पार्टी को काम करके भी दिखाया।

तुलसी साहू ने बताया कि संगठन के पद से हटाए जाने के बाद उन्हें कांग्रेस में कोई काम नहीं दिया गया। कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई। यहां तक कि बैठकों तक में नहीं बुलाते थे। मंच पर बुलाना तो दूर की बात है। लम्बे समय तक काम करने वाले कार्यकर्ता के लिए यह बेहद तकलीफदेह होता है। यह सारी कसर महज 25 दिनों में भाजपा ने पूरी कर दी। भाजपा कार्यकर्ताओं की नब्ज पकड़ती है। कोई कार्यकर्ता यदि विधायक बन जाए और वह सोचे कि पूरी पार्टी और संगठन को चला लेगा तो यह संभव नहीं है। विधायक काम विकास कार्य करवाना है, जबकि संगठन अपना काम करता है। दोनों जब अपने-अपने काम करते हैं तभी ऊंचाइयां पैदा होती है। कोई भी नेता यह कैसे सोच सकता है कि वह कार्यकर्ताओं का मालिक या भगवान बन गया है। यदि कोई कार्यकर्ता पूर्ण निष्ठा और समर्पण से काम कर रहा है तो उसके सम्मान में भी कोई कमी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्होंने बेहद विषम परिस्थितियों में भाजपा प्रवेश किया है। उद्देश्य स्पष्ट है कि काम करना है। जो जिम्मेदारी मिलेगी, उसे पूरी निष्ठा से निभाएंगे।

You Might Also Like

राष्ट्रीय स्तर की ‘लखपति महिला पहल’ क्षेत्रीय कार्यशाला रायपुर में, 9 से 11 जुलाई तक होगा भव्य आयोजन

बाल संप्रेषण गृह में नाबालिग से अननेचुरल सेक्स, जांच दौरान कोर्ट की टीम को बालक ने बताई आपबीती, आरोपी गिरफ्तार

नैनो डीएपी किसानों के लिए ठोस डीएपी उर्वरक का स्मार्ट विकल्प, सरकार ने की किसानों से इस्तेमाल की अपील

युक्तियुक्तकरण के बाद जिन्होंने नहीं ली पदस्थापना, अब रुकेगा उनका वेतन… शिक्षा विभाग का फैसला

मतदाता सूची संशोधन को लेकर विपक्ष के आरोपों पर चुनाव आयोग की दो टूक, कहा- यह पूरी तरह समावेशी प्रक्रिया

Mohan Rao December 23, 2023
Share this Article
Facebook Twitter Whatsapp Whatsapp Copy Link
Share
Previous Article प्रदेश में वीर बाल दिवस का आयोजन 26 दिसंबर को, पीएम मोदी के संदेश का होगा प्रसारण प्रदेश में वीर बाल दिवस का आयोजन 26 दिसंबर को, पीएम मोदी के संदेश का होगा प्रसारण
Next Article Good Governance Day: स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर किसानों को दो साल का बकाया बोनस का होगा भुगतान Good Governance Day: स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर किसानों को दो साल का बकाया बोनस का होगा भुगतान
× Popup Image

Ro.No.-13286/35

Bhilai में पैग कम बनाना पड़ा भारी...Ground पर अलग ही माहौल... | Seemant Kashyap | KP News
Subscribe

Advertisement

Advertisement


RSS MP News Feed

You Might Also Like

राष्ट्रीय स्तर की ‘लखपति महिला पहल’ क्षेत्रीय कार्यशाला रायपुर में, 9 से 11 जुलाई तक होगा भव्य आयोजन

July 8, 2025

बाल संप्रेषण गृह में नाबालिग से अननेचुरल सेक्स, जांच दौरान कोर्ट की टीम को बालक ने बताई आपबीती, आरोपी गिरफ्तार

July 8, 2025

नैनो डीएपी किसानों के लिए ठोस डीएपी उर्वरक का स्मार्ट विकल्प, सरकार ने की किसानों से इस्तेमाल की अपील

July 8, 2025

युक्तियुक्तकरण के बाद जिन्होंने नहीं ली पदस्थापना, अब रुकेगा उनका वेतन… शिक्षा विभाग का फैसला

July 8, 2025
Logo

छत्तीसगढ़ प्रदेश का एक विश्वसनीय न्यूज पोर्टल है, जिसकी स्थापना देश एवं प्रदेश के प्रमुख विषयों और खबरों को सही तथ्यों के साथ आमजनों तक पहुंचाने के उद्देश्य से की गई है। इसके साथ ही हम महत्वपूर्ण खबरों को अपने पाठकों तक सबसे पहले पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

क्विक लिंक्स

  • होम
  • E-Paper
  • Crime
  • Durg-Bhilai
  • Education

Follow Us

हमारे बारे में

एडिटर : राजेश अग्रवाल
पता : शॉप नं.-12, आकाशगंगा, सुपेला, भिलाई, दुर्ग, छत्तीसगढ़ – 490023
मोबाइल : 9303289950
ई-मेल : shreekanchanpath2010@gmail.com

© Copyright ShreeKanchanpath 2022 | All Rights Reserved | Made in India by Anurag Tiwari

Removed from reading list

Undo
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?