नईदिल्ली। केन्द्रीय बैंक की एमपीसी ने एक बार फिर रेपो रेटो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। रिजर्व बैंक की तीन दिवसीय द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक बुधवार को शुरू हुई जिसका समापन होने के बाद इसकी जानकारी सामने आई है। एमपीसी की बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि वैश्विक अनिश्चितता के माहौल में भी भारतीय अर्थव्यवस्था ने मजबूती दिखाई है। बैंकों के बैलेंस शीट में मजबूती दिखी है। केंद्रीय बैंक की एमपीसी ने रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है।
आरबीआई आमतौर पर एक वित्त वर्ष में छह द्विमासिक बैठकें आयोजित करता है, जहां यह ब्याज दरों, धन की आपूर्ति, मुद्रास्फीति दृष्टिकोण और विभिन्न व्यापक आर्थिक संकेतकों पर विचार-विमर्श करता है। लगातार चौथी बार मौद्रिक नीति समिति ने अक्टूबर की समीक्षा बैठक में सर्वसम्मति से रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया था। पिछली चार बैठकों में रिजर्व बैंक ने रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा था। रेपो रेट वह ब्याज दर होती है जिस पर आरबीआई दूसरे बैंकों को कर्ज देता है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अक्टूबर में मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा था कि केंद्रीय बैंक चिंतित है और उसने उच्च मुद्रास्फीति को वृहद आर्थिक स्थिरता और सतत वृद्धि के लिए बड़ा जोखिम बताया है। दास ने दोहराया था कि मौद्रिक नीति समिति भारत की प्रमुख मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत के स्तर पर रखने के लिए प्रतिबद्ध है। ताजा तेजी को छोड़कर मुद्रास्फीति में अपेक्षाकृत गिरावट और इसमें और गिरावट की आशंका ने केंद्रीय बैंक को प्रमुख ब्याज दर पर ब्रेक लगाने के लिए प्रेरित किया होगा। मुद्रास्फीति विकसित अर्थव्यवस्थाओं सहित कई देशों के लिए चिंता का विषय रही है, लेकिन भारत काफी हद तक अपने मुद्रास्फीति प्रक्षेपवक्र को काफी अच्छी तरह से चलाने में कामयाब रहा है।