-दीपक रंजन दास
राहुल गांधी एक बार फिर अपनी जुबान के कारण बुरा फंसे हैं। राहुल को समझना चाहिए कि वो पान ठेले पर खड़े होकर बातें नहीं कर रहे हैं। वो कोई आम आदमी नहीं हैं। खुद उनके बारे में भी छत्तीसगढ़ के गली-कूचों में लोग यही कहते हैं। दरअसल, राहुल बड़े तो हुए पर उनका बचपना नहीं गया। वह अब भी नुक्कड़ पर खड़ा वही अलसाया-बेकार-बेरोजगार युवक है जिसका एकमात्र काम दिन भर बातें बनाना है। माना कि भारत जोड़ो यात्रा से वह लोगों के दिल की बातों को सुनने और समझने लगे हैं पर इन बातों और भावनाओं का करना क्या है, यह उन्हें भाजपा से सीखना चाहिए। चाहे तो वो संघ के बौद्धिक सत्रों में जा सकते हैं। वहां सबका स्वागत है। बहुत सारी काम की बातें सीख जाएंगे। सयाना आदमी स्थान-काल-परिस्थिति को देखकर बातें करता है। जहां बात समझ में नहीं आती, वहां चुप रहता है। राहुल से किसने कहा था कि आम आदमी की भावनाओं को जुबान देने की जिम्मेदारी उनकी है। जब से भारत विश्वकप हारा है, तभी से टीम इंडिया के साथ-साथ पीएम की सोशल मीडिया पर जमकर धुनाई हो रही है। भाजपा सोशल मीडिया का तो कुछ बिगाड़ नहीं सकती। कभी उसने खुद इसका जमकर अच्छा-बुरा इस्तेमाल किया है। पर चुनावी सभा में पीएम को पनौती कहना कांग्रेस के सांसद को भारी पड़ सकता है। उनके और उनके परिवार के खिलाफ नफरत की आग में यह बेलागपन घी का काम कर सकता है। बहरहाल, कहते हैं हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। विश्वकप फायनल में करारी हार को लेकर टीम इंडिया को भले ही उस समय लोगों ने कुछ नहीं कहा पर उसके बाद से इस पर मजेदार टिप्पणियां आ रही हैं। कोई कह रहा है कि ऑस्ट्रेलिया को एक मैच में हराकर टीम इंडिया खुद को फन्नेखां समझ बैठी थी। कोई कह रहा है कि जब-जब भाजपा के प्रधानमंत्री रहे हैं, टीम इंडिया विश्वकप हारती रही है। 1975 में शुरू हुए आईसीसी विश्व कप के प्रत्येक संस्करण में भारत ने क्वालिफाई किया है। 1983 और 2011 में उसने विश्वकप जीता। 2003 और 2023 में वह उपविजेता रहा। अब लोग कह रहे हैं कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि 2003 और 2023 में केन्द्र में भाजपा की सरकार थी। वैसे, सच तो यह है कि टीम इंडिया तब भी हारती रही है जब केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी। पर मीम्स बनाने वालों का मुंह कौन पकड़े। अब एक और होनहार एक नया ही फंडा लेकर आया है। नया फंडा बताता है कि भारत ने जब-जब विश्वकप जीता है, उसके बाद के चुनाव में देश का प्रधानमंत्री बदल गया है। 1983 और 2011 के बाद के लोकसभा चुनाव परिणाम इसकी पुष्टि करते हैं। अब चूंकि 2024 में भी मोदी सरकार को बने रहना है इसलिए टीम इंडिया की हार जरूरी थी। टीम इंडिया हो या प्लेन इंडिया, टैलेंट की कोई कमी नहीं है जी।