भिलाई (श्रीकंचनपथ न्यूज़)। एक के बाद एक चार घोषणाएं कर चुके मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा को हाशिए पर धकेल दिया है। भूपेश की घोषणाओं से भाजपा में सन्नाटा पसरा हुआ है। भले ही उसने अपने प्रत्याशी कांग्रेस से पहले घोषित किए हों, लेकिन प्रचार अभियान में कांग्रेस से काफी पीछे चल रही है। पार्टी के ही लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या भाजपा ने चुनाव लडऩे से पहले ही हार मान ली है? सक्ती में विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत की नामांकन रैली में पहुंचे सीएम भूपेश ने सोमवार को ऐलान किया था कि सरकार बनाने पर एक बार फिर से किसानों के सारे कर्ज माफ किए जाएंगे।
अबकी बार 75 पार का नारा देने वाली कांग्रेस ने भाजपा को चारों खाने चित्त कर दिया है। सीएम भूपेश चुनावी रैलियों में एक्टिव हो गए हैं। वे लगातार कांग्रेस उम्मीदवारों के पक्ष में जनसभाएं कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी इस बार भी चुनावी जीत को लेकर आश्वस्त हैं। पार्टी और उसके प्रत्याशियों की चुनावी तैयारियां भी शबाब पर है। इसके विपरीत भाजपा चुनाव तैयारियों के मामले में खामोश नजर आ रही है। अब तक उसके कार्यकर्ता भी चार्ज नहीं दिख रहे। अनेक जगहों पर तो पार्टी प्रत्याशियों को कार्यकर्ता जुटाना भी मुश्किल हो रहा है। वहीं कांग्रेस में हालात अलग नजर आ रहे हैं। 2018 की तर्ज पर इस बार भी पार्टी के नेता से लेकर जमीनी कार्यकर्ता तक सब एकजुट होकर चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि भाजपा में टिकट वितरण को लेकर नाराजगी और गलत प्रत्याशी थोपने का आक्रोश साफतौर पर देखा जा सकता है। छत्तीसगढ़ में पहले चरण में कुल 20 सीटों के लिए वोटिंग होनी है। 7 नवम्बर को पहले चरण के लिए वोटिंग है, जिसके लिए ज्यादा वक्त अब नहीं बचा है।
इन घोषणाओं ने बदली राजनीतिक फिजा
कांग्रेस पार्टी या सीएम भूपेश बघेल ने चुनावी मोड में आते ही अब तक कुल 4 घोषणाएं की है। इन घोषणाओं को लेकर छत्तीसगढ़ के मतदाताओं में जबरदस्त उत्साह है। पार्टी की पहली घोषणा 17.5 लाख परिवारों को आवास देने की थी। इसके बाद दूसरी घोषणा में प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीदने का वायदा किया गया। इसके बाद तीसरी घोषणा जातिगत जनगणना को लेकर की गई। वहीं सोमवार को सीएम भूपेश बघेल ने चौथी घोषणा किसानों की एक बार फिर कर्जमाफी को लेकर की। इससे पहले भूपेश बघेल व कांग्रेस पार्टी भाजपा पर किसान विरोधी होने के आरोप लगाते रहे हैं। भाजपा के पास इन आरोपों का कोई जवाब नहीं है।

केन्द्र पैसा दे या न दे, हम गरीबों को देंगे घर
सीएम भूपेश की दमदारी किसी से छिपी हुई नहीं है। छत्तीसगढ़ में जब पीएम आवासों को लेकर केन्द्र और राज्य सरकार के बीच तनातनी बढ़ी तो श्री बघेल ने साफ तौर पर कह दिया कि केन्द्र सरकार पैसा दे या न दे, हम छत्तीसगढ़ के हर गरीब को घर बनाकर देंगे। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से बताया कि इस चुनाव में कांग्रेस के मुद्दे क्या होंगे। उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए भी चारों घोषणाओं या वायदों को दोहराया। भाजपा पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी ने किसानों को लेकर अब तक कोई घोषणा नहीं की है। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार का पूरा फोकस गांव, गरीब और किसानों पर रहा है। इस बार के वायदे भी इसी पर केन्द्रित है।
कर्जमाफी का वायदा ब्रह्मा
2018 के चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस पार्टी ने किसानों की कर्जमाफी का वायदा किया था। पार्टी को जो अभूतपूर्व बहुमत मिला, उसमें इस वायदे की बड़ी भूमिका रही। एक बार फिर सीएम भूपेश ने कर्जमाफी का ब्रह्मा छोड़ दिया है। सक्ती की सभा में उन्होंने पूरे जोश के साथ ऐलान किया कि यदि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती है तो एक बार फिर किसानों के सारे कर्ज माफ किए जाएंगे। कांग्रेस और सीएम बघेल यह बताने से भी नहीं चूकते हैं कि किस तरह पूर्ववर्ती भाजपा की सरकार ने किसानों को बोनस देने का वायदा किया, लेकिन नहीं दिया। धान खरीदी को लेकर भी किसानों को अंधकार में रखा गया। श्री बघेल की चारों घोषणाओं का भाजपा के पास कोई तोड़ नहीं है।
लाखों किसानों को होगा फायदा
कांग्रेस ने अब तक अपना चुनावी घोषणा-पत्र जारी नहीं किया है, लेकिन इससे पहले घोषणाओं या वायदों की बाढ़ आ गई है। भाजपा इस पर सिर्फ प्रतिक्रिया देने तक ही सीमित है। माना जा रहा है कि सीएम की घोषणाएं आम आदमी से जुड़ी हुई है, इसलिए इसका व्यापक असर भी होगा। इसीलिए इसका ऐलान पहले ही किया जा रहा है। किसानों के कर्ज यदि एक बार फिर माफ किए जाते हैं तो इसका फायदा छत्तीसगढ़ के लाखों किसानों को होगा। लेकिन भाजपा भी अपने घोषणा-पत्र का हवाला दे रही है। हालांकि भाजपा का घोषणा-पत्र भी अब तक जारी नहीं हुआ है। पार्टी के नेता यह दावा कर रहे हैं कि उनके घोषणा-पत्र में भी किसानों के लिए काफी कुछ है।
क्यों है धान खरीदी सबसे बड़ा मुद्दा
छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है। राज्य में 60 प्रतिशत से अधिक आबादी खेती-किसानी से जुड़ी हुई है। राज्य में समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान बेचने वालों की पंजीकृत संख्या 24 लाख से अधिक है। पिछले सीजन में किसानों ने 107 लाख मीट्रिक टन धान बिक्री की है, जो राज्य निर्माण के बाद पहली बार हुआ। किसानों की संख्या बढऩे के साथ धान की उपज बढऩे के पीछे सरकार की तरफ से दिए जा रहे प्रति एकड़ 9 हजार रुपए सब्सिडी माना जाता है। इस पैसे को चार किश्तों में राज्य सरकार राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत देती है। इधर, कांग्रेस का दावा है कि भूपेश बघेल सरकार की योजनाओं से राज्य के 20 लाख किसान ऋणमुक्त हुए हैं, सिंचाई कर माफ हुए, लेकिन पूर्ववर्ती भाजपा की सरकार अपने ही वायदों से मुकर गई।