भिलाई। कांग्रेस की बहुप्रतीक्षित पहली सूची आज नवरात्र के पहले ही दिन जारी कर दी गई। 30 प्रत्याशियों वाली इस सूची में दुर्ग जिले की 2 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए गए हैं। इन दोनों सीटों पर कांग्रेसियों से लेकर मतदाताओं तक किसी को भी संदेह नहीं था। पाटन से भूपेश बघेल और दुर्ग ग्रामीण सीट से ताम्रध्वज साहू को प्रत्याशी बनाया जाना अप्रत्याशित नहीं है। यह तो पहले से ही तय था, लेकिन जिले की बाकी 4 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा अगली सूची तक के लिए टालना कई तरह के संदेहों को जन्म देता हैं। यह संकेत है कि बाकी बची 4 सीटों को लेकर प्रदेश संगठन और सीडब्ल्यूसी में एकराय नहीं है। यह संकेत उन लोगों के लिए खतरे की घंटी हो सकता है, जो यह मानकर चल रहे थे कि उनकी टिकट पहले से ही तय है।
नवरात्र के पहले ही दिन रविवार की सुबह जब तक अलसाए हुए लोग टीवी खोलते, कांग्रेस ने अपने 30 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी। इस सूची में दुर्ग जिले की 4 सीटों भिलाई नगर, दुर्ग शहर, वैशाली नगर व अहिवारा के लिए प्रत्याशी घोषित नहीं किए गए। 2018 के पिछले चुनाव में अहिवारा क्षेत्र से आयातीत प्रत्याशी के रूप में सतनामी समाज के गुरू रूद्रकुमार को टिकट दी गई थी। वे यहां से जीते और केबिनेटमंत्री भी बने, लेकिन क्षेत्र में अपनी खराब स्थिति को देखकर उन्होंने बेमेतरा जिले के नवागढ़ से टिकट मांगी थी। पार्टी ने उन्हें नवागढ़ से प्रत्याशी घोषित कर दिया है। यहां से कांग्रेस के ही विधायक गुरूदयाल सिंह बंजारे का टिकट काट दिया गया। इससे पहले क्षेत्र के कार्यकर्ताओं और नागरिकों ने भी प्रदेश कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन जाकर रूद्र गुरू का विरोध किया था। अब पार्टी को अहिवारा से नया चेहरा तलाशना होगा। कमोबेश ऐसी ही स्थिति वैशाली नगर को लेकर भी है। कांग्रेस के लिए यह सीट सिरदर्द रही है, क्योंकि यहां से भाजपा को जीत मिलती रही है। यहां अब तक हुए 3 चुनाव और 1 उपचुनाव में कांग्रेस को महज 1 बार ही जीत नसीब हुई। पिछले दो चुनाव जीतने वाले भाजपा के विद्यारतन भसीन का कुछ समय पूर्व निधन हो गया था। ऐसे में यहां भाजपा ने नए चेहरे पर दांव चला है। कांग्रेस भी इस बार नए चेहरे को आजमा सकती है। पता चला है कि इस सीट के लिए कोई सहमति नहीं बन पाई, क्योंकि पार्टी को यहां से जीतने वाला चेहरा नहीं मिल पाया। आने वाले दिनों में कई लंबित सीटों पर खुलकर चर्चा होगी, उसमें एक सीट वैशाली नगर की भी है।
दुर्ग शहर सीट को लेकर सीडब्ल्यूसी में हाल ही में काफी चर्चा हुई। दिल्ली के कई सीनियर नेता इस सीट से अरुण वोरा को टिकट देने के पक्ष में थे, लेकिन बताते हैं कि प्रदेश के एक बड़े नेता ने इस सीट से नए और युवा चेहरे के लिए नाम सुझाया। इसके बाद दुर्ग सीट को भी लंबित सूची में डाल दिया गया। इस सीट पर पहली बार वोरा परिवार के अलावा कई प्रमुख नेताओं ने दावेदारी ठोंकी है। बताते हैं कि दुर्ग सीट से प्रदेश के बड़े नेता किसी ओबीसी को आजमाना चाह रहे हैं। आने वाले दिनों में इस पर विस्तार से चर्चा हो सकती है। बात भिलाई नगर सीट की करें तो यहां से कांग्रेस विधायक देवेन्द्र यादव की टिकट तय मानी जा रही थी। उनकी क्षेत्र में छवि अच्छी है और वे पूरे 5 वर्षों तक सक्रिय भी रहे, लेकिन कांग्रेस को डर है कि टिकट दिए जाने के बाद केन्द्रीय एजेंसियां उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। ऐसे में कांग्रेस की फजीहत होने का खतरा है और इसका चुनाव के नतीजों पर भी असर पड़ सकता है। इसीलिए देवेन्द्र यादव जैसे जिताऊ उम्मीदवार होने के बाद पार्टी को अन्य नामों पर भी विचार करना पड़ रहा है। हालांकि देवेन्द्र अपनी टिकट को लेकर आश्वस्त हैं।

भाजपा में महिलाओं की उपेक्षा, कांग्रेस से अपेक्षा
भाजपा ने जिले की सभी 6 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित किए तो इनमें से एक भी सीट पर महिला प्रत्याशी पर दांव नहीं लगाया गया। इसे लेकर पार्टी के ही भीतर खासी सुगबुगाहट है। इसी के चलते कांग्रेस की सूची का इंतजार किया जा रहा था, लेकिन पार्टी ने जिले की महज 2 सीटों पर प्रत्याशी उतारे। अब बाकी बची 4 सीटों में से क्या 1 या अधिक सीट महिला को मिलेगी, इस पर संशय है। कांग्रेस की महिलाओं को पार्टी से टिकट की अपेक्षा है। पार्टी ने चुनावी बैठकों के दौरान यह निर्णय लिया था कि प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र से 2 महिलाओं को टिकट दी जाएगी। कांग्रेस द्वारा घोषित 30 प्रत्याशियों में से महज 4 महिलाओं को ही टिकट दी गई है। 2018 के चुनाव की बात करें तो कांग्रेस ने उस दौरान जिले की सभी सीटों पर पुरूष उम्मीदवार उतारे थे, जबकि भाजपा ने दुर्ग शहर सीट से चंद्रिका चंद्राकर को प्रत्याशी बनाया था। दुर्ग में भाजपा का दांव कामयाब नहीं हो पाया था और तत्कालीन महापौर व भाजपा प्रत्याशी चंद्रिका चंद्राकर को करारी हार का सामना करना पड़ा था।
टिकट वितरण में पिछड़ी कांग्रेस
कांग्रेस ने जिन 2 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए हैं, वहां कांग्रेस उम्मीदवारों की स्थिति काफी मजबूत बताई जाती है। पार्टी के लोग अपेक्षा कर रहे थे कि पहले चरण में उन सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए जाएं, जहां चुनाव होने है और जहां कांग्रेस की स्थिति ठीक नहीं है। लेकिन बताते हैं कि दिल्ली में हालिया हुई सीडब्ल्यूडी की बैठक में निर्विवाद सीटों को सबसे पहले हरी झंडी दिखाई गई। 30 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद अब कांग्रेस को चुनाव प्रबंधन में बाजी मारनी होगी, क्योंकि टिकट वितरण के मामले में वह पहले ही काफी पिछड़ चुकी है। यदि ऐसा नहीं होता है तो चुनाव की तैयारियां विलंबित होंगी और इसका सीधा असर चुनाव के नतीजों पर भी होगा। भाजपा ने दो चरणों में अब तक कुल 85 प्रत्याशियों की घोषणा की है, जबकि कांग्रेस ने पहले ही चरण में 30 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान किया है। कार्यकर्ता और टिकट दावेदार अपेक्षा कर रहे हैं कि पार्टी के शीर्षस्थ नेता जल्द से जल्द बाकी सीटों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा करें, ताकि तैयारियों पर असर न पड़े।