-दीपक रंजन दास
दुर्ग जिले में आत्महत्या की घटनाएं बढ़ रही हैं। प्रति एक लाख व्यक्ति यहां 39 लोग आत्महत्या कर रहे हैं। आत्महत्या के मामले में राष्ट्रीय औसत प्रति एक लाख व्यक्ति 12 का है। इसका ठीकरा मानसिक रोग, ब्रेकअप, बेरोजगारी, आर्थिक तंगी और नशाखोरी पर फोड़ा जा रहा है। पूरे छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां मनोरोगियों की संख्या 50 लाख से अधिक है जिसमें से केवल एक चौथाई लोगों का ही समुचित इलाज हो रहा है। शेष लोग आज भी भूत-प्रेत बाधा, जादूटोना के भंवरजाल में फंसे हैं और झाडफ़ूंक करवा रहे हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेन्टल हेल्थ और न्यूरोसाइंसेज, बेंगालुरू (निमहान्स) द्वारा जुटाए गए इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि मानसिक रोगियों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। मानसिक रोगों के प्रति जागरूकता की कमी के कारण इस समस्या की पहचान ही नहीं हो पाती है। बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराधों के कई मामलों में भी मानसिक रोगों का ही हाथ होता है। देश की 90 प्रतिशत आबादी सोशल मीडिया पर फैलाई जाने वाली भ्रामक जानकारियों के कारण आभासी दुनिया में जी रही है। आबादी का एक बड़ा हिस्सा गुस्से में है। गुस्सा इतना अधिक है कि वह जिसे मारने के लिए दौड़ता है, अकसर उससे आगे निकल जाता है। उसके इस गुस्से का शिकार स्वयं उसके परिजन हो रहे हैं, दोस्त और रिश्तेदार हो रहे हैं। इस भ्रम से राजनीतिक नफा-नुकसान हो सकता है, पर यह वृहत्तर समाज की सोच को विषैला बना रहा है। इसी साल सितम्बर में भिलाई के खुर्सीपार में कुछ दोस्तों ने मिलकर अपने एक साथी की हत्या कर दी। इस हत्या की वजह महज एक फिल्मी नारे को दोहराना था। इस तरह की घटनाएं पिछले दो दशकों में काफी बढ़ी हैं। मामूली विवाद पर लोग आपा खो रहे हैं और पीट-पीट कर लोगों की हत्या कर रहे हैं। आरोपी नशेड़ी थे और घटना के समय भी नशे में थे। 2012 में दिल्ली के ‘निर्भयाÓ कांड ने पूरे देश को हिला दिया था। ऊपर-ऊपर तो पूरा देश इस घटना के खिलाफ खड़ा था पर इंटरनेट पर वह इस घटना के डीटेल्स और फोटो तलाश रहा था। इस घटना के बाद रेप को लेकर कई कानून बने। पर नतीजा यह निकला की ऐसी घटनाओं में कई गुना का उछाल आ गया। 2012 में एनसीआरबी ने रेप के 24,923 अर्थात प्रतिदिन लगभग 68 मामले रेप के दर्ज किये थे। 2018 में बलात्कार के 33,356 मामले दर्ज किये गये। अर्थात ‘निर्भयाÓ के छह साल बाद रेप के मामले 33 फीसदी बढ़ गए। इससे पहले 2016 में प्रतिदिन औसतन 106।7 बलात्कार दर्ज किये गये। भारत श्रुत परम्पराओं का देश है। हमें सैकड़ों साल का इतिहास और सात पुश्तों के नाम याद हैं। फिर भी हम ऐसी घटनाओं पर यकीन कर लेते हैं जिनके बारे में पहले कभी नहीं सुना। यही सोशल मीडिया का जादू है। मानसिक रोगों का यह सबसे बड़ा कारण है।
Gustakhi Maaf: हर अपराध के पीछे मानसिक रोग का हाथ
