भिलाई। भाजपा में टिकट को लेकर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में पार्टी की जो दूसरी कथित अथेंटिक सूची जारी हुई थी, उसे लेकर शीर्ष संगठन ने प्रदेश के नेताओं को आड़े हाथों लिया है। इधर, खबर आ रही है कि लीक हुई दूसरी सूची में शामिल ज्यादातर दावेदार दिल्ली में डेरा डाले हैं। वहीं प्रदेश और राष्ट्रीय संगठन से जुड़े कई अन्य लोगों ने भी शीर्षस्थ नेताओं से मुलाकात कर दूसरी सूची के नामों पर आपत्ति जाहिर की है। इनमें एक प्रमुख नाम राज्यसभा सांसद सरोज पाण्डेय का है। बताया जाता है कि सुश्री पाण्डेय दूसरी सूची लीक होने के बाद से ही दिल्ली में है। उनके किसी भी समर्थक को टिकट नहीं दिया गया है। जबकि वे स्वयं भी टिकट की दावेदार हैं।
भाजपा के बेहद पुख्ता सूत्रों के मुताबिक, जो दूसरी सूची हाल ही में लीक हुई है, इसी सूची पर सीईसी ने मुहर लगा दी थी। लेकिन दिल्ली से रायपुर लौटने के दौरान ही प्रादेशिक नेताओं से हुई चूक के चलते यह सूची मीडिया में जारी हो गई और बवाल मच गया। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, अब तक प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव के अलावा किसी भी सीनियर नेता ने इस सूची का खंडन नहीं किया। बताते हैं कि जिस दिन से यह सूची जाहिर हुई, उसके बाद से प्रदेश प्रभारी ओम माथुर बेहद नाराज हैं और अब छत्तीसगढ़ से दूरियां बनाकर चल रहे हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ के नेताओं का फोन उठाना भी बंद कर दिया है। गुरूवार रात शीर्ष नेताओं के साथ प्रदेश के कुछ चुनिंदा नेताओं की बैठक हुई है। इस बैठक में सूची लीक होने को बेहद गम्भीर बताते हुए मामले की जांच को कहा गया है। इसी बैठक में यह भी तय किया गया है कि करीब दो दर्जन सीटों पर फिर से सर्वे कराया जाएगा। जिन सीटों पर प्रत्याशियों का विरोध हो रहा है, उनमें सामरी, सीतापुर, लैलूंगा, सारंगढ़, कटघोरा, जैजेपुर, पामगढ़, महासमुंद, बिलाईगढ़, दुर्ग शहर, धरसीवां, रायपुर उत्तर, रायपुर ग्रामीण, आरंग, बिंद्रानवगढ़, नवागढ़, गुंडरदेही, संजारी बालौद, पंडरिया, कोटा और तखतपुर की सीटों में प्रत्याशियों का विरोध हो रहा है।
सूची कैसे लीक हुई, नहीं बता पाए
गुरूवार को प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष अरुण साव और संगठन महामंत्री पवन साय की चुनाव प्रभारी ओम माथुर ने जमकर क्लास ली। उन्होंने दोनों से पूछा कि आखिर सूची लीक कैसे हो गई? दोनों नेताओं के पास इसका कोई जवाब नहीं था। यह बैठक माथुर के निवास पर ही रखी गई थी। जब उत्तर नहीं मिला तो माथुर ने साफ कहा कि शीर्ष नेताओं की बैठक के नतीजे बाहर लीक होना बेहद गंभीर मसला है। इसलिए जरूरी है कि इसकी जांच हो। दरअसल, यह पूरा खेल प्रदेश के एक बड़े भाजपा नेता का खेला हुआ बताया जा रहा है। इस नेता को इस बार बैठक के लिए नहीं बुलाया गया। जबकि इससे पहले चुनाव संबंधी प्रत्येक बैठक में वे मौजूद रहे थे। इधर, प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने फिर कहा है कि जो सूची लीक हुई है, वह पार्टी की अधिकृत सूची नहीं थी। लेकिन यहां सवाल उठ रहा है कि यदि यह सूची अधिकृत नहीं थी तो पार्टी के शीर्ष नेताओं में हड़कम्प की स्थिति क्यों है? वे इस मामले की जांच की बात क्यों कह रहे हैं?

कौन विरोधी, क्यों विरोध
कल की बैठक के बाद यह तय किया गया है कि जिन प्रत्याशियों का विरोध हो रहा है, उसकी वास्तविक स्थिति का पता किया जाए। इसके अलावा विरोध कौन लोग कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं, इसकी भी पड़ताल हो। जिसे प्रत्याशी बनाया गया है, क्षेत्र में उसकी कितनी पकड़ है और नतीजों को कितना प्रभावित कर सकते हैं, इसकी भी पतासाजी की जाएगी। इधर, पता चला हैं कि प्रदेश में प्रत्याशियों के व्यापक विरोध के बाद करीब दो दर्जन नामों पर पुनर्विचार करने का निर्णय हुआ है। इनमें से ज्यादातर प्रत्याशियों को बदले जाने की बातें भी कही जा रही है। हाल ही में सिंधी व गुजराती समाज ने टिकट वितरण पर नाराजगी जताई थी। इसके अलावा साहू समाज ने भी टिकट वितरण में उपेक्षा का लगाया था और चुनाव में समर्थन नहीं करने की धमकी तक दे डाली थी। इसके अलावा प्रत्याशियों के नाम सामने आने के बाद कार्यकर्ताओं में भी बेहद आक्रोश है। इन हालातों ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है।
सरोज दिल्ली में, शीर्ष नेताओं से की चर्चा
इधर, खबर है कि राज्यसभा सांसद व पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पाण्डेय ने दिल्ली में शीर्षस्थ नेताओं से छत्तीसगढ़ के राजनीतिक हालातों पर चर्चा की है। दुर्ग जिला सुश्री पाण्डेय की कर्मभूमि है, लेकिन जो सूची जारी की गई है, उसमें उनके किसी भी समर्थक को टिकट नहीं दी गई है। जबकि बताते हैं कि सरोज पाण्डेय ने जिले की आधी सीटें अपने समर्थकों के लिए मांगी थी। सरोज दुर्ग शहर की दो बार महापौर रही हैं, वहीं वैशाली नगर क्षेत्र से वे विधायक भी रह चुकीं हैं। वे दुर्ग लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी निर्वाचित हुईं थीं। इस आधार पर पूरे क्षेत्र में उनका खासा जनाधार है। इधर, गुरूवार को चुनाव प्रभारी ओम माथुर द्वारा बुलाई गई बैठक से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की गैरमौजूदगी भी चर्चा में है। उन्हें इस बैठक में बुलाया ही नहीं गया था।