भिलाई। प्रत्याशियों को तैयारियों के लिए वक्त देने इस बार राजनीतिक दलों ने जल्द प्रत्याशी घोषित करने की कवायद शुरू की थी, लेकिन भाजपा में जहां पहली सूची जारी होने के बाद दूसरी सूची का इंतजार बढ़ता जा रही है, वहीं कांग्रेसियों को अब भी प्रत्याशियों की पहली सूची की प्रतीक्षा है। बताते हैं कि भाजपा ने छत्तीसगढ़ के प्रत्याशियों के लिए दूसरी सूची तैयार कर रखी है, उस पर सिर्फ सीईसी की मंजूरी का इंतजार है। कांग्रेस प्रत्याशियों की पहली सूची के बारे में फिलहाल रायपुर से लेकर दिल्ली तक खामोशी पसरी हुई है। जानकारों की मानें तो कांग्रेस प्रत्याशियों का ऐलान माहांत तक हो सकता है।
भाजपा ने 17 अगस्त की शाम अचानक ही 21 उम्मीदवारों की सूची जारी कर सनसनी फैला दी थी। राज्य के इतिहास में यह पहला अवसर था, जब किसी राजनीतिक दल ने चुनाव से 3 महीने पहले ही ऐसे समय में प्रत्याशी घोषित कर दिए, जब चुनाव तारीखों का भी अता-पता न था। पहली सूची में पार्टी ने कठिन सीटों का चयन किया, जहां उसे जीतने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। इस सूची में प्रदेश की सबसे हाई प्रोफाइल सीट पाटन भी थी, जहां से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल चुनाव लड़ते हैं। पार्टी ने यहां से सांसद विजय बघेल को प्रत्याशी बनाया है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, भाजपा ने सभी 90 सीटों पर होमवर्क कर रखा है। लेकिन प्रत्याशियों का ऐलान चरणबद्ध तरीके से ही होगा। दिल्ली में पीएम मोदी समेत सीईसी के अन्य लोगों की व्यस्तता के चलते पखवाड़ेभर से दूसरी सूची अटकी पड़ी है। नए संसद भवन का उद्घाटन, महिला आरक्षण बिल समेत कई तरह के बड़े कामों की वजह से भी पार्टी के शीर्षस्थ नेता एकजुट नहीं हो पा रहे हैं। इधर, राज्य में फिर से सत्ता में आने का भरोसा पाले बैठी कांग्रेस पार्टी को भी अपने प्रत्याशियों का इंतजार है। पार्टी ने निचले स्तर से उम्मीदवारों के नाम मंगवाए थे। माना जा रहा था कि जो सिस्टम तैयार किया गया है, उस पर अमल करने से प्रत्याशियों का ऐलान करने में आसानी होगी। लेकिन कांग्रेस में टिकट वितरण की प्रक्रिया कभी भी आसान नहीं रही है। ब्लाक और जिले से प्रदेश स्तर पर गए आवेदनों पर प्रदेश चुनाव समिति में अड़ंगा लगा। कई दौर की बातचीत राजीव भवन से लेकर सीएम हाउस तक में हुई। चुनाव समिति के अध्यक्ष अजय माकन की मौजूदगी में भी कई बैठकें हुई, लेकिन सारी प्रक्रिया ठंडे बस्ते में चली गई।
दरअसल, पार्टी के लोग मानकर चल रहे थे कि प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में नाम तय कर लिए जाएंगे और उसके बाद सिर्फ हाईकमान की मंजूरी की जरूरत होगी। यह सब सिलसिलेवार तरीके से चलता तो कांग्रेस प्रत्याशियों की सूची भी कब की जारी हो चुकी होती। लेकिन सबसे बड़ा पेंच स्थानीय और प्रादेशिक स्तर पर कराए गए सर्वे की केन्द्रीय स्तर के सर्वे से तुलना में फंस गया। प्रदेश स्तर पर ऐसा माना जा रहा था कि जो नाम यहां तय होंगे, उसे ही हाईकमान भी मंजूरी दे देगा। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। दिल्ली में बैठे नेताओं ने यह बताने में तनिक भी देरी नहीं की कि अंतिम फैसला उन्हीं के हाथों में है। इधर, खबर आ रही है कि भाजपा जल्द ही प्रत्यशियों की दूसरी सूची भी जारी कर सकती है। वहीं कांग्रेसियों का इंतजार लम्बा होता जा रहा है। हालांकि सभी संभावित दावेदारों, खासकर विधायकों ने स्वयं को प्रत्याशी मानकर तैयारियां शुरू कर दी है। पार्टी इस बार अपने दर्जनभर से ज्यादा विधायकों के टिकट काट सकती है।

कई बार टला ऐलान
भाजपा ने दूसरी सूची के लिए दो बार कवायद की। पिछली बार तो प्रादेशिक नेताओं को दिल्ली ले जाने चार्टर्ड प्लेन तक भेजा गया। सीईसी की बैठक भी बुलवा ली गई, लेकिन अंतिम समय में छत्तीसगढ़ के नेताओं को वापस भेज दिया गया। फिलहाल पार्टी छत्तीसगढ़ के दो अलग-अलग सिरों से परिवर्तन यात्रा निकाल रही है। वहीं दिल्ली में संसद का संक्षिप्त सत्र चल रहा है। इसलिए इस बात की संभावना फिलहाल नहीं है कि सत्र के दौरान ही भाजपा अपने प्रत्याशियों का ऐलान करे। प्रत्याशियों को 2-4 दिन और इंतजार करना पड़ेगा। बताते हैं कि दूसरी खेप के लिए कुल करीब 30 सीटों की सूची तैयार की गई है। इन्हीं में से ही प्रत्याशियों की घोषणा आने वाले दिनों में की जाएगी। पार्टी के जानकारों की मानें तो संभवत: यह सूची 23 सितम्बर को जारी हो सकती है। सीईसी की बैठक 22 सितम्बर के बाद होगी।
ये सीटें हैं सूची में
भाजपा की दूसरी सूची में जिन सीटों को शामिल किया गया है, उनमें कोंटा, चित्रकोडट, कोंडागांव, केशकाल, भानुप्रतापपुर, संजारी बालोद, दुर्ग ग्रामीण, अहिवारा, रायपुर ग्रामीण, जैजेपुर, पत्थलगांव, अंबिकापुर, पाली तानाखार, सीतापुर, सामरी, लोरमी, बसना, साजा, बिलाईगढ़, पामगढ़, सारंगढ़ और सक्ती शामिल है। 14 सितम्बर को जब पीएम मोदी का रायगढ़ दौरा तय किया गया, तब इन सीटों में से ही प्रत्याशी घोषित करने की बातें कही गई थी। पहली सूची जारी होने के समय केंद्रीय चुनाव समिति में 52 सीटों पर मंथन हुआ था। इसमें बी, सी और डी कैटेगरी की सीटें थी। बी यानी एक हारी, सी यानी दो बार हारी और डी यानी कभी नहीं जीती हुईं सीटें। दूसरी सूची वाली भी बी, सी, डी कैटेगरी की है।