-दीपक रंजन दास
अजीब हालात हैं देश के। केन्द्र की भाजपा सरकार की जिस भी बात को कोई राज्य स्वीकार न करे, वही घोटाला। केन्द्र ने धान खरीदी में बायोमेट्रिक्स लागू किया। छत्तीसगढ़ समेत कुछ राज्यों ने इसकी दिक्कतों की तरफ केन्द्र का ध्यान आकर्षित किया है। इससे धान खरीदी बिक्री में अफरातफरी का माहौल बनेगा। भाजपा यही तो चाहती है। भाजपा नेता धरमलाल कौशिक ने सीधा आरोप लगाया है कि राज्य सरकार ने 5 हजार करोड़ का चावल घोटाला किया है। हो सकता है घोटाला हुआ हो। यह भी हो सकता है कि घोटाला न हुआ हो। पर आरोप लगाने से पहले कौशिक को बताना चाहिए कि लगातार 15 साल तक छत्तीसगढ़ पर शासन करने के दौरान उसने ऐसा क्या किया कि जनता ने उसे बुहार कर रख दिया। ऐसा क्या किया था रमन सरकार ने कि उसके सारे कद्दावर नेता भी चार साल तक चुप्पी साधकर बैठे रहे। भाजपा के 15 साल और भूपेश सरकार के लगभग पांच साल की तुलना करें तो ऐसा लगता है कि भाजपा के पास न तो कोई योजना थी और न ही कोई सोच। जिन सपनों को लेकर छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ था, उन सपनों की तरफ तो उसने कभी मुड़कर भी नहीं देखा। बस सत्ता सुख लेती रही। जब जनता ने कूड़ेदान में डाल दिया तब जाकर उसे होश आया है। पिछले साढ़े चार साल से देश छत्तीसगढ़ की नई योजनाओं को देख रहा है, उसकी पीठ थपथपा रहा है। छत्तीसगढ़ की भाषा, खान-पान, पहनना-ओढऩा, धार्मिक सामाजिक विरासत को भी अब दुनिया देख रही है। चिकित्सा, शिक्षा, आवास सभी क्षेत्रों में प्रगति हो रही है। निचले तबके के लोगों का जीवन आसान हुआ है। जनता और उसकी जरूरत से कटी हुई पार्टी के पास कोई मुद्दा हो भी तो कैसे? भूपेश बघेल स्वयं किसान हैं। इसलिए उन्हें भूजल की चिंता है, गौधन की चिंता है, किसानों की उपज की चिंता है, वनोपज संग्राहकों की चिंता है। छत्तीसगढ़ की राजनीति में जो भी आया वह मालामाल हो गया। नेताओं और उनके खास लोगों ने निजी स्कूल कालेज खोल लिये। अपने बच्चों को पढऩे के लिए बाहर भेज दिया। यह भूपेश बघेल की सरकार है जो सभी लोगों की उत्कृष्ट शिक्षा का प्रबंध कर रही है। फकत चार साल में 400 से ज्यादा आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालयों की स्थापना कर उन्होंने जता दिया है कि वे शिक्षा के निजीकरण के भी सख्त खिलाफ हैं। चिकित्सा का रुख सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कालेजों की ओर मोडऩे की भी वे भरसक कोशिशें कर रहे हैं। पर भाजपा ऐसा नहीं होने देना चाहती। इससे उसके ऐसे तमाम नेताओं के पेट में दर्द उठ रहा है जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भारी भरकम निवेश कर रखा है। इसलिए वह आरोप पर आरोप लगा रही है। कभी शराब घोटाला, कभी चावल घोटाला तो कभी गोबर घोटाला। पर जनता सब जानती है। उसे जुमलेबाजी और कामकाज का फर्क भी मालूम है।
Gustakhi Maaf: पांच हजार करोड़ का चावल घोटाला
