बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले में सुनवाई करते हुए संशोधन को चुनौती देने वाली एक रिट याचिका में कहा है कि यह वैध है क्योंकि यह सरकार का नीतिगत निर्णय है और अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।
दरअसल छत्तीसगढ़ के स्कूली शिक्षा विभाग द्वारा जारी शिक्षक की भर्ती के लिए दिनांक 04.05.2023 की अधिसूचना और विज्ञापन को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई थी। जारी अधिसूचना को चुनौती देने का मुख्य आधार शिक्षक के संबंधित विषयवार पद के लिए आवश्यक विषयवार स्नातक की डिग्री को गायब करना है। अधिसूचना के अनुसार, संस्कृत में स्नातक उम्मीदवार किसी स्कूल में गणित पढ़ा सकता है और इसके विपरीत अधिसूचना को इस आधार पर भी चुनौती दी गई कि केवल विधायी संशोधन के माध्यम से 2019 के नियमों में आवश्यक संशोधन लाया जा सकता है। विभागीय अधिसूचना और कैबिनेट नोट विधायी अधिनियम को खत्म नहीं कर सकते।
इस मामले में याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष विशेष अनुमति याचिका दायर की है, जिसमें उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि अधिसूचना और विज्ञापन प्रारंभिक वर्षों में राज्य में शिक्षा के मानक को कम कर रहे हैं। बाल शिक्षा जो बाल विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि अक्षम शिक्षक उन्हें सौंपा गया विषय पढ़ाएगा। अधिसूचना से शिक्षा की गुणवत्ता में कमी आएगी। यह अधिसूचना शिक्षा के अधिकार अधिनियम का भी उल्लंघन है क्योंकि राज्य सरकार द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता किया गया है।
यह भी तर्क दिया गया कि नियमों में संशोधन केवल विधान सभा द्वारा किया जा सकता है और विभाग की अधिसूचना या कैबिनेट भर्ती नियम 2019 में संशोधन नहीं कर सकती है,यह संशोधन राज्य और केंद्र के शिक्षा नियम के लक्ष्य और उद्देश्य के अनुरूप नहीं है। यह बच्चों के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाने के मौलिक अधिकार का गंभीर उल्लंघन है। दलीलों पर विचार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है और याचिका के साथ दायर स्थगन आवेदन पर भी नोटिस जारी किया है। राज्य सरकार को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष चार सप्ताह के भीतर याचिका का जवाब दाखिल करना होगा और स्थगन आवेदन देना होगा।