भिलाई। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे 8 सितम्बर को छत्तीसगढ़ आ रहे हैं। उनका राजनांदगांव में कार्यक्रम है। कांग्रेस के प्रत्याशियों की पहली सूची इसके बाद यानी 8 अक्टूबर या उसके बाद आएगी। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन में रविवार को पार्टी की हुई बैठक में प्रत्याशियों के नामों पर देर रात तक मंथन होता रहा, लेकिन फैसला नहीं लिया जा सका। चुनाव समिति की सोमवार दोपहर फिर बैठक रखी गई। बताते हैं कि कल देर रात तक चली बैठक में इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति थी कि ब्लाक से आए नामों पर जिला कमेटी ने कैंची चला दी गई। जिलाध्यक्षों द्वारा अपने स्तर पर पैनल तैयार करने और मन मुताबिक सिंगल नाम का पैनल भेजने को लेकर भी चर्चा हुई। हालांकि पीसीसी चीफ दीपक बैज ने पहले ही सभी दावेदारों के नाम मंगवा रखे थे।
रविवार को अधूरी रह गई बैठक को आज फिर सीएम हाउस में रखा गया। चुनाव समिति की इस बैठक में नामों के पैनल तैयार किए जाएंगे। जानकारों के मुताबिक, कांग्रेस की पहली सूची में 35 से 40 नाम हो सकते हैं। बताया जाता है कि प्रदेश चुनाव समिति की मंशा थी कि भाजपा द्वारा प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करने के बाद कांग्रेस भी पहली सूची जल्द से जल्द जारी कर दे। लेकिन अब इसमें थोड़ा विलम्ब हो सकता है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे 8 सितम्बर को राजनांदगांव आ रहे हैं। उसके बाद ही स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक होगी। इस कमेटी की बैठक के बाद ही प्रत्याशियों के नाम दिल्ली भेजे जाएंगे। इसके बाद ही प्रत्याशियों की सूची जारी की जाएगी।
जिला कमेटियों की मनमानी पर नाराजगी
कांग्रेस चुनाव समिति की कल हुई बैठक में जिला कमेटियों की मनमानी पर नाराजगी जाहिर की गई। दरअसल, ब्लाक स्तर से आए दावेदारों के आवेदनों को कई जिला कमेटियों ने शार्ट लिस्ट कर दिया था। कई कमेटियों ने तो मनमानी करते हुए सिंगल नाम ही पीसीसी को भेजे, जबकि उन्हें 5-5 नामों का पैनल बनाकर भेजना था। बताया जाता है कि प्रदेश चुनाव समिति की लम्बी चली बैठक में अधिकांश वक्त इसी माथापच्ची में बीत गया। चुनाव समिति के कई सदस्यों ने संदेह जताया कि इससे कार्यकर्ताओं में स्थानीय स्तर पर नाराजगी फैल सकती है और इसका सीधा असर चुनाव के नतीजों पर होगा।

दावेदारों ने जताई आपत्ति तो मिला जवाब
रविवार दोपहर को राजीव भवन में टिकट के दावेदार बड़ी संख्या में पहुंचे और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा व पीसीसी चीफ व चुनाव समिति के संयोजक दीपक बैज के समक्ष आपत्ति जताई कि उनके नाम जब नीचे से आए तो जिला कमेटियों ने स्क्रूटनी कैसे कर दी। जब क्षेत्र में एकाधिक दावेदार थे तो सिंगल नाम ही पीसीसी को क्यों भेजे गए? इन आपत्तियों पर संज्ञान लेते हुए बैज ने सिंगल नाम आने का मतलब यह नहीं है कि उन सीटों पर टिकट पक्की हो गई। सिंगल नाम वाले क्षेत्रों में और भी नाम जोड़े जा सकते हैं। शर्त सिर्फ यह है कि जोड़े जाने वाला नाम उपयुक्त हो।