-दीपक रंजन दास
धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है तो वह भारत में है। समग्र दृष्टि से देखा जाए तो नदी-नालों, पर्वत-टीलों, जंगल, खेत और घास मैदानों से परिपूर्ण इस धरती पर लोगों ने स्वर्ग का जीवन ही जिया है। यह न केवल हजारों प्रजातियों के जीव-जंतुओं का घर है बल्कि वनस्पतियों की भी सैकड़ों किस्में यहां उपलब्ध है जो जीवनधारण से लेकर औषधि और पथ्य तक के काम आती हैं। यही वजह है कि भारत भूमि में पैदा हुए लोगों को जीवन संघर्ष में नहीं उलझना पड़ा और वे खगोलशास्त्र, चिकित्सा विज्ञान से लेकर समाज शास्त्र और मनोविज्ञान जैसे विषयों पर भी शोध करने में सफल रहे। भारत को देवभूमि भी कहा गया है। पर अब भगवानों की भी छंटनी शुरू हो गई है। देश में केवल तीन ही ईमानदार बचे हैं, बाकी सब-के-सब चोर हैं। यह हम नहीं कह रहे, लोगों ने यह सर्टिफिकेट खुद ही अपने-आप को दिया है। देश में एक ही व्यक्ति है जो चोर-उचक्कों की नकेल कस सकता है। जिस तरह सभी देवी-देवताओं ने मिलकर मां दुर्गा की रचना की थी, उसी तरह कारपोरेट सरकार ने एक व्यक्ति को सर्वशक्तिमान बना दिया है। इस आदमी के सर्विस एक्सटेंशन को देश की सर्वोच्च न्यायालय ने भी अवैध ठहराया है। बावजूद इसके कोर्ट ने 15 सितम्बर तक इस आदमी को पद पर केवल इसलिए बने रहने दिया ताकि वह विपक्षी राज्यों में फैलाए गए रायते को समेट सके या फिर उसका चार्ज किसी दूसरे योग्य व्यक्ति को सौंप सके। पर दूसरा योग्य व्यक्ति है कहां? इसलिए कारपोरेट सरकार अब इस गुणाभाग में लगी है कि कैसे इस आदमी को बनाए रखा जा सकता है। खबर है कि देश में एक नए पद का सृजन किया जा रहा है जिसे चीफ इनवेस्टिगेटिंग ऑफिसर ऑफ इंडिया या सीआईओ कहा जाएगा। सीआईओ देश की दो प्रमुख जांच एजेंसियों का नेतृत्व करेगा। ये एजेंसियां है ईडी और सीबीआई। सीआईओ सीधे पीएमओ को रिपोर्ट करेगा। इस पद पर देश के इसी एकमात्र ईमानदार व्यक्ति की नियुक्ति की जाएगी। वैसे इस पद का नाम चीफ इनवेस्टिगेटिंग एजेंसी (सीआईए) ही होता पर क्या करें, अमेरिका का सीआईए (सेन्ट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी) काफी बदनाम रहा है। वैसे सीआईए किसी राजनीतिक दल नहीं बल्कि अमेरिका के हित में ही काम करता है। पर यहां तो इस एजेंसी को सरकार की रोड ओपनिंग पार्टी की जिम्मेदारी निभानी है। जहां-जहां विपक्ष की सरकार होगी, वहां-वहां इसे भेजा जाएगा। वह सरकार को अस्थिर करने की कोशिश करेगा। किसी को जेल भेजेगा तो किसी को कारपोरेट पार्टी की छत्रछाया में लाने की कोशिश करेगा। बहाना है कि सीबीआई और ईडी का कार्यक्षेत्र एक-दूसरे में गुत्थमगुत्था है इसलिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ या नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर की तर्ज पर सीआईओ की जरूरत है। किया तो यह भी जा सकता था कि सीबीआई का ईडी में विलय कर दिया जाता पर फिर इस एक ईमानदार आदमी को एडजस्ट कैसे किया जाता?
Gustakhi Maaf: 21वीं सदी के भारत में बस यही एक भगवान
