नईदिल्ली। नई शिक्षा नीति के तहत देश की एजुकेशन सिस्टम में महत्वपूर्ण बदलाव किया जा रहा है। इसी कड़ी में केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय बोर्ड एग्जाम का नया खाका तैयार किया है। इसके तहत अब 10वीं व 12वीं की परीक्षाएं साल में दो बार होंगी। दोनों परीक्षाओं में से जिसमें छात्र के नंबर ज्यादा होंगे उसे फाइनल माना जाएगा। वहीं अब 11वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स को दो भाषाएं पढ़नी होंगी। इनमें से एक भारतीय भाषा होगी। बुधवार को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। शिक्षा सत्र 2024-25 से इसे लागू किया जाएगा।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बैठक के के बाद बताया नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत बोर्ड परीक्षाओं का नया ढांचा तैयार हो गया है। 2024 के शिक्षा सत्र में किताबें भी इसी के हिसाब से तैयार होंगी। साल में दो बार परीक्षा को लेकर केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि इससे छात्र स्वयं की तैयारियों का मूल्याकंन कर सकेंगे। इससे छात्रों में समझ व मूल्यांकर करने की दक्षता बचेगी और सालभर कोचिंग के झंझट से भी मुक्ति मिलेगी। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान का कहना है कि इस नए पैटर्न से बच्चों का फोकस विषयों पर बना रहेगा।
सिलेबस में भी होंगे बदलाव
नई शिक्षा नीति के तहत सिलेबस में बदलाव की बातें कही गई है। शिक्षा मंत्रालय के अनुसार ऐकेडमिक सेशन 2024 के लिए किताबों में भी बदलाव किया जा रहा है। अब स्टूडेंट्स को भारी-भरकम सिलेबस मुक्ति मिलेगी। नया सिलेबस न्यू एजुकेशन पॉलिसी-2020 को ध्यान में रखकर तैयार किया जाएगा। यही नहीं कोर्स पूरा होने के बाद स्कूल बोर्ड एग्जाम कराने की मांग कर सकेंगे।

राज्य सरकारों को भी जारी होंगे निर्देश
केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय के निर्णय को जल्द ही राज्य सरकारों को भेजा जाएगा। नई शिक्षा नीति का पहले से ही कुछ राज्य विरोध कर रहे हैं। तमिलनाडू व केरल ऐसे राज्य हैं जो नई शिक्षा नीति के विरोध में है। इनमें तीसरा नाम कर्नाटक का भी जुड गया है हालांकि कर्नाटक सरकार ने अधिकारिक तौर पर इसके विरोध को लेकर कोई बयान जारी नहीं किया है।