आपने कभी विटामिन-पी के बारे में सुना है? शायद नहीं क्योंकि यह कोई विटामिन नहीं है, बल्कि एक शब्द है और इसका उपयोग पौधों के यौगिकों के एक समूह के लिए किया जाता है। इसे फ्लेवोनोइड्स के रूप में जाना जाता है। फ्लेवोनोइड्स खाद्य पदार्थों को रंग देते हैं और इससे युक्त खाद्य पदार्थों को डाइट में शामिल करने से कई स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं।
फ्लेवोनोइड्स को विटामिन- पी क्यों कहा जाता है?
जब वैज्ञानिकों ने साल 1930 में इसे पहली बार संतरे से निकाला था, तब फ्लेवोनोइड्स को विटामिन- पी कहा जाता था क्योंकि तब इसे एक नए प्रकार का आवश्यक विटामिन माना गया था। हालांकि, जैसे-जैसे वैज्ञानिक ज्ञान उन्नत हुआ, यह स्पष्ट हो गया कि ये विटामिन के रूप में योग्य नहीं हैं। इसी कारण विटामिन- पी को फ्लेवोनोइड्स का नाम दिया गया और अब इसको पौधों में पाए जाने वाले लाभकारी फाइटोकेमिकल्स के समूह के रूप में मान्यता प्राप्त है।
क्या हैं फ्लेवोनोइड्स?
फ्लेवोनोइड्स 6,000 से अधिक किस्म के पौधों के यौगिकों का एक विविध समूह है और पौधों के जीवन और अस्तित्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पौधों में इनकी उपस्थिति के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें संक्रमण को रोकना, पौधों को सूरज और पर्यावरणीय तनाव से बचाना और परागण के लिए कीड़ों को आकर्षित करना आदि शामिल हैं। इसके अलावा फ्लेवोनोइड्स जामुन, चेरी और टमाटर जैसे फलों और सब्जियों को गहरे और जीवंत रंग भी प्रदान करते हैं।
फ्लेवोनोइड्स से मिलने वाले लाभ
फ्लेवोनोइड्स विभिन्न स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं। इसका कारण है कि ये एंटी-ऑक्सीडेंट्स जैसी प्रतिक्रिया प्रकट करते हैं।ये मस्तिष्क कोशिकाओं की रक्षा करके मानसिक स्वास्थ्य को स्वस्थ रख सकते हैं। इसके अलावा फ्लेवोनोइड्स का सेवन टाइप-2 मधुमेह के जोखिम कम करने में भी सहायक है और फ्लेवोनोइड्स से हृदय रोग का खतरा भी कम हो सकता है।यही कारण है कि आपको विभिन्न रंग के खाद्य पदार्थ खाने चाहिए।
फ्लेवोनोइड्स के स्रोत
फ्लेवोनोइड्स पीले, नारंगी और लाल रंगों की सब्जियों और फलों में होते हैं। साथ ही ये आम, खुबानी, संतरे और अंगूर जैसे खट्टे फलों में भी पाए जाते हैं। इसके अन्य स्रोतों में नींबू और चेरी शामिल हैं। सब्जियों में गाजर, टमाटर, मिर्च, ब्रोकोली, प्याज और ओरिगैनो फ्लेवोनोइड्स से युक्त होते हैं। फ्लेवोनोइड्स को 70 प्रतिशत से अधिक कोको सामग्री के साथ ग्रीन टी, रेड वाइन और डार्क चॉकलेट से भी प्राप्त किया जा सकता है।
फ्लेवोनोइड्स की कमी से होने वाले नुकसान
शरीर में विटामिन- सी के उचित अवशोषण के लिए फ्लेवोनोइड्स जरूरी हैं। कमजोरी, थकावट, मांसपेशियों में दर्द, मसूड़ों से खून आना और मुंह में दरारें होना आदि लक्षण भी तभी सामने आते हैं, जब शरीर में फ्लेवोनोइड्स की कमी होती है। चेहरे की झुर्रियों के आसपास हल्का-हल्का रक्तस्राव दिखना भी फ्लेवोनोइड्स की कमी का संकेत हो सकता है। इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें और डॉक्टर से संपर्क करें।