आंगनबाड़ी केंद्र दशरंगपुर में स्तनपान दिवस समारोह में कहा अजा विकास प्राधिकरण सदस्य रत्नावली कौशल ने
मुंगेली। नवजात बच्चों के लिए मां का दूध अमृत के समान होता है। हर जच्चा महिला को चाहिए कि वह अपने बच्चे को सबसे पहले अपना ही दूध पिलाए। इससे बच्चे की सेहत को तो फायदा होता ही है, मां और संतान के बीच रिश्ते में आत्मीयता भी घुलती है। यह विज्ञान आधारित अकाट्य सत्य है।
उक्त भावपूर्ण एवं प्रेरक उदगार अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण छत्तीसगढ़ शासन सदस्य एवं महिला कांग्रेस कमेटी कमेटी प्रदेश महासचिव रत्नावली कौशल ने मुंगेली जिले के ग्राम दशरंगपुर के आंगनबाड़ी केंद्र में विश्व स्तनपान दिवस पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि की आसंदी से व्यक्त किए। आरंभ में शिशुवती माताओं, महिला पंचों और आंगनबाड़ी कार्यकत्र्ताओं तथा सहायिकाओं ने कांग्रेस नेत्री सुश्री कौशल का आत्मीय स्वागत किया। समारोह को संबोधित करते हुए हिन्द सेना महिला ब्रिगेड राष्ट्रीय अध्यक्ष रत्नावली ने कहा कि इस संसार में सबसे पवित्र और सर्वाधिक आत्मीयता से ओतप्रोत कोई रिश्ता है, तो वह एक मां और उसकी संतान के बीच का रिश्ता है। एक मां नौ माह तक अपनी कोख में संतान को भ्रूण से लेकर पूर्ण शरीर के रूप में विकसित होते तक रखती है। जब बच्चा अपने मां के गर्भ से बाहर इस दुनिया में आता है, तो सबसे पहले उसे अपनी मां के ममत्व भरे हाथों का स्नेहिल स्पर्श प्राप्त होता है। मां भी अपने नवजात बच्चे की किलकारी सुनकर प्रसव पीड़ा को भूल जाती है। यहीं से मां और संतान के रिश्ते में नई मधुरता और स्नेहशीलता घुलना शुरू हो जाती है। बच्चा अपनी मां की आवाज और उसके हाथों की थपकी को बखूबी पहचानने लग जाता है। जब बच्चा इस दुनिया में आने के बाद पहली बार जो आहार ग्रहण करता है, वह मां का दूध ही होता है।
सुश्री कौशल ने कहा कि मां का दूध बच्चे के लिए अमृततुल्य रहता है। मां के दूध में उन तमाम पोषक तत्वों की प्रचुरता रहती है, जिनकी जरूरत हर नवजात को होती है। सुश्री कौशल ने इस बात पर दुख जताया कि आधुनिकता की अंधी दौड़ में आज की माताएं अपने बच्चों को स्तनपान कराने से बचती हैं। ऐसी माताओं को अपनी संतान की सेहत से ज्यादा चिंता अपनी बॉडी फिगर बिगड़ जाने की रहती है। उन्होंने कहा कि माताओं को अपनी बॉडी फिगर के बजाय अपने बच्चे के हेल्दी फ्यूचर की चिंता करनी चाहिए। सुश्री कौशल ने कहा कि बच्चा स्वस्थ रहेगा, तो घर परिवार चिंतामुक्त रहेगा, अनावश्यक आर्थिक बोझ परिवार पर नहीं आएगा। इसलिए माताएं स्तनपान की अहमियत समझें। उन्होंने कहा कि प्राचीनकाल के मनीषी और आज के वैज्ञानिक भी मां के दूध के महत्व का बखान करते रहे हैं। मां के स्तन से दूध पीने पर बच्चे को फौरी राहत और ताकत मिलती है, उसमें मां के प्रति लगाव निरंतर बढ़ते जाता है। वहीं एक मां को स्तनपान कराने पर जो दिली तसल्ली और आत्मीय सुख मिलता है, उसका इस दुनिया में कोई मोल नहीं है। कार्यक्रम में मौजूद स्वास्थ्य विभाग की स्टॉफ नर्स श्यामा ने भी स्तनपान के महत्व की जानकारी उपस्थित महिलाओं को दी।

राज्य में जच्चा – बच्चा मृत्यु दर सबसे कम
वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री रत्नावली कौशल ने कहा कि हमारे संवेदनशील मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम किए हैं। राज्य में सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने ऐसी व्यवस्थाएं कर रखी हैं कि आज गांव गांव में गर्भधारण के शुरूआती दिनों से ही गर्भवती महिलाओं और गर्भस्थ शिशु की सेहत का पूरा ध्यान रखा जाता है। आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से गर्भवती महिलाओं को पोषक आहार उपलब्ध कराया जा रहा है। नर्स दीदियां और मितानिन बहनें ऐसी महिलाओं की नियमित देखभाल करती हैं। प्रसव का क्षण करीब आते ही उन्हें डिलवरी के लिए नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करा दिया जाता है। स्वास्थ्य केंद्रों में सुरक्षित प्रसव कराए जाने से जच्चा बच्चा दोनों की प्राण रक्षा हो जाती है। भूपेश बघेल सरकार की सार्थक पहल का ही सुफल है कि आज हमारे छत्तीसगढ़ में जच्चा बच्चा मृत्यु दर राष्ट्रीय स्तर पर सबसे कम है। सुश्री कौशल ने कहा कि प्रसव के बाद भी हमारी सरकार माता और संतान के स्वास्थ्य की नियमित जांच कराती है और आवश्यक दवाइयां उपलब्ध कराती हैं। उन्होंने उपस्थित महिलाओं से दो से ज्यादा संतान पैदा न करने, बेटा और बेटी में भेद न करने तथा भूपेश बघेल सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ उठाने की अपील की। इस दौरान धरमपूरा क्षेत्र की सुपरवाइजर ऊषा कश्यप आंगनबाड़ी कार्यकत्र्ता सुलेखा कुर्रे, मीना माहले, बोधनी बघेल, द्रौपदी मानिकपुरी, गीता यादव, नेहा बंजारे, राजिम यादव, अर्चना बंजारे, मितानिन उत्तरा यादव, ननकी बाई रात्रे, दीपबाई, सतवंती समेत बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित थीं।