भिलाई (श्रीकंचनपथ न्यूज़ )। अहिवारा विधानसभा क्षेत्र, दुर्ग जिले का सबसे बड़ा क्षेत्र है। करीब सवा दो लाख मतदाताओं वाले इस क्षेत्र में 2018 में परिवर्तन की लहर चली तो लोगों ने आयातीत प्रत्याशी को अपनाकर भाजपा को यह संदेश दिया कि काम नहीं करोगे तो बदल दिए जाओगे। लेकिन इस बदलाव के बाद भी अहिवारा क्षेत्र के नागरिक स्वयं को ठगा-सा महसूस कर रहे हैं। 5 साल बीतने को है, लेकिन विकास की बाट जोह रहे अहिवारा की अपेक्षाएं अधूरी है। क्षेत्र के विधायक रूद्रकुमार गुरू पर लापता का टैग लगाकर सवाल पूछा जा रहा है कि प्रदेश में दमदार मंत्री होने के बाद भी काम क्यों नहीं हुए? इस क्षेत्र में कांग्रेस की स्थिति खराब बताई जा रही है। शायद यही वजह है कि पहले आरंग और फिर अहिवारा से चुनावी भाग्य आजमाने वाले रूद्र गुरू के नवागढ़ पलायन की खबरें आ रही है।
करीब 45 फीसदी सतनामी आबादी वाले अहिवारा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व वर्तमान में समाज के गुरू रूद्रकुमार करते हैं। 2008 में पहली बार रूद्र गुरू आरंग क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए थे। 2013 के चुनाव में वे अपना विजय अभियान जारी नहीं रख पाए। इसके बाद 2018 में कांग्रेस ने उन्हें अहिवारा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया। चुनाव जीतने के बाद से लेकर अब तक रूद्र गुरू पर कई तरह के आरोप लगे। इनमें सबसे बड़ा आरोप निष्क्रियता का रहा है। क्षेत्र के नागरिकों का आरोप है कि सरकार में दमदार मंत्री रहने के बावजूद वे क्षेत्र का विकास कराने में नाकाम रहे हैं। भाजपा तो यहां तक आरोप लगाती है कि मंत्री पद मिलने के बाद रूद्र गुरू राजयोग भोगने में इतने व्यस्त रहे कि अपने निर्वाचन क्षेत्र को ही भुला बैठे। 2018 में जब गुरू रूद्र कुमार क्षेत्र में सक्रिय हुए तो समाज के स्थानीय लोगों ने कई बैठकें कर आयातीत प्रत्याशी का विरोध जताया था। स्थानीय सतनामियों का आरोप था कि दोनों ही दल हर बार बाहर से प्रत्याशी थोपते हैं। हालांकि अहिवारा के मतदाताओं ने गत चुनाव में भाजपा के तत्कालीन विधायक के ऊपर कांग्रेस के आयातीत प्रत्याशी को ज्यादा तरजीह दी।
2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई अहिवारा सीट पर अब तक कुल 3 चुनाव हुए हैं, जिनमें से 2 बार भाजपा तो 1 बार कांग्रेस ने विजय हासिल की है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित दुर्ग जिले की इस इकलौती सीट से पहली बार भाजपा के डोमनलाल कोर्सेवाड़ा ने जीत हासिल की थी। लेकिन 2013 के चुनाव में पार्टी ने उनकी टिकट काटकर सांवलाराम डाहरे को दे दी। डाहरे ने जीत तो हासिल की, लेकिन अगली बार 2018 में वे अपनी जीत बरकरार रखने में नाकाम रहे और कांग्रेस के रूद्रकुमार गुरू के हाथों पराजित हुए। इन तीनों चुनावों का मजेदार पहलू यह है कि हर बार विधायक पर निष्क्रियता के आरोप लगे और उनके बदलने या पराजित होने के पीछे की मुख्य वजह भी यही रही। इन हालातों में इस बार कांग्रेस विधायक पर लग रहे आरोपों का चुनाव के नतीजों पर क्या असर होता है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।

अहिवारा विधानसभा की बात करें तो यह क्षेत्र पाटन और धमधा के इलाकों को मिलाकर बना। नतीजा यह निकला कि धमधा विधानसभा क्षेत्र विलुप्त हो गया। यहां 2018 की स्थिति में कुल 2 लाख 15 हजार 105 मतदाता थे। करीब 45 फीसदी मतदाता अनुसूचित जाति वर्ग से हैं तो जाहिर है कि सीट को इसी वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है। प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला भी इसी वर्ग की एकजुटता पर निर्भर करता है। हालांकि अहिवारा क्षेत्र में साहू, कुर्मी और ओबीसी वर्ग के मतदाता भी हैं। विगत चुनाव में साहू-कुर्मियों ने भी कांग्रेस का साथ दिया था। प्रदेश में कांग्रेस की बड़ी जीत के पीछे इसकी अहम् भूमिका रही थी, क्योंकि आदिवासी पहले से ही कांग्रेस के साथ थे।
नवागढ़ जाने की चर्चा
विधायक व केबिनेटमंत्री रूद्रकुमार गुरू के क्षेत्र बदलने की चर्चा सर्वत्र है। इसके पीछे कई तरह के तर्क दिए जा रहे हैं। अभी कुछ समय पहले उन्होंने अपना ठिकाना भी बदला है। पिछले विधानसभा चुनाव से ऐन पहले रूद्र गुरू ने भिलाई-3 में कॉलेज के पास अस्थाई रूप से आवास लिया था। इस आवास को उन्होंने पखवाड़ेभर पहले ही छोड़ दिया है और अहिवारा में दूसरा आवास ले लिया है। कहा जा रहा है कि अहिवारा में आवास लेने के पीछे की वजह यह है कि यहां से नवागढ़ करीब पड़ता है। हाल में रूद्र गुरू के जन्मदिन की तामझाम भी नवागढ़ में ज्यादा देखने को मिली थी। इसके अलावा क्षेत्र के लोगों में उनके खिलाफ नाराजगी भी प्रमुख कारण है। जानकारों के मुताबिक, शासन स्तर पर कराए गए सर्वे में भी उनकी स्थिति ठीक नहीं पाई गई है। राजनीतिक के जानकारों का मानना है कि रूद्र गुरू नवागढ़ से चुनाव लड़ सकते हैं। सतनामी समाज प्रारम्भ से ही स्थानीय प्रत्याशी की वकालत करता रहा है। ऐसे में संभावना है कि कांग्रेस इस बार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी सतनामी नेता को प्रत्याशी बना सकती है। गौरतलब यह भी है कि पिछले दिनों रूद्र गुरू अहिवारा से ही चुनाव लडऩे की बात कह चुके हैं।
भाजपा के आरोप
इधर, भाजपा ने स्थानीय विधायक पर क्षेत्र की घोर उपेक्षा का आरोप लगाया है। भाजपाइयों का आरोप है कि विधायक जनता के सुख-दुख में कभी शामिल नहीं हुए। उन्होंने क्षेत्र में विकास का कोई भी काम नहीं कराया। यहां तक कि पंचायतों को एक धेला भी नहीं दिलवा पाए। स्वयं पीएचई मंत्री है, बावजूद इसके उनके अपने क्षेत्र में 1 करोड़ की जल आवर्धन योजना अधूरी है। जिसके चलते लोग पानी को तरसते रहे। रूद्र गुरू पर यह भी आरोप है कि वे जनता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाए। उन पर लापता विधायक का टैग भी भाजपा लगाती रही है। इसके अलावा जन-अपेक्षाएं थी कि ग्रामीण क्षेत्रों को खराब सड़कों से छुटकारा मिलेगा, क्रेशर खदानों में आए दिन होने वाले ब्लास्टिंग पर रोक लगेगी, चहुंओर फैले प्रदूषण का कोई हल निकलेगा, लेकिन ये सारी समस्याएं यथावत् हैं।