नई दिल्ली (एजेंसी)। श्रीलंका की सरकार ने भी भारतीय रुपया को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में मंजूरी दे दी है। अब भारत और श्रीलंका के बीच भारतीय मुद्रा में व्यापार हो सकेगा। इससे भारतीय मुद्रा की अंतरराष्ट्रीय बाजार में उपयोगिता बढ़ेगी। यही नहीं भारतीय नागरिक श्रीलंका में पर्यटन के लिहाज से भी भारतीय मुद्रा का उपयोग कर पाएंगे। इससे व्यापार तो बढ़ेगा ही साथ ही पर्यटन में भी तेजी से विकास होगा।
बता दें श्रीलंका पहला देश नहीं है, जिसने भारतीय मुद्रा को अपने यहां मान्यता दी है। इसके पहले भी कई देश भारतीय रुपए को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दे चुके हैं। भारतीय रुपया ने धीरे-धीरे डॉलर व पाउंड को टक्कर देने की तैयारी कर ली है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के मुताबिक दुनियाभर के 64 देश भारत के साथ रुपए में व्यापार करने के लि बातचीत कर रहे हैं। इसमें जर्मनी, इस्राइल जैसे बड़े देश शामिल हैं। पहली बार यूरोपीय यूनियन में शामिल देश जर्मनी एशिया की किसी मुद्रा यानी भारतीय रुपए के साथ व्यापार करने के लिए आगे आया है।
अमेरिकी डॉलर दुनिया की सबसे ताकतवर मुद्रा
अपको बता दें कि फिलहाल अमेरिकी डॉलर दुनिया की सबसे ताकतवर मुद्रा है। कुल वैश्विक व्यापार में इसकी हिस्सेदारी 80 फीसदी के करीब है। भारत भी विदेशी आयात-निर्यात के लिए डॉलर पर ही निर्भर है। अब इसमें बदलाव हो रहा है जो कि अच्छे संकेत हैं। कई देशों ने भारतीय मुद्रा में लेनदेन की मंजूरी दे दी है और कई देशों से बातचीत भी हो रही है। इससे डॉलर पर निर्भरता घटेगी और रुपया अंतरराष्ट्रीय बाजार में मजबूत होगा।
ऐसे बनेगा रुपया अंतरराष्ट्रीय मुद्रा
जानकार बताते हैं कि भारतीय रुपया को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनने के लिए कम से कम 30 देशों के साथ कारोबार शुरू करना पड़ेगा। यदि विश्व के 30 देश भारतीय रुपए को व्यापार के लिए मान्यता देते हैं तो फिर रुपया अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बन जाएगा। रूस और श्रीलंका के साथ-साथ चार अन्य अफ्रीकी देश इसके लिए मंजूरी दे चुके हैं। इसके अलावा 17 ऐसे देशों में भारत ने वोस्ट्रो खाते खोले हैं। इन 17 देशों में 12 भारतीय बैंकों को मंजूरी दी गई है। इस लिस्ट में एसबीआई, केनरा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक, एचडीएफसी बैंक, इंडसइंड बैंक, यस बैंक और आईडीबीआई बैंक शामिल हैं।
अरबों डॉलर की होगी बचत
जानकारों का यह भी कहना है कि यदि भारतीय रुपए से विदेशों में व्यापार करने पर डॉलर की निर्भरता घटेगी साथ की अरबों डॉलर भी बचेंगे। कच्चे तेल समेत जो भी उत्पाद दूसरे देशों से आयात किया जाता है, उसका भुगतान रुपए से होगा तो कारोबार की लागत भी घटेगी। विदेशी मुद्रा खासकर डॉलर पर निर्भरता घटने से भारत पर बाहरी प्रभावों का कम असर होगा। रुपये में व्यापार बढ़ने के साथ ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को भारतीय मुद्रा के लिए खरीदार तलाशने की जरूरत नहीं होगी। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में रुपए की कीमत भी बढ़ेगी।