रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के आखिरी सत्र में अविश्वास प्रस्ताव लाकर विपक्ष ने आखिर अपनी बेइज्जती करवा ही ली। बहस में कल के विधायकों ने कद्दावरों को सड़कछाप तक कह दिया। प्रत्येक वार पर ऐसा पलटवार हुआ कि विपक्ष को अपनी लज्जा बचाने के लिए सदन छोड़कर भागना पड़ा। वैसे भी ये सभी चुनावी आरोप-प्रत्यारोप थे। ये जुमलेबाजी है। 40-50 साल पहले लोग हजारों के घोटाले की बातें करते थे। हजार पर जोर देने के लिए उसे हज्जार कहने का चलन हुआ। फिर लाखों के घोटाले होने लगे, अब करोड़ों नहीं बल्कि हजारों करोड़ के घोटाले होते हैं।
10-15 हजार की मासिक पगार पर घर चलाने वालों को ये आंकड़े अब ज्यादा प्रभावित नहीं करते। वह तो परेशान इसलिए है कि रसोई गैस, पेट्रोल, केबल टीवी, मोबाइल रिचार्ज सबकुछ महंगा हो गया है। पांच हजार रुपए तो इसी में खर्च हो जाते हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने कम से कम बिजली बिल में राहत तो दी है. इसे भी विपक्ष “फ्री-बी” बता रहा है। सनातन की हिमायती पार्टी भी जब जुमलेबाजी पर आती है तो उसे भी अंग्रेजी के ‘स्लैंग’ (चालू भाषा) का उपयोग करना पड़ता है। वैसे भी यह पार्टी प्रवचन पंडालों में ज्यादा जाती है। प्रवचनकारों में इन दिनों नया ट्रेंड शुरू हो गया है। अब वे राम-रावण, या राम-सीता की बातें नहीं करते। अब उन्हें उन तमाम राक्षसों के नाम याद आ रहे हैं, जिनका वध प्रभु श्रीराम ने किया था।
विपक्ष इसी को फॉलो कर रहा है, पर प्रवचनकार दो बातें भूल जाते हैं। पहला तो यह कि वह त्रेतायुग था और यह कलियुग है। दूसरा यह कि इनमें से अधिकांश राक्षस प्रभु श्रीराम के हाथों प्राण गंवाकर शापमुक्त हुए थे। वैसे भी आरोप पत्र की लंबाई चौड़ाई देखकर शादी कार्ड के दर्शनाभिलाषियों की सूची याद आ गई। इस सूची में अति-उत्साही उन बच्चों का भी नाम डलवा देते हैं जो अभी केवल ‘मां बोल पाते हैं। वो हजार-पांच सौ तो क्या, किसी भी अपरिचित के दर्शन के अभिलाषी नहीं होते। फिर भी उनका नाम वैवाहिक पत्रिका पर छप जाता है। इनमें से कईयों का तो अभी नामकरण तक नहीं हुआ होता – गोलू-मोलू-चिंटू-पिंटू लिखकर काम चलाया जाता है।

आरोपों की सूची लंबी करने के झोंक में विपक्ष ने उन मुद्दों को भी इसमें जोड़ दिया जो खुद उनके कार्यकाल के थे। ऐसा ही एक मुद्दा था किसानों की राशि के गबन का। वैसे इस लंबी सूची की कोई जरूरत नहीं थी। चार-छह सॉलिड मुद्दे लेकर आते। अच्छी तैयारी के साथ आते और जमकर बहस करते तो जनता निहाल हो जाती। पर विपक्ष तो 15 साल सत्ता में रहकर खुद को ही शेर समझ बैठा था। वह भूल गया था कि जो पार्टी अभी सत्ता में है वह देश की सबसे पुरानी पार्टी है। उसमें भी ऐसे विधायक हैं जो पिछले 35 साल या उससे भी अधिक समय से विधानसभा के सदस्य हैं। जुबान उनके मुंह में भी है।