बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में कबाड़ का व्यापार करने वालों पर कार्रवाई करने में पुलिस विभाग सबसे आगे रहता है। खासकर जिले में जब भी नया एसपी पदभार ग्रहण करता है तो उसका टारगेट पहले कबाड़ का व्यापार करने वाले ही होते हैं। पिछले दिनों दुर्ग में भी नए एसपी ने पदभार ग्रहण करने के बाद सभी थानों की पुलिस को कबाड़ियों के पीछे लगा दिया। बहरहाल हम यहां बात कर रहे हैं कोरबा के एक मामले की जिसमें कबाड़ का व्यापार करने वाले दो लोगों पर कार्रवाई करना पुलिस पर ही भारी पड़ गया। बिलासपुर हाईकोर्ट ने इस मामले में पुलिस को कबाड़ का व्यापार करने वाले दोनों को एक-एक लाख रुपए क्षतिपूर्ति देने आदेश दिया है।
दरअसल यह पूरा मामला कोरबा शहर से जुड़ा हुआ है। कोरबा के सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र के कबाड़ व्यापारी मुकेश साहू और आशीष मैती को पुलिस ने 20 फरवरी 2021 में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उस समय इन दोनों को चोरी का सामान खरीदने के आरोप में तत्कालीन चौकी प्रभारी कृष्णा साहू ने गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया। इसके बाद दोनों ने जमानत के लिए आवेदन प्रस्तुत किया लेकिन निचली अदालत ने इनकी जमानत याचिका खारिज कर दी।
इसके बाद दोनों ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए यात्रिका दायर की। दोनों को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी। इसके बाद मुकेश साहू और आशीष मैती ने हाईकोर्ट में धारा 226 के तहत डब्ल्यूपीसीआर याचिका दायर कर दी। इन्होंने अपनी याचिका में कहा कि पुलिस ने मनमाने और अवैधानिक तरीके से गिरफ्तारी की है। पुलिस ने चोरी का समान रखने और बिक्री करने का आरोप लगाकर बिना वारंट के गिरफ्तार कर मानसिक और शारीरक प्रताड़ना दी है। इसके लिए दोनों ने 5-5 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति की मांग की।

चौकी प्रभारी भी बना पार्टी
दानों ने अपनी याचिका में तत्कालीन चौकी प्रभारी कृष्णा साहू को भी पार्टी बनाया गया था। याचिका में खास तौर पर इस बात को उल्लेखित किया गया कि सेक्शन 41 (1) (डी) के तहत किसी मामले में गिरफ्तारी होने पर पुलिस को यह पता लगाना होता है कि यह संपत्ति चोरी की है तो किसकी है और कहां से है। ऐसा नहीं होने पर जब्त सामान और पकड़े गए लोगों को छोड़ना होता है। पुलिस इस मामले में कोई भी जानकारी नहीं हासिल कर सकी। इसके बाद भी कबाड़ कारोबारियों को रिमांड पर लिया गया और बाद में जेल भेज दिया गया।
हाईकोर्ट ने याचिका में उल्लेखित बातों को स्वीकार किया और माना कि कार्रवाई से सविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन हुआ है। कोर्ट ने राज्य भर में ज्यूडिश्यिल मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारियों को नियमानुसार कार्रवाई करने की बात अपने आदेश में कही है। साथ ही हिदायत दी गई है कि इसका पालन कड़ाई से किया जाए। इस मामले पर फैसला देते हुए हाईकोर्ट की चीफ रमेश सिन्हा की बेंच ने क्षतिपूर्ति के तौर पर एक-एक लाख रुपए प्रदान करने का आदेश दिया है।