नई दिल्ली। गांधी लगातार सवाल उठा रहे हैं कि आखिर Adani Group के पास 20 हजार करोड़ रुपए कहां से आए? इस मामले को लेकर वे केन्द्र सरकार पर आरोप लगा रहे हैं। इस बीच अडानी ग्रुप की ओर से चार साल का पूरा ब्योरा दिया गया है। ग्रुप ने साल 2019 के बाद से अपनी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने का विवरण साझा किया है। इसमें बताया गया है कि कैसे कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर ग्रुप को 2.87 अरब डॉलर या करीब 23,567 करोड़ रुपए मिले हैं।
उद्योगपति गौतम अडानी के Adani Group की ओर से बताया गया कि 2.87 अरब डॉलर की हिस्सेदारी बेचने से मिली रकम में से बीते चार साल में 2.55 अरब डॉलर (लगभग 20,000 करोड़ रुपए) को बिजनेस में लगाया जा चुका है। ग्रुप की ओर से कहा गया कि अबू धाबी स्थित इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी जैसे बड़ी निवेशकों ने भी हमारी कंपनियों Adani Enterprises और Adani Green में बड़ा निवेश किया है।

निवेश का ये आंकड़ा लगभग 20,000 करोड़ रुपए है। इसके अलावा कंपनी के प्रमोटर्स ने 2.783 अरब डॉलर (22 हजार करोड़ रुपए जुटाने के लिए कंपनी की हिस्सेदारी बेची। ये हिस्सेदारी अडानी टोटल गैस लिमिटेड और अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड से बेची गई। अडानी ग्रुप की ओर से कहा गया कि हिस्सेदारी बेचने से मिले फंड को अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड, अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड, अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड और अडानी पावर लिमिटेड जैसी पोर्टफोलियो कंपनियों की ग्रोथ के लिए इस्तेमाल किया गया।

ब्रिटिश अखबार रिपोर्ट को बताया गलत
यही नहीं अड़ानी ग्रूप ने ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स (FT) की रिपोर्ट को भी गलत बताया। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि हाल के सालों में अडानी ग्रुप में जितना एफडीआई आया है, उसका लगभग आधा हिस्सा उनके परिवार से जुड़ी ऑफशोर कंपनियों से ही आया है। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अडानी और उनके परिवार से जुड़ी ऑफशोर कंपनियों ने 2017 से 2022 के बीच अडानी ग्रुप में कम से कम 2.7 अरब डॉलर का इन्वेस्ट किया है। इसी रिपोर्ट के कारण कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी सवाल उठाया था कि अडानी ग्रुप को शेल कंपनियों से 20,000 करोड़ रुपए मिले हैं।