भिलाई । तेलुगु कम्युनिटी वेलफेयर एसोसिएशन से संबद्ध अखिल भारतीय तेलुगु सेना ने अपने संगठन का विस्तार करते हुए रविवार की दुर्ग जिला स्तर पर एक इकाई गठित की है। सुपेला स्थित होटल अमित पार्क में आयोजित कार्यक्रम में पदाधिकारियों की घोषणा की गई। नवगठित इकाई में डी मोहनराव अध्यक्ष, एम पद्मकिशोर व टीवी नागेश्वरराव उपाध्यक्ष, एस श्रीनिवास महासचिव, के गणपति तथा के अनिल सह सचिव, सी श्रीनिवास कोषाध्यक्ष, मधुसूदन राव उप कोषाध्यक्ष और टी सहदेव मीडिया प्रभारी बनाए गए हैं, जबकि महिला विंग की एम पद्मजा की उपाध्यक्ष, ए श्रीदेवी को सचिव, पावनी मोहन की कोषाध्यक्ष तथा एन माला व बी पोलम्मा की संयुक्त सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई।

बता दें एसोसिएशन की जड़ें भारत के 18 राज्यों में ही नहीं, बल्कि सरहद के पार आठ देशों में भी फैली हुई है। इसकी खासियत यह है कि यह एक गैर राजनीतिक संगठन है। इसे सशक्त बनाने के उद्देश्य से ही जिला स्तर पर इकाई का गठन किया गया है। कार्यक्रम की शुरुआत अखिल भारतीय तेलुगु सेना के प्रदेशाध्यक्ष नीलम चन्नाकेशवुलु, उपाध्यक्ष पीवी राव, महिला विंग की अध्यक्ष पेरी पद्मा तथा संयुक्त सचिव के लक्ष्मीनारायण ने तेलुगु माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर की।

इस अवसर पर प्रदेशाध्यक्ष ने अपने संबोधन में कहा कि राज्यव्यापी सर्वेक्षण करने के बाद ही तेलुगु सेना की स्थापित करने की संभावनाओं पर कार्य किया गया। इसीका नतीजा है कि तेलुगु सेना पूरे छत्तीसगढ़ में एक मजबूत संगठन के तौर पर उभर रही है। उन्होंने समुदाय की एकजुटता पर बल देते हुए कहा कि मौजूदा समय में इसे और मजबूत बनाने की दरकार है, तभी इसका विस्तार संभव है। उन्होंने जानकारी दी कि संगठन को और भी सशक्त बनाने के लिए वे पिछले एक अरसे से राज्य के प्रमुख व्यक्तियों से लगातार संपर्क थे।

इस मौके पर प्रदेश के उपाध्यक्ष पीवी राव ने कहा कि भिलाई व दुर्ग में लगभग डेढ़ लाख आंध्र वासी निवास करते हैं, लेकिन उनके क्रियाकलाप का दायरा घर और धार्मिक आयोजनों तक ही सिमटा हुआ है। सामाजिक स्तर पर हम दूसरे समुदायों की तरह अभी भी उतने मजबूत नहीं हुए हैं। उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष पीएसएन मूर्ति एवं राज्य स्तर पर तेलुगु सेना को स्थापित करने में अध्यक्ष चन्नाकेशवुलु की नेतृत्व क्षमता की सराहना भी की। इस मौके पर श्री हनुमंत वानरी सेवा समिति के अध्यक्ष बी सुग्रीव ने भी संबंधित किया। कार्यक्रम का संचालन मोहन राव ने किया।