टोक्यो (एजेंसी)। चीन में तेल और प्राकृतिक गैस की बढ़ती मांग से विश्व बाजार में ऊर्जा की महंगाई और बढऩे का अंदेशा पैदा हो गया है। जीरो कोविड नीति खत्म होने के बाद चीन में आर्थिक गतिविधियां तेज हो रही हैं। इसके साथ ही कच्चे तेल और अन्य प्रकार की ऊर्जा की खपत भी बढ़ी है।

यूबीएस ग्लोबल वेल्थ मैनेजमेंट कंपनी ने एक ताजा रिपोर्ट में कहा है कि चीन में आर्थिक गतिविधियां तेज होने के संकेत हैं। इसकी वजह से गैस और जेट ईंधन की मांग मजबूत हुई है। इसका असर विश्व ऊर्जा बाजार पर पड़ रहा है। कच्चे तेल के वायदा कारोबार में कीमत में 40 फीसदी तक बढ़ोतरी का अनुमान है। जनवरी में ही चीन में हवाई यात्राओं में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली थी। उसे देखते हुए चीन सरकार ने 2023 के लिए तेल आयात का कोटा 20 फीसदी बढ़ा दिया।

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) का अनुमान है कि दुनिया में 2023 में तेल की रोजाना मांग दस करोड़ 19 लाख बैरल तक पहुंच जाएगी। यह पिछले साल की तुलना में रोजाना 20 लाख बैरल ज्यादा होगी। साथ ही पिछले तीन साल में यह मांग का सबसे ऊंचा स्तर होगा। सिर्फ चीन में रोजाना की मांग में नौ लाख बैरल की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया गया है।

जानकारों ने ध्यान दिलाया है कि अभी भी चीन से विदेश यात्रा करने वाले लोगों की संख्या महामारी के पहले की तुलना में कम है। इस वर्ष ये संख्या तेजी से बढऩे का अनुमान है। इसे देखते हुए इस साल की दूसरी छमाही में कच्चे तेल की कीमत में भारी उछाल आ सकता है। इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैक्श ने अनुमान लगाया है कि इस वर्ष दिसंबर तक ब्रेंट क्रूड 100 डॉलर तक पहुंच जाएगा और 2024 में यही दर बनी रहेगी। ब्रेंड क्रूड वायदा कारोबार में कच्चे तेल की कीमत का पैमाना है।
विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया है कि बढ़ती मांग के मुताबिक तेल का उत्पादन बढऩे की संभावना नहीं है। संभावना यही है कि तेल उत्पादक देशों का संगठन ओपेक प्लस उत्पादन की अपनी मजूदा मात्रा ही जारी रखेगा। रूस भी इस संगठन का सदस्य है। वह पहले ही अपने उत्पादन में कटौती का एलान कर चुका है। उधर अमेरिका में शेल ऑयल के उत्पादन में भी किसी ठोस बढ़ोतरी की संभावना नहीं है।
विश्व बाजार में प्राकृतिक गैस की कीमत में पिछले साल की तुलना में 80 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है। यूरोप में इस बार हलकी ठंड पडऩे के कारण गैस की मांग कम रही। उसका असर इसकी कीमत पर पड़ा। अब विशेषज्ञों की निगाह इस पर है कि क्या चीन गैस की सीधी खरीदारी फिर शुरू करता है। कोरोना के कारण आर्थिक गतिविधियां ठप रहने के कारण पिछले साल चीन ने ऐसी खरीदारी रोक रखी थी।
टोक्यो स्थित संस्था मिजुहो रिसर्च एंड टेक्नोलॉजीज में वरिष्ठ अर्थशास्त्री जुन इनोवे ने वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम से कहा- अगर चीन की अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार होता है, तो महंगाई पर काबू पाने की दुनिया भर में हो रही कोशिशें बेअसर हो जाएंगी। अगर चीन अपनी अर्थव्यवस्था में दो फीसदी की अतिरिक्त बढ़ोतरी करने में सफल रहा, तो दुनिया में कमोडिटी के मूल्य में चार फीसदी की वृद्धि हो जाएगी।