गैस्ट्राइटिस पेट की परत में होने वाली सूजन को कहा जाता है और यह दो प्रकार (एक्यूट और इरोसिव) की होती है। एक्यूट में अचानक और गंभीर सूजन शामिल है, जबकि इरोसिव गैस्ट्राइटिस स्थिति का एक सामान्य रूप है। हालांकि, अगर समय रहते इसका उपचार न किया जाए तो स्थिति गंभीर हो सकती है। आइए आज हम आपको इस बीमारी के कारण, लक्षण और इलाज के बारे में बताते हैं।
गैस्ट्राइटिस के कारण
लंबे समय तक शराब का सेवन पेट की परत में सूजन पैदा कर सकता है। ऑटोइम्यून रोग भी पेट की परत में स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करके सूजन का कारण बन सकते हैं। एच पाइलोरी बैक्टीरिया और पेट में अल्सर भी गैस्ट्राइटिस का मुख्य कारण है। नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा या कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का लगातार सेवन भी पेट की परत को नुकसान पहुंचा सकता है। गंभीर बीमारी या चोट से भी गैस्ट्राइटिस हो सकता है।
गैस्ट्राइटिस से जुड़े लक्षण
गैस्ट्राइटिस वाले कई लोगों में लक्षण नहीं होते हैं और जिन लोगों में लक्षण होते हैं, वे अक्सर उन्हें अपच समझ लेते हैं। ब्लोटिंग, जी मिचलाना, बार-बार पेट खराब होना, पेट में दर्द, उल्टी, खट्टी डकार, पेट में जलन, हिचकी और भूख में कमी गैस्ट्राइटिस के मुख्य लक्षण हैं। इसके अलावा पसीना, दिल की धड़कन का तेज होना, बेहोशी या सांस की कमी और सीने में दर्द भी इस बीमारी के लक्षण हो सकते हैं।
गैस्ट्राइटिस और अपच में क्या अंतर है?
अमूनन लोग गैस्ट्राइटिस को अपच समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। इसके लक्षण अपच से मिलते-जुलते होते हैं, लेकिन दोनों ही अलग हैं। अपच भोजन को पचाने में कठिनाई होने से जुड़ी समस्या है, जिसके कारण पेट में दर्द या बेचैनी होती है। यह आपकी निचली पसलियों के बीच जलन भी पैदा कर सकती है। वहीं गैस्ट्राइटिस पेट की परत में होने वाली सूजन है, जो गंभीर रोग का कारण बन सकती है।
गैस्ट्राइटिस का इलाज
गैस्ट्राइटिस के लिए उपचार कारण के आधार पर भिन्न होता है। कुछ दवाएं इस स्थिति के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकती हैं, लेकिन डॉक्टरी सलाह के बाद ही उनका सेवन करें। एंटीबायोटिक्स: एंटीबायोटिक्स दवा गैस्ट्राइटिस का इलाज कर सकती हैं। एंटासिड: कैल्शियम कार्बोनेट दवाएं पेट के एसिड को कम करके सूजन को दूर करने में मदद कर सकती हैं। इसके अतिरिक्त जीवनशैली में कुछ सुधार करके भी इस बीमारी के प्रभाव को कम किया जा सकता है।