-दीपक रंजन दास
पौराणिक काल से ही भारत प्रेम को ईश्वरीय अनुभूति मानता आया है. हम ईश्वर से प्रेम करते हैं। उसके आगे अपना दिल खोल कर रख देते हैं। हम ईश्वर को अपना सर्वस्व सौंप देते हैं। परिवार, समाज सबकुछ छोड़कर संन्यासी तक हो जाते हैं। पर इसी प्रेम पर तब पहरा बैठ जाता है जब बात विवाह की आती है। देवी-देवताओं से लेकर इतिहास में प्रसिद्ध हुए कई राजाओं ने भी प्रेम विवाह किया था। आदिवासी अंचलों में अपना जीवनसाथी चुनने की अनेक रस्में हैं। इतिहास प्रसिद्ध बस्तर की घोटुल परम्परा अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार युवक और युवती दोनों को देती है। फिर ऐसा क्या हुआ कि आधुनिक समाज प्रेम विवाह के खिलाफ हो गया। उच्च समाज में तो बेटियां जिन्सों की तरह हो गईं जहां मूंछों के ताव पर बेटियों का लेनदेन होने लगा। जिसने भी इस व्यवस्था को तोडऩे की कोशिश की, उसकी जान पर बन आई। इसे ऑनर किलिंग नाम दिया गया – सम्मान के लिए हत्या। कहीं हत्या सिर्फ बेटी की हुई तो कहीं नवदंपति को साथ-साथ फांसी पर लटका दिया गया। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार 2017 से 2018 के बीच देशभर में ऑनर किलिंग के 25 मामले दर्ज किये गये। ऑनर किलिंग के क्षेत्र में काम कर रही एक एनजीओ के आंकड़े इससे अलग हैं। 2019 के लिए जुटाए गए उसके आंकड़े बताते हैं कि अकेले तमिलनाडु राज्य में ऑनर किलिंग की 195 घटनाएं हुई हैं। रिपोर्ट के अनुसार अकेले नवम्बर 2022 में ऑनर किलिंग के तीन मामले सामने आए। जाहिर है कि इनमें से अधिकांश मामलों में पुलिस ऑनर किलिंग के एंगल को रिपोर्ट में शामिल नहीं करती। छत्तीसगढ़ प्रेम की धरती रही है। मनखे-मनखे एक समान का संदेश दुनिया को देने वाले छत्तीसगढ़ की भूमि भी अब प्रेमियों के खून से लाल हो रही है। बिलासपुर के पचपेड़ी थाना क्षेत्र में एक ऐसी ही घटना सामने आई है। जांजगीर चांपा के पामगढ़ क्षेत्र के हेड़सपुर निवासी प्रेमी युगल ने प्रेम विवाह कर लिया। दोनों एक ही समाज से हैं। लड़के के घरवालों ने इसे स्वीकार भी कर लिया। पर लड़की वालों को यह शादी रास नहीं आई। वे हथियारबंद होकर उसके ससुराल पहुंच गए। लड़की ने उनके साथ घर लौटने से इंकार कर दिया तो उसपर हमला कर दिया। ससुराल पक्ष भी अपनी बहू को बचाने के लिए सामने आ गया। दोनों पक्षों के बीच जमकर मारपीट हुई। इसमें हथियारों का भी उपयोग किया गया। खूनखराबे के बाद पुलिस पहुंची और दोनों पक्षों के लोगों को उठाकर थाने ले गई। दरअसल, जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं, पुरुषवादी सोच हावी होती जा रही है। समाज में शकुनियों की संख्या बढ़ती जा रही है। समाज के कथित कर्णधार बीच बचाव करने की बजाय लोगों को उकसाने और भड़काने में लगे हैं। समाज का यही विघटन भारत की गुलामी का कारण बना था। ऐसा टूटा-फूटा समाज किसी खंडहर के समान होता है जहां उल्लुओं का बसेरा, आज नहीं तो कल होना तय है।
Gustakhi Maaf: प्रेम की धरती और प्यार पर पहरा




