एक उम्र के बाद छोटे बच्चे को अलग सुलाना ही सही रहता है। कैसे बच्चे में छुटपन से अलग सोने की आदत डालें, बता रही हैं नीलम शुक्ला अकसर बच्चे की परवरिश को लेकर लोग अलग-अलग सोच रखते हैं। उनमें से कुछ लोग बच्चों को अलग सुलाने को लेकर भी सवाल करते हैं, मसलन कि उन्हें किस उम्र से अलग सुलाना चाहिए या फिर कैसे उन्हें अलग सुलाया जाए? सबसे पहले तो आपको यह समझना होगा कि बच्चे को अलग सुलाना क्यों जरूरी है? बच्चों के लिए जरूरी है कि वे सही समय पर सोएं और अच्छी नींद लें। बच्चों को साथ में सुलाकर आप उसे आत्मनिर्भर बनने से रोकती हैं, इसलिए उनको अलग सुलाएं। रही बात उम्र की, तो इस पर सबके अपने-अपने विचार हो सकते हैं। कुछ लोग 3-4 साल की उम्र के बाद से ही बच्चे को अलग सुलाने की वकालत करते हैं, तो वहीं कुछ लोग इसकी सही उम्र 6-7 साल मानते हैं। लेकिन इस सबके बीच आपको सबसे पहले बच्चों की सोने से जुड़ी आदतों को समझना होगा। बिना इन आदतों को समझे बच्चे को अलग सुलाना नामुमकिन है। ऐसे में ये जरूरी है कि आप उनकी नींद को ठीक से समझें और इसको समझ कर ही उनको अलग सुलाने की योजना बनाएं।
आराम है जरूरी
हर बच्चे को सुलाने का तरीका अलग-अलग हो सकता है। इसलिए जब भी आप बच्चे को अलग सुलाने की सोचें, तो इस बात पर तवज्जो दें कि वह कैसे सोता है? जरूरी नहीं कि जो तरीका आप किसी पत्रिका में पढ़ती हैं, वही आपके बच्चे पर भी काम करे। हर बच्चा अपने-आप में अलग होता है। बेहतर यही होगा कि आप अपने बच्चे को पहले समझें और अपना नया तरीका आजमाएं।
कमरा हो मनभावन
सोने का वातावरण भी अनुकूल होना जरूरी है। जब आप बच्चे को अलग सुलाने के बारे में सोचें, तो सबसे पहले उसके कमरे पर ध्यान दें। उसके कमरे का इंटीरियर, परदे का रंग, उसकी बेडशीट, सब कुछ उसकी पसंद के हिसाब से होने चाहिए, तभी बच्चा उस कमरे से जुड़ाव महसूस करेगा। बच्चे को जो भी चीजें पसंद हों, वह उसके कमरे में सजाएं। कुल मिलाकर बच्चे को यह एहसास हो कि यह उसका अपना कमरा है, जो उसके लिए सजाया गया है। बच्चे के कमरे में शांति भी जरूरी है। यहां शांति का मतलब यह बिल्कुल नहीं कि घर में कोई आवाज न हो। बच्चों को आम आवाजों के बीच सोने में कोई परेशानी नहीं होती। बस ख्याल यह रखें कि कमरे में कोई आर्टिफिशियल आवाज न आए, जैसे टीवी की या म्यूजिक सिस्टम की। इससे उनकी नींद में बाधा आती है।
कपड़े हों आरामदायक
बच्चों को हमेशा आरामदायक कपड़े पहना कर सुलाना चाहिए। कई बार बच्चे समझ नहीं पाते हैं कि उनको नींद क्यों नहीं आ रही है। पर इसका कारण उनके असहज कपड़े भी हो सकते हैं। हो सकता है कि उनके कपड़े कुछ टाइट हों या फिर उनको उन कपड़ों में ज्यादा गर्मी लग रही हो। इसलिए शुरू से ही बच्चों को नाइट ड्रेस में सोने की आदत डालें। ऐसे कपड़े सोने के लिए ज्यादा अच्छे होते हैं।
इन बातों का भी रखें ध्यान
बच्चे को रोज अलग सुलाने की कोशिश करें। अगर आप शुरू से ही ऐसा करेंगी, तो इससे उसमें अलग सोने की आदत पड़ेगी।
सुलाने से पहले बच्चे की मालिश करना भी काफी फायदेमंद रहता है, इससे उसको अच्छी नींद आएगी।
सुलाने से पहले बच्चे की सफाई पर भी ध्यान दें। खास कर नाक, कान और मुंह की ठीक से सफाई करके उन्हें सुलाएं।
बच्चे को सुलाते वक्त कमरे में अंधेरा जरूर कर दें, क्योंकि अंधेरे में नींद से जुड़ा हार्मोन सक्रिय होता है। यही हार्मोन नींद लाने में सहायक होता है।
कमरे की खिड़की के परदे जरूर फैला दें और संभव हो तो दरवाजे को भी बंद कर दें, ताकि बच्चा बाधारहित अच्छी नींद ले सके।
धीमा संगीत और वार्म लाइट भी बच्चे को अच्छी नींद देने में मददगार होते हैं। इसकी व्यवस्था आप उसके कमरे में कर सकती हैं।
जब आपका बच्चा सो रहा हो, तो घर में तेज आवाज वाले उपकरण जैसे मिक्सी, वैक्यूम क्लीनर आदि का इस्तेमाल न करें। इससे बच्चे डर कर जाग जाते हैं।
आप चाहें तो बच्चे के साथ सो सकती हैं, जब तक कि वह सो नहीं जाता। लेकिन उससे लिपट कर ना सोएं, वरना उसको इसकी आदत हो जाती है और आपके हटते ही उसकी नींद टूट जाती है। बेहतर यही होगा कि आप अपने बच्चे को इस तरह की आदत ना डालें।
जब बच्चा हल्की नींद में हो, तभी उसे गोद से या झूले से निकाल कर बिस्तर पर सुला दें।