रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंगलवार को बड़ी घोषणा की है। आज सीएम बघेल ने अपने निवास कार्यालय में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम के दौरान कहा कि प्रदेश के 25 जिले के 37 गोठानों में गोबर से पेंट बनाने की यूनिट शुरू की जाएंगी। वर्तमान में रायपुर और दुर्ग जिले में 2-2 और कांकेर में 01 प्राकृतिक पेंट बनाने की यूनिट में उत्पादन शुरू हो चुका है। सीएम की घोषणा के 25 जिलो के गोठानों में भी आय का श्रोत बढ़ जाएगा। इसके लिए जरूरी संसाधन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
बता दे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज अपने निवास कार्यालय में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को राशि का अंतरण कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने हितग्राहियों को 7 करोड़ 05 लाख रुपए का भुगतान किया। इसमें गोठानों में पशुपालक ग्रामीणों, किसानों, भूमिहीनों से क्रय 2.29 लाख क्विंटल गोबर के एवज में 4 करोड़ 59 लाख रुपए, गौठान समितियों को 1.46 करोड़ रुपए और महिला समूहों को एक करोड़ रुपए की लाभांश राशि शामिल हैं। इस मौके पर कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह भी उपस्थित रहे।
गौठानों में बनने और बिकने लगा गोबर से बना प्राकृतिक पेंट
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप राज्य में पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए स्थापित गोठान तेजी से ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में विकसित होने लगे हैं। गोठानों में नवाचार के रूप में गोबर से प्राकृतिक पेंट का उत्पादन भी शुरू हो गया है। वर्तमान में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए पांच इकाईयां स्थापित हो चुकी है, जिनमें से रायपुर और दुर्ग जिले के गौठानों में दो-दो तथा कांकेर के चारामा स्थित गौठान में एक यूनिट संचालित है। इन पांच क्रियाशील यूनिटों के माध्यम से अब तक 8997 लीटर प्राकृतिक पेंट का उत्पादन किया गया है, जिसमें से 3307 लीटर प्राकृतिक पेंट के विक्रय से 7 लाख 2 हजार 30 रूपए की आय अर्जित हुई है।

गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को 387.32 करोड़ का भुगतान
गोधन न्याय योजना के तहत राज्य में हितग्राहियों को 387 करोड़ 32 लाख रूपए का भुगतान किया जा चुका है। 10 जनवरी तक गोबर विक्रेताओं को 197.85 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। गौठान समितियों एवं महिला स्व-सहायता समूहों को अब तक 171.87 करोड़ रूपए का भुगतान किया गया। इसी प्रकार राज्या के गोठानों में अब तक एक लाख 15 हजार 423 लीटर गौमूत्र क्रय किया जा चुका है। इससे गौठानों में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा 41,627 लीटर कीट नियंत्रक ब्रम्हास्त्र और 20,118 लीटर वृद्धिवर्धक जीवामृत तैयार किया गया है। 39,920 लीटर ब्रम्हास्त्र और जीवामृत की बिक्री से अब तक कुल 22 लाख 43 हजार 665 रुपए की आय हुई है।
गोधन न्याय से 3 लाख 13 हजार से अधिक ग्रामीणों को मिल रहा लाभ
राज्य में गोधन के संरक्षण और संर्वधन के लिए गांवों में गौठानों का निर्माण तेजी से कराया जा रहा है। गौठानों में पशुधन देख-रेख, उपचार एवं चारे-पानी का निःशुल्क प्रबंध है। राज्य में अब तक 10,894 गांवों में गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है, जिसमें से 9591 गौठान निर्मित एवं शेष गौठान निर्माणाधीन है। गोधन न्याय योजना से 3 लाख 13 हजार 849 ग्रामीण, पशुपालक किसान लाभान्वित हो रहे हैं।




