रेल लाइन की सुरक्षा के साथ ग्रामीणों को स्वस्थ रखने एसएसबी ने लगाए मेडिकल कैंप
भिलाई। बंदुक के साए में एक ओर रेलवे लाइन बन रही है तो दूसरी ओर कड़ी सुरक्षा के बीच गांव में मेडिकल कैंप लगाकर एसएसबी ग्रामीणों के स्वास्थ्य की चिंता कर रही है। एसएसबी के सेक्टर हेडक्वार्टर भिलाई ने 28 वीं बटालियन और 33 वीं बटालियन में मेडिकल कैंप का आयोजन किया। जिसमें सैकड़ों ग्रामीणों ने अपना चेकअप कराया। श्रीशंकराचार्य मेडिकल इंस्टीट्टूय एंड रिसर्च सेंटर की टीम के एक दर्जन से ज्यादा विशेषज्ञ चिकित्सक इन माओवादी क्षेत्र में पहुंचे और उन्होंने ग्रामीणों का इलाज किया। 28 बटालियन में यह शिविर बटालियन हेडक्वार्टर अंतागढ़ कुचे गांव में लगाया गया।
वहीं 33 बटालियन में यह शिविर भीरागांव में हुआ। यहां ग्रामीणों के साथ ही स्कूली बच्चों का भी स्वास्थय परीक्षण कराया गया। सेक्टर हेडक्वार्टर के डीआईजी थामस चाको के मार्गदर्शन में हुए इस मेडिकल कैंप में 33 बटालियन के टूआईसी इबोचोबा सिंह, कमांडेंट मेडिकल डॉ विवेक कुमार, डॉ विनोद कामले, डॉ धीरज, 28 बटालियन के कमांडेंट अरविंद कुमार, डीआईजी चिकित्सा डॉ ओबी सिंह, हरेराम साव, टूआईसी, ,डिप्टी कमांडेंट घनश्याम मीणा, डॉ लिंगिया एमओ ने कैंप की विशेष तैयारियां की थी।
गाडिय़ों में पहुंचे लोग
अंतागढ़ के 28 बटालियन में लगे मेडिकल कैंप में कोदागांव, अंतागढ़, कुचे सहित आसपास के गांवों से लोग गाडिय़ों में पहुंचे। खासकर स्वास्थ्य परीक्षण कराने में महिलाएं आगे रही। महिलाओं ने बताया कि आसपास की पीएससी में स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं होने की वजह से उन्हें इस कैंप में काफी अच्छी सुविधा मिली। एक ही जगह पर सभी को आसानी से इलाज मिला। खासकर बच्चों के डॉक्टर के आने से भी बच्चों की कई बीमारियों के बारे में पता चला।
एसएसबी का बेहतर प्रयास
श्रीशंकराचार्य मेडिकल कॉलेज टीम के प्रभारी डॉ अंकित ने बताया कि चिकित्सकों का प्रोफेशन सेवा का है और हमारे सुरक्षा बल भी सेवा और सुरक्षा की भावना के साथ देशसेवा में लगे हैं। अपनी ड्यूटी के साथ ही सामाजिक जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं। उनकी टीम पहली बार माओवाद प्रभावित क्षेत्र में पहुंची थी और उन्हें काफी अच्छा लगा कि यहां पांच सौ से ज्यादा लोग इलाज कराने पहुंचे। उन्होंने बताया कि कुछ गंभीर मरीज भी सामने आए थे जिन्हें हायर सेंटर जाने की सलाह दी गई है, ताकि उनका इलाज अच्छी तरह हो सकें।
नया अनुभव
मेडिकल टीम में शामिल डॉ पियुष सिन्हा, डॉ स्वपनिल, डॉ आभा, डॉ ऋषभ, डॉ विशाल, डॉ तरूण, डॉ विवेक, डॉ रोशनी,डॉ अनंत, डॉ गुप्ता, डॉ साहू, डॉ पुतूल, डॉ ओमन वर्मा ने बताया कि आदिवासी बाहुल्य गांवों में मेडिकल कैंप का यह उनका पहला अनुभव था। कैंप के बारे में जब उन्हें पता चला तो उनके कई परिचितों ने यह कहा कि नक्सली क्षेत्र में खतरा है, लेकिन एसएसबी के सुरक्षा साए में हम सभी को बेहतरीन सुरक्षा मिली और वहां जाते ही मन का डर खत्म हो गया।