कोरबा. छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में कलेक्टर के फर्जी साइन करके वन अधिकार पट्टा बांटने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। जिससे प्रशासन में हड़कंप मच गया है। रुपए लेकर ठगों ने कितने लोगों को जाली वन अधिकार पत्र प्रदान किया इसकी फिलहाल जांच की जा रही है। मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर ने पाली के अनुविभागीय दंडाधिकारी मनोज खांडे को पाली थाना में केस दर्ज कराने का आदेश दिया है। इसके लिए विभागीय प्रक्रिया शुरू हो गई है।
यह है पूरा मामला
दो सप्ताह पहले पाली विकासखंड के ग्राम मंगामार में रहने वाले कुछ लोगों ने गांव के पूर्व सरपंच छत्रपाल सिंह से वन अधिकार पत्र के लिए सम्पर्क किया। छत्रपाल की पत्नी हेमलता वर्तमान में मंगामार की सरपंच है। छत्रपाल ने अधिकार पत्र प्राप्त करने के लिए जरूरी प्रक्रिया से ग्रामीणों को अवगत कराया और इसमें लगने की बात कही। इस बीच एक ग्रामीण ने छत्रपाल को बताया कि कुछ लोगों ने वन अधिकार पत्र बहुत कम समय में प्राप्त कर लिया है। इसके लिए रिश्वत दी है। ग्रामीण की बात सुनकर छत्रपाल को संदेह हुआ। उसने एक व्यक्ति से वन अधिकार पत्र मांगकर देखा और इसकी जानकारी वन अधिकार समिति के सदस्य सह जिला पंचायत सदस्य गणराज सिंह कंवर को दी।
गणराज ने वन अधिकार पत्र असली वन अधिकार पत्र से मिलान किया। उसे अधिकारियों के हस्ताक्षर और सील मोहर में गडबड़ी मिली। वन अधिकार के पत्रक के नंबर की जांच की गई तो सरकारी रिकार्ड में उक्त पत्रक किसी और व्यक्ति के नाम पर दर्ज होना पाया गया। गणराज ने मामले की जानकारी कोरबा के अपर कलेक्टर विजेन्द्र पाटले और कलेक्टर संजीव झा को दी।
दस से ज्यादा गांवों में बांटा
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार ठगों ने पाली विकासखंड के ग्राम मंगामार, डोरकी, नोनबिर्रा, उड़ता और बासीबार के अलावा 10 से 15 गांव के लोगों को जाली वन अधिकार पत्रक बांटे हैं। इसमें ग्राम मंगामार के एक कपड़ा दुकान के अलावा कुछ कोटवारों की भूमिका संदिग्ध है। केस दर्जकर जांच होने पर फर्जीवाड़े की पूरी सच्चाई सामने आने की संभावना है।