कांकेर. भानुप्रतापपुर विधानसभा उपचुनाव में वोटिंग के लिए महज चार दिन बचे हैं ऐसे में आदिवासी समाज के एक फरमान से दोनों राष्ट्रीय पार्टियों में हड़कंप मच गया है। आदिवासी समाज की ओर से अधिकृत प्रत्याशी का साथ न देकर किसी दूसरी पार्टी का सपोर्ट करने वाले सामाजिक व्यक्ति पर सामाजिक कार्रवाई करने, समाज ने फरमान जारी किया है। गोंड़वाना समाज की ओर से जारी लिखित बयान जारी होने से भाजपा और कांग्रेस में हड़कंप मच गया है।
गोंड़वाना समाज चारामा अध्यक्ष रैनसिंह कांगे, श्रणव दर्रो, विजय ठाकुर, जीवन ठाकुर, नंदकुमार गावड़े समेत अन्य कार्यकारिणी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, सह सचिव, प्रवक्ता, सलाहकार और मीडिया प्रभारी का नाम उक्त लेटर पर अंकित है। गोंड़वाना समाज की ओर इस तरह से 30 नंवबर को अध्यक्ष गोंड़वाना समाज समन्वयक समिति ब्लॉक चारामा के हस्ताक्षर से जारी किया गया है। यह पत्र सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया के माध्यम से गांव-गांव मतदाताओं के बीच पहुंच रहा है।
गांव-गांव दिलाया जा रहा शपथ
भानुप्रतापपुर उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सावित्री मंडावी, भाजपा प्रत्याशी ब्रम्हानंद नेताम और सर्व आदिवासी समाज की ओर से अधिकृत प्रत्याशी अकबर कोर्राम समेत 4 अन्य सभी अनुसूचित जनजाति से आते हैं। सर्व आदिवासी समाज ने पहली बार आरक्षण और पेशा कानून को लेकर चुनावी मैदान में अपना अधिकृत प्रत्याशी उतारा है। विस उप चुनाव के नामांकन से पहले सर्व आदिवासी समाज ने हर गांव से एक-एक प्रत्याशी उतारने का दावा किया था। नामांकन होने से चंद दिनों पहले 100 प्रत्याशी का चयन कर लेने की बात कही थी, लेकिन नामांकन 33 निर्दलीयों प्रत्याशी के रूप में कराया गया। इनमें से सर्व आदिवासी समाज की ओर से अधिकृत प्रत्याशी अकबर कोर्राम को घोषित करते हुए 31 का नामांकन वापस ले लिया। प्रचार प्रसार का दौर शुरू हुआ तो सर्व आदिवासी समाज चुनावी मैदान में पूरी ताकत से उतर गया। समाज की ओर से गांव-गांव में शपथ दिलाया जाने लगा कि सर्व आदिवासी समाज के अधिकृत प्रत्याशी को वोट देना है





