विश्व स्तर पर हृदय रोग हर साल 17.9 लाख मौतों का कारण बनता है और इसके जिम्मेदार इलाज को अनेदखा करना और झूठी धारणाएं हो सकती हैं। दरअसल, हृदय संबंधी रोगों को लेकर लोगों में कई ऐसी धारणाएं या भ्रम हैं, जो हृदय रोग से ग्रस्त लोगों के लिए खतरा साबित हो सकती है या फिर शरीर को हृदय रोगों की चपेट में लाने का कारण बन सकती हैं। आइए आज कुछ भ्रम और उनकी सच्चाई जानें।
भ्रम- अधिक उम्र में होते हैं हृदय संबंधी रोग
यह सिर्फ एक भ्रम है कि हृदय रोग अधिक उम्र के लोगों को ही होता है, जबकि ऐसा नहीं है। हृदय रोग किसी भी उम्र में हो सकता है। असंतुलित जीवनशैली, गलत खान-पान और मोटापा आदि इसका खतरा बढ़ा सकते हैं। कई अध्ययनों के अनुसार, दिल के दौरे के 60 प्रतिशत लोग 50 वर्ष से कम उम्र के होते हैं और 40 प्रतिशत अन्य हृदय रोगों से ग्रस्त लोगों की उम्र 40 वर्ष से कम होती है।
भ्रम- आनुवंशिक हृदय रोग का इलाज नहीं होता है
कई लोगों का ऐसा मानना है कि आनुवंशिक हृदय रोग का इलाज नहीं होता है, लेकिन यह एक भ्रम से ज्यादा और कुछ नहीं है। अगर आपके माता-पिता को हृदय रोग होने के कारण यह आपको भी है तो इसके जोखिमों को कम करने के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं। शारीरिक रूप से सक्रिय रहें, स्वस्थ भोजन करें, वजन बनाए रखने समेत ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखना बहुत जरूरी है।
भ्रम- हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण होते हैं
अगर आपका मानना है कि हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण होते हैं तो बता दें कि यह सिर्फ एक भ्रम है। हाई ब्लड प्रेशर एक साइलेंट किलर समस्या है। इससे जुड़े कोई शारीरिक लक्षण हैं और यह कभी भी किसी भी व्यक्ति को दिल के दौरे जैसी बीमारियों की चपेट में ला सकता है। इसलिए समय-समय पर अपने ब्लड प्रेशर की जांच करवाना जरूरी है।
भ्रम- सीने में दर्द होना ही दिल के दौरे का एकमात्र लक्षण है
शायद यह सबसे आम भ्रम है कि सीने में दर्द होना दिल के दौरे का एकमात्र लक्षण है, लेकिन यह सच नहीं है। सीने में दर्द होने के साथ-साथ सांस की तकलीफ, सीने में जलन, पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द, मतली, उल्टी, पीठ में दर्द, जबड़े में दर्द, चक्कर आना और अत्यधिक थकान आदि भी दिल के दौरे के लक्षण होते हैं। महिलाओं की तुलना में पुरुषों को दिल का दौरा पडऩे की संभावना अधिक रहती है।
भ्रम- दिल का दौरा पडऩे के बाद एक्सरसाइज करना जोखिम भरा हो सकता है
यह भी हृदय स्वास्थ्य से जुड़ा एक आम भ्रम है कि दिल का दौरा पडऩे के बाद एक्सरसाइज करना जोखिम भरा हो सकता है, जबकि यह एक गलत धारणा है। भले ही कोई भी हृदय रोग हो, उसके जोखिम को कम करने के लिए डॉक्टरी सलाह के अनुसार अपने रूटीन में एक्सरसाइज को शामिल करें। दिन में 30-45 मिनट तक ब्रिस्क वॉक करना सबसे अच्छी एक्सरसाइज में से एक है।