कांकेर. भानुप्रतापपुर विधानसभा उपचुनाव में अब सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी उतारने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। सर्व आदिवासी समाज ने एकजुट होकर अपनी एकता दिखाई तो भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों में खलबली मच गई है। त्रिकोणीय मुकाबले के चलते अब चुनावी गणित भी बिगड़ गया है। क्योंकि आदिवासी वोटर्स की संख्या ज्यादा होने के कारण सर्व आदिवासी समाज का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। बता दें कि नामांकन वापसी के आखिरी दिन सर्व आदिवासी समाज की ओर से अकबर कोर्राम को प्रत्याशी घोषित किया गया है।
मैदान से हटे 14 निर्दलीय प्रत्याशी
सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी घोषित करने के बाद 14 निर्दलीय प्रत्याशियों ने अपना नामांकन वापस ले लिया। ऐसे में अब 7 प्रत्याशियों के बीच भानुप्रतापपुर विधानसभा का उपचुनाव होगा। कांग्रेस और भाजपा के एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोपों के बीच सर्व आदिवासी समाज ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दोनों ही पार्टियों को मुश्किल में डाल दिया है। सर्व आदिवासी समाज ने तीनों ब्लॉक दुर्गूकोंदल, भानुप्रतापपुर और चारामा में अपनी चर्चा में तय किया कि नामांकन वापसी के साथ हम अपना प्रत्याशी घोषित करेंगे। समाज की ओर से तय प्रत्याशी के पक्ष में सभी लोगों को मतदान करने के लिए प्रेरित भी किया जा रहा है।
61 फीसदी एससी वोटर्स
भानुप्रतापपुर उप चुनाव के मैदान में सिर्फ 7 प्रत्याशियों के बीच मुकाबला होगा। भानुप्रतापपुर विधानसभा में करीब 61 प्रतिशत अनुसूचित जनजातीय वोटर्स हैं। दूसरे स्थान पर 27 प्रतिशत ओबीसी, 6 प्रतिशत एससी और 3-3 प्रतिशत सामान्य और अल्पसंख्यक वर्ग का वोट है। भानुप्रतापपुर उपचुनाव में एसटी वोट हार जीत हर बार तय करता है। त्रिकोणीय मुकाबला में अगर सर्व आदिवासी समाज अपना वोट बटोरने में सफल हुआ तो कांटे की टक्कर होगी। आरक्षण और पेशा कानून को लेकर सर्व आदिवासी समाज प्रदेश और केंद्र सरकार से नाराज चल रहा है।