श्रीकंचनपथ डेस्क। EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार की जीत हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा किए गए संविधान में संशोधन कर सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण को सही माना है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए EWS आरक्षण को बरकरार रखा है। आज कोर्ट में 5 जजों की बेंच में तीन जजों ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण के प्रावधान को सही माना।
बता दें केंद्र सरकार ने संविधान में संशोधन कर सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया था। इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। पिछले कई माह से इस मामले में कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। 5 जजों की बेंच में तीन जजों ने EWS आरक्षण के समर्थन में फैसला सुनाया, जबकि जस्टिस रविंद्र भट्ट ने EWS आरक्षण पर अपनी असहमति जताई।
जानें क्या कहा जजों ने आरक्षण पर
जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने EWS आरक्षण के फैसले को सही ठहराया। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने अपनी राय सुनाते हुए कहा कि EWS कोटा संविधान का उल्लंघन नही करता। EWS आरक्षण सही है ये संविधान के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता। ये भारत के संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद माना जा रहा है कि मोदी सरकार की यह एक बड़ी जीत है। वहीं कोर्ट के इस फैसले के बाद याचिकाकर्ता को झटका लगा है।
विरोध में दो जजों ने यह कहा
जस्टिस रवींद्र भट ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर और गरीबी झेलने वालों को सरकार आरक्षण दे सकती है और ऐसे में आर्थिक आधार पर आरक्षण अवैध नहीं है। लेकिन इसमें से SC-ST और OBC को बाहर किया जाना असंवैधानिक है। EWS आरक्षण केवल भेदभाव और पक्षपात है। ये समानता की भावना को खत्म करता है। ऐसे में मैं EWS आरक्षण को गलत ठहराता हूं। वहीं चीफ जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि मैं जस्टिस रवींद्र भट के विचारों से पूरी तरह से सहमत हूं।