-दीपक रंजन दास
शहरी आबादी को आज सबसे ज्यादा मार रहा है ‘स्ट्रेस’. बच्चों से लेकर बड़ों तक को किसी न किसी बात का स्ट्रेस है. किशोरवय के लोगों में अब टाइप-टू डायबिटीज और दिल की समस्या देखी जा रही है. स्ट्रेस का सफलता या विफलता से कोई लेना देना नहीं है. सफल लोगों को भी स्ट्रेस हो सकता है. अगस्त से अक्तूबर 2022 के बीच कम से कम छह सफल अभिनेत्रियों की आत्महत्या इसका सबूत है. इनमें बंगाली फिल्म-टीवी जगत की तीन, ओडिय़ा मनोरंजन जगत की एक तथा मुम्बई टीवी सर्किट की दो अभिनेत्रियां शामिल हैं. स्ट्रेस को दूर करने का सबसे सस्ता, सुन्दर और टिकाऊ फार्मूला है – फिजिकली एक्टिव रहना. सही समय पर सोना और सही समय पर उठना. इसे लेकर एक पहल भिलाई में हुई थी पर वह टुच्ची राजनीति का शिकार हो गई. ‘तफरी’ के नाम से शुरू हुई यह एक्टिविटी अब भी क्यों बंद है, यह सवाल पूछा जा सकता है. यह मुद्दा आज खास इसलिए कि रायपुर में हैप्पी स्ट्रीट खोले जा रहे हैं. हालांकि इसका आइडिया सरकार को दो साल पहले ही आ गया था पर कोरोना काल के कारण तब इसपर आगे काम नहीं हो पाया. अब जबकि सबकुछ ठीकठाक हो गया है तो इसपर दोबारा काम शुरू हो गया है. हैप्पी स्ट्रीट दो तरह के होंगे. एक तो वो जो कम ट्रैफिक वाले इलाकों में रोजाना हैप्पिनेस देंगे. दूसरे वो इलाके जो सप्ताह के आम दिनों में व्यस्त रहते हैं पर वीकेंड में लगभग खाली होते हैं. ये सड़कें वीकेंड पर हैप्पीनेस स्ट्रीट का काम करेंगी. पर हैप्पीनेस का फलसफा यहां पर ‘तफरी’ से जुदा है. ‘तफरी’ जहां खेलकूद, जुम्बा और स्ट्रीट डांस से जुड़ी एक मनोरंजक पहल थी वहीं रायपुर में खाना पीना, चाट चौपाटी को थीम बनाया गया है. लोग यहां आनंदित जरूर पो पाएंगे पर उनके स्वास्थ्य पर इसका कोई बहुत पाजीटिव इम्पैक्ट पड़ेगा, इसकी उम्मीद कम ही है. पर इसमें एक बात यह अच्छी होगी कि लोग घरों में बैठकर मोबाइल कोचकने की बजाय सड़कों पर निकलकर लोगों से मिलेंगे. शहर के भीतर ही सही थोड़ा पैदल चलेंगे, सैर सपाटा करेंगे. ‘स्ट्रेस’ कम करने में सरकार की यह पहल जरूर मददगार साबित होगी. दूसरी अच्छी बात यह होगी कि यहां के फूडजोन में लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे. कुछ इलाके साइकिल चलाने के लिए सुरक्षित रहेंगे जिसका लाभ स्वास्थ्य के लिए लिया जा सकेगा. व्यापार और राजनीति के इस शहर में थोड़ी सी जिन्दगी भी लौटेगी. वरना आलम यह है कि जिस किसी भी सरकारी अधिकारी की तैनाती एक बार भिलाई में हो गयी, वह यहीं का होकर रह गया. फिर उसका तबादला चाहे जहन्नुम में हो जाए, वह भिलाई का आवास नहीं छोड़ता. उम्मीद की जा सकती है कि शीत ऋतु के आगमन के साथ ही अपनी ‘तफरी’ एक बार फिर धूम मचाएगी.