दुर्ग। जय आनंद मधुकर रतन भवन के सभागृह में युवा समुदाय को प्रशिक्षण देने युवाचार्य भगवंत महेन्द्र ऋषि ने कई सार्थक बातों को बताया। 12 वर्ष से 24 वर्ष के युवा समुदाय को धर्म संस्कारों को जीवन में उतारना चाहिए। परिवारिक सदस्यों को साथ में लेकर जीवन को जीना जाना चाहिए। जीवन में आने वाली परिस्थितियों पर आपसी सामंजस बिठाकर संतुलित जीवन शैली से हर तरह की समस्याओं से बचा जा सकता है। कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में जैन युवा समुदाय मौजूद रहा।
कार्यक्रम के दौरान युवाचार्य भगवंत ने मोबाइल से होने वाले दुष्प्रभाव को युवक-युवतियों के मध्य साझा किया। उससे होने वाली वाले हर तरह के नुकसान के बारे में समझाया। उन्होंने कहा मोबाइल का ज्यादा उपयोग के कारण कई बीमारियां जन्म ले रही हैं। शरीर के विकास में बाधक है अनेक बीमारियों की जन्मदाता है। देर रात सोने से नींद पूरी नहीं होने के कारण शरीर के अंदर परेशानियां प्रारंभ हो जाती है। यह मोबाइल शारीरिक मानसिक और बौद्धिक विकास में बाधक बन गया है।
युवाचार्य भगवंत ने युवाओं के द्वारा आजकल और अव्यावहारिक जन्मदिन मनाने पर भी युवाओं से प्रश्न किए। आजकल खुली रोड पर सड़कों पर जन्मदिन मनाने की परंपरा चल पड़ी है। चेहरे पर पोतना जिसका जन्मदिन है उसे मित्रों के द्वारा लात ही लात मारना जैसी कुप्रथा आज युवाओं में पढ़े लिखे युवाओं में प्रचलित हो गई है। युवाचार्य भगवंत ने कहा बड़े पुण्य से यह मानव जीवन मिला है मानव जीवन के साथ-साथ आपको जैन धर्म का दर्शन और सिद्धांत मिला है। गुरु भगवंताओं की वाणी मिली है इन सभी का आचरण करते हुए धर्म से जुड़कर व्यवस्थित जीवन चर्या पालन करते हुए अपनी पढ़ाई लिखाई एवं अपने लक्ष्य को पाना चाहिए।