दुर्ग। वर्तमान जीवन शैली के अनेक दुष्पपरिणामों में से मानसिक रोग वह अस्वस्थ्ता है, जिसके बारे में अधिकतर लोग अंजान है। लोगों को या तो पता ही नहीं होता या वो ये मानने को ही तैयार नहीं होते की उन्हें किसी प्रकार का मानसिक रोग है और उन्हें इसके लिए किसी विशेषज्ञ की आवश्यकता है।

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुशील चन्द्र तिवारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील और जागरूक किये जाने के उद्देश्य से इस दिवस का आयोजन किया जाता है। स्वस्थ शरीर के साथ स्वस्थ मन का होना आवश्यक है, तभी हम अपने जीवन लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। गृहविज्ञान की सहायक प्राध्यापक डॉ. अल्का दुग्गल ने कहा कि महिलाओं में अधिकतर मानसिक रोग होते हंै परंतु वो इस ओर ध्यान नहीं देती है जिसका मुख्य कारण उनके अंदर डर और भय का होना होता है। इसलिए ये आवश्यक है कि इन मानसिक रोगों के लक्षणों के बारे में जानकारी होनी चाहिए।


डॉ. रेश्मा लाकेश, सहायक प्राध्यापक, गृहविज्ञान ने बताया कि इस वर्ष की थीम ”एक असामन दुनिया में मानसिक स्वास्थ्यÓÓ पर आधारित है। मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करने में युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है, रेडक्रास वालेंटिसर्य इस हेतु हमेशा सजग हैं।

महाविद्यालय की छात्राओं ने भी अपने विचार रखें जिसमें नूतन नेताम, परमेश्वरी, कविता साहू, अम्बिका, शिल्पी शर्मा, उमेश्वरी, मनीषा, महक, संगीता सिंह, निकिता। इस अवसर पर छात्राओं ने ÓओमÓ का उच्चारण करने की प्रक्रिया का अभ्यास किया। कार्यक्रम का संचालन तब्बसुम ने किया।