भिलाई. इन दिनों पूरे देश में नवरात्रि की धूम है। नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा का विधान है। आज मां स्कंदमाता की पूजा की जाएगी। स्कंदमाता को मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है कि स्कंदमाता भक्तों की समस्त कामनाओं की पूर्ति करती हैं। मां दुर्गा के पंचम स्वरूप देवी स्कंदमाता की उपासना से भक्त की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में खुशियां आती हैं। संतान प्राप्ति के लिए स्कंदमाता की आराधना करना लाभकारी माना गया है। स्कंदमाता की पूजा से भक्त को मोक्ष मिलता है। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनकी पूजा से भक्त अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है।
मां ने ऐसे धरा था स्कंद रूप
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार तारकासुर नाम का एक राक्षस था, जिसकी मृत्यु केवल शिव पुत्र से ही संभव थी। तब मां पार्वती ने अपने पुत्र भगवान स्कन्द (कार्तिकेय का दूसरा नाम) को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने हेतु स्कन्द माता का रूप लिया। उन्होंने भगवान स्कन्द को युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया था। कहा जाता है कि स्कंदमाता से युद्ध प्रशिक्षण लेने के पश्चात भगवान स्कंद ने तारकासुर का वध किया।

मां स्कंदमाता पूजा विधि
नवरात्रि के पांचवे दिन सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर घर के मंदिर या पूजा स्थान में चौकी पर स्कंदमाता की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद गंगाजल से शुद्धिकरण करें फिर एक कलश में पानी लेकर उसमें कुछ सिक्का डालें और उसे चौकी पर रखें। अब पूजा का संकल्प लेते हुए स्कंदमाता को रोली-कुमकुम लगाएं और नैवेद्य अर्पित करें। धूप-दीपक से मां की आरती उतारें और आरती के बाद घर के सभी लोगों को प्रसाद बांटे और आप भी ग्रहण करें। स्कंदमाता को नीला रंग पसंद है, इसलिए आप नीले रंग के कपड़े पहनकर मां को केले का भोग लगाएं। ऐसा करने से मां निरोगी रहने का आशीर्वाद देती हैं।
