-दीपक रंजन दास
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) में कोहराम मचा हुआ है. लोरमी विधायक धर्मजीत सिंह के निष्कासन के बाद एक और विधायक प्रमोद शर्मा भी पार्टी नेतृत्व के खिलाफ मुखर हो गया है. इन विधायकों ने ऐलान कर दिया है कि जेसीसीजे अब खत्म हो चुकी है. यह तो होना ही था. छत्तीसगढ़ में पहली सरकार राज्य गठन की प्रक्रिया का हिस्सा थी. अजीत जोगी इस सरकार के मुख्यमंत्री थे. उनका काम करने का अपना तरीका था. उनके कट्टर समर्थक भी थे और कटु आलोचक भी. छत्तीसगढ़ में हुए पहले चुनाव में भाजपा की सरकार बन गई. इसके बाद के दो और चुनाव भी भाजपा ने ही जीते और कांग्रेस हाशिए पर आ गई. अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव में पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में अमित जोगी को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. 2016 में अजीत जोगी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के गांव ठाठापुर में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जोगी की घोषणा कर दी. इस पार्टी ने जल्द ही छत्तीसगढ़ का एकमात्र क्षेत्रीय दल होने की मान्यता भी प्राप्त कर ली. नई पार्टी को बसपा और सीपीआई का समर्थन भी मिला. 2018 के विधानसभा चुनाव में जेसीसीजे और बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा पर सिर्फ 7 सीटों पर जीत मिली. इनमें से दो बसपा के खाते में गई. इस चुनाव में छत्तीसगढ़ का नक्शा ही बदल गया. भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस ने धमाकेदार वापसी की और सभी अन्य दलों को हाशिये पर ला दिया. इसके साथ ही जेसीसीजे अप्रासंगिक चला था. इस बीच अजीत जोगी का भी देहावसान हो गया. वे पार्टी के संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष भी थे. उनके निधन के बाद पार्टी की बागडोर अमित जोगी ने हथिया ली. जो दुख कांग्रेसियों को अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी को लेकर था, वह जोगी कांग्रेस में भी दोहराया जाने लगा. कहां तो पार्टी रेणु जोगी, धर्मजीत सिंह या किसी ऐसे ही स्वीकार्य चेहरे तो अध्यक्ष चुनती, अमित जोगी ने इस पद को उत्तराधिकार में ले लिया. जोगी से निर्देश लेना और जोगी पुत्र से आदेश लेने में फर्क तो था ही. पहले मनमुटाव हुआ और फिर दरारें पड़ती चली गईं, सिर्फ छाती फटना शेष रह गया था. वह भी हो गया. वरिष्ठ नेता धर्मजीत का पार्टी से निष्कासन हो गया. अपमानित धर्मजीत ने मोर्चा खोल दिया. भले ही जोगी कांग्रेस ने भारी भरकम टीम की घोषणा कर स्थिति संभालने की कोशिश की पर दिक्कत यह है कि इस टीम में वजनदार लोगों का टोटा है. अगर उत्तराधिकारी ही झेलना है तो राष्ट्रीय कांग्रेस में क्या बुराई है? कम से कम वह घर पर आकर बेइज्जती तो नहीं करेगा. पर किसी पार्टी से टूटकर अलग होने वाले, एक परिपाटी के तहत, अपनी मातृइकाई पर लांछन लगाते हैं. टूटे रिश्तों को क्विक फिक्स से जोड़ो या फेवीक्विक से, निशान तो रह ही जाता है. इसलिए अब इन विधायकों पर भाजपा डोरे डाल रही है. देखें आगे क्या होता है.
गुस्ताखी माफ: जोगी कांग्रेस का यह हश्र तो तय था
