मुंबई (एजेंसी)। महाराष्ट्र में सियासी उठापटक का दौर जारी है। शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे का दावा है कि 40 से ज्यादा विधायक उनके साथ असम के गुवाहाटी में हैं। इस बीच साथी शिवसैनिकों की बगावत को देखते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपना सरकारी आवास खाली कर दिया है। उन्होंने कहा है कि अगर विधायकों को उनसे शिकायत है तो वह सामने आकर कहे, मैं तुरंत इस्तीफा दे दूंगा। उनके इस बयान के बाद एकनाथ शिंदे ने बागी विधायकों की लिखी की एक चिी ट्विटर पर साझा की है, जिसमें शिवसेना प्रमुख पर एक के बाद एक कई बड़े आरोप लगाए गए हैं। इतना ही नहीं कुछ मौकों पर तो उनके लिए आपत्तिजनक शब्दों तक का इस्तेमाल किया गया है।

एकनाथ शिंदे ने जो चिट्ठी साझा की है, उसमें आखिर क्या है? क्यों इस चिी को शिवसेना परिवार के किसी मुखिया पर सीधे हमले के तौर पर देखा जा रहा है? इतना ही नहीं पूरी चिट्ठी में वे कौन से आरोप हैं, जिन्हें सीधे तौर पर ठाकरे परिवार से जोड़ा गया है?
बागी विधायकों की चिट्ठी में ये छह बड़े आरोप
- विधायकों लिए बंद थे उद्धव के बंगले के दरवाजे
चिट्ठी की शुरुआत में बागी विधायकों ने उद्धव पर सबसे बड़ा आरोप संपर्क न रखने का लगाया। इसमें कहा गया, कल वर्षा बंगले के दरवाजे सही मायने में सर्वसामान्य के लिए खुले। बंगले पर जो भीड़ हुई, उसे देखकर दिल खुश हो गया। यह दरवाजे पिछले ढाई साल से शिवसेना के विधायक यानी हमारे लिए भी बंद थे। विधायक के तौर पर उस बंगले में प्रवेश करने के लिए हमें आपके आजू-बाजू में रहने वाले (अपशब्दों का प्रयोग) लोगों की मनुहार करनी पड़ती थी, जो कभी चुनाव लड़कर चुनकर नहीं आए बल्कि विधानपरिषद और राज्यसभा में हमारे जैसे लोगों के कंधे पर चढ़कर पहुंचे हैं। शिवसेना का मुख्यमंत्री होते हुए भी उनकी ही पार्टी के विधायक होते हुए भी हमें कभी भी वर्षा बंगले में सीधे प्रवेश नहीं मिला। - विधायकों के बिना ही तैयार हो रही थी चुनावों की रणनीति
इस पत्र में आगे कहा गया, ये ही तथाकथित (चाणक्य क्लर्क) हमें दरकिनार कर राज्यसभा और विधान परिषद चुनावों की रणनीति बना रहे थे। उसका नतीजा क्या हुआ, यह पूरे महाराष्ट्र ने देखा है। - उद्धव कभी मंत्रालय गए ही नहीं
विधायकों ने आरोप लगाया है कि आमतौर पर मंत्रालय की छठी मंजिल पर मुख्यमंत्री सबसे मिलते हैं। लेकिन हमारे लिए तो छठी मंजिल का सवाल ही नहीं आया क्योंकि आप कभी मंत्रालय में गए ही नहीं। विधानसभा क्षेत्र के कामों के लिए, अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए, व्यक्तिगत समस्याओं के लिए सीएम साहेब को मिलना है, ऐसी विनती कई बार करने के बाद भी सीएम साहेब ने आपको बुलाया है, ऐसा संदेश कभी चाणक्य क्लर्कों (अपशब्दों का इस्तेमाल) की तरफ से आया नहीं। घंटों दरवाजे पर खड़े होकर इंतजार करवाया गया। चाणक्य क्लर्कों (अपशब्दों का इस्तेमाल) को फोन किया तो वे लोग फोन रिसीव नहीं कर रहे थे। अंत में निराश होकर हम वहां से निकल जाते। - कांग्रेस-राकांपा ने किया शिवसेना विधायकों के साथ अपमानजनक व्यवहार
तीन से चार लाख वोटरों में से जीतकर चुने गए हम पार्टी के विधायकों के साथ ऐसा अपमानजनक व्यवहार क्यों? यह हमारा सवाल है।
यह परेशानियां हम सभी विधायकों ने सहन की है। हमारी व्यथा, आपके आजू-बाजू के (अपमानजनक शब्द) लोगों ने कभी सुनने तक की जहमत नहीं उठाई। आप तक तो वह बात कभी पहुंचाई ही नहीं गई। इस समय हमारे लिए आदरणीय एकनाथ शिंदे साहेब का दरवाजा खुला था। और विधानसभा क्षेत्र की बुरी स्थिति, विधानसभा क्षेत्र की निधि, अधिकारी वर्ग, कांग्रेस-राष्ट्रवादी की ओर से हो रहा अपमान… हमारी यह सभी समस्याएं सिर्फ शिंदे साहेब ही सुन रहे थे और सकारात्मक रास्ता निकाल रहे थे। इस वजह से हम सभी विधायकों ने न्याय अधिकार के लिए यह निर्णय लेने को मजबूर किया। - आदित्य ठाकरे अयोध्या गए, पर शिंदे साहब को फोन कर हमें रोका गया
हिंदुत्व, अयोध्या, राम मंदिर यह मुद्दे तो शिवसेना के ही हैं न? अब आदित्य ठाकरे अयोध्या में गए तब आपने हमें अयोध्या जाने से क्यों रोका? आपने खुद फोन पर कर विधायकों से कहा कि अयोध्या नहीं जाना है। मुंबई एयरपोर्ट से अयोध्या के लिए रवाना हुए मेरे सहित अन्य विधायकों के लगेज भी चेक-इन हो गए थे। हम विमान में बैठने ही वाले थे कि आपने शिंदे साहेब को फोन कर बोला कि विधायकों को अयोध्या जाने मत दीजिए। जो गए हैं, उन्हें वापस लेकर आओ। शिंदे साहेब ने हमें तत्काल कहा कि सीएम साहेब का फोन है कि विधायकों को अयोध्या नहीं जाने देना है। राज्यसभा चुनावों में शिवसेना का एक भी वोट क्रॉस नहीं हुआ था तब विधान परिषद के चुनाव सामने आने पर हम पर इतना अविश्वास क्यों दिखाया गया? हमें रामलला के दर्शन क्यों नहीं करने दिए? - हमसे मुलाकात भी नहीं और कांग्रेस-रांकपा को निधि भी मिल रही थी
साहेब, जब हमें वर्षा बंगले पर प्रवेश नहीं मिल रहा था, तब हमारे सच्चे विरोधी कांग्रेस और राष्ट्रवादी के लोग आपसे नियमित मिल रहे थे। अपने विधानसभा के काम निपटा रहे थे। निधि मिलने के पत्र दिखाकर खुश हो रहे थे। भूमिपूजन और उद्घाटन कर रहे थे। आपके साथ खींचे गए फोटो सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे थे। उस समय हमारे विधानसभा क्षेत्र के लोग पूछते थे कि मुख्यमंत्री हमारे हैं फिर हमारे विरोधियों को निधि कैसे मिल रही है? उनके काम कैसे हो रहे हैं? आप हमसे मिल ही नहीं रहे थे, तब हम अपने मतदाताओं को क्या जवाब दें, यह सोचकर ही हम विचलित हो जाते।
इन विषम परिस्थितियों में भी शिवसेना के माननीय बालासाहेब ठाकरे, धर्मवीर आनंद दिघे साहेब का हिंदुत्व को आगे बढ़ा रहे एकनाथ शिंदे ने हमें अनमोल साथ दिया। प्रत्येक विषम परिस्थिति के लिए हमारे लिए उनका दरवाजा खुला था, आज भी है और आने वाले कल भी रहेगा, इसी विश्वास के साथ हम शिंदे साहेब के साथ हैं। कल आपने जो बोला, वह काफी भावुक था। लेकिन उसमें हमारे मूल प्रश्नों का जवाब नहीं मिला। इस वजह से हम अपनी भावनाओं को आप तक पहुंचाने के लिए यह भावनात्मक पत्र लिख रहे हैं।