भिलाई। जिले के चार अस्पतालों में पदस्थ सरकारी डॉक्टरों के द्वारा घोर लापरवाही बरती जा रही है। अपने फर्ज के प्रति नइंसाफी और कत्र्तव्यपरायणता को कोसो दूर छोड़ चुके डॉक्टरों ने अब रिपोर्ट बनाने में भी कोताही दिखाना चालू कर दिया है। डॉक्टरों के एैसे लापरवाही के कारण पुलिस विभाग को जहां कई जांच कार्यवाही के दौरान बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं बलात्कार के आरोपी अदालती कार्यवाही से बचते नजर आ रहें है। कुम्हारी, खुर्सीपार, नंदिनी थाना क्षेत्र के अंतर्गत आश्रित चिकित्सालयों में पदस्थ शासकीय डॉक्टरों के द्वारा दुष्कर्म के मामलों की रिपोर्ट लिखकर देने या फिर उनकी जांच परीक्षण करने में कोताही बरत रहें है जिसके कारण पीडि़ताओं को दर-दर भटकना पड़ रहा है वहीं उन्हें कई गंदे सवालों और परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। डॉक्टरों की एैसी लापरवाही और मनमानी के कारण दुष्कर्म पीडि़ता पुलिस तक जाने में हिचकिचा रही है। जिसके कारण जहां अपराधियों के हौसले बुलंद है। वहीं क्षेत्रीय थाना प्रभारियों को बड़े अधिकारियों की डांट तक खानी पड़ रही है। इस मामले की गंभीरता को थाना प्रभारी सहित सीएसपी विश्वास चंद्राकर के द्वारा स्वास्थ्य विभाग के रवैय्ये को लेकर डॉक्टरों के डायरेक्टर सहित प्रमुख अधिकारियों को पत्र लिखकर व्यवस्था को सुधारने की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में खुले तौर पर डॉक्टरों की लापरवाही को उजागर करते हुए बताया कि कुम्हारी पुलिस के द्वारा 19 वर्षीय बलात्कार पीडि़ता की शिकायत पर एक युवक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। अपराध दर्ज होने के पश्चात पीडि़ता को स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में ले जाया गया। जहां डॉक्टर की उपस्थिति न होने के कारण पीडि़ता को मुलायजा नहीं कराया जा सका। वहीं कुम्हारी थाना क्षेत्र के ही एक अन्य पीडि़ता को भी एैसी ही लापरवाही का सामना करना पड़ा जहां मामले की नाजुकता को देखते हुए पीडि़ता को सुपेला चिकित्सालय भेजा गया लेकिन वहां भी मौजूद डॉक्टर नदारद पाए गए। ठीक यही स्थिति नंदिनी थाना क्षेत्र में घटी जहां दुष्कर्म पीडि़ता के मुलायजा के लिए संबंधित थाना प्रभारी को चार महीने तक का इंतजार करना पड़ा। इस मामले में एसएसपी दुर्ग अजय यादव ने बताया कि कई थाना प्रभारी और सीएसपी ने पीडि़तों के जांच में देरी होने की शिकायत की है। दुष्कर्म पीडि़तों की मेडिकल जांच में स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था के कारण संबंधित अन्य कार्य प्रभावित हो रहें है। यदि एैसी अव्यवस्थाओं में सुधार नहीं किया गया तो इनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
कई बार एैसी स्थिति जिला चिकित्सालय दुर्ग में भी देखने को मिलती है जहां मौजूद डॉक्टरों के द्वारा थाने से संबंधित पीडि़तों के जांच में कोताही बरती जाती है। इस मामले की शिकायत संबंधित विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारियों और मंत्रियों के पास करने के बावजूद अब तक कोई कार्यवाही डॉक्टरों के खिलाफ नहीं हो पाती? जिसके कारण पीडि़तों और पुलिस विभाग के अधिकारियों में काफी रोष व्याप्त है। इस शिकायत की जानकारी जब सीएमएचओ डॉक्टर गंभीर सिंह को मिली तो उन्होंने अपने कर्मियों के बचाव में बताया कि पुलिस अधीक्षक से चर्चा तो जरूर हुई है लेकिन लिखित तौर पर कोई शिकायत अभी प्राप्त नहीं हुई है। डॉक्टरों की लापरवाही से मुझे अवगत कराया गया है। पुलिस अधीक्षक के द्वारा बताए गए गंभीर विषय को देखते हुए मैंने अपने जिला अस्पताल के सभी प्रभारियों को आदेशित किया है कि वे दुष्कर्म पीडि़ता के जांच परीक्षण में किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरतें वरना तत्काल कड़ा एक्शन लिया जाएगा।
हालांकि एैसे आदेशों और अपनी बातों को प्रेस के सामने रख तो दिया जाता है लेकिन उन बातों पर अमल करते हुए कभी भी डॉक्टरों को नहीं देखा गया है। मसनलन सवाल आज भी अपनी जगह खड़े हुए है कि क्या दुष्कर्म पीडि़ताओं के साथ डॉक्टर इसी तरह से मनमानी कर अपराधियों को सलाखों के पीछे जाने से रोकते रहेंगे।