कांकेर. माओवादियों की शोषण और दमनकारी नीति से परेशान होकर कांकेर में एक लाख की इनामी महिला नक्सली ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। उत्तर बस्तर डिवीजन की सक्रिय रावघाट एरिया कमेटी के पानीडोबीर एलओएस सदस्या पार्वती शोरी पिता ईतवारू राम शोरी उम्र 20 वर्ष निवासी ग्राम भोमरा थाना कोयलीबेड़ा ने एसपी कांकेर के सामने आत्मसमर्पण किया। पुलिस अधीक्षक सलभ कुमार सिन्हा ने बताया कि नक्सलियों के विरूद्ध चलाए जा रहे नक्सल उन्मुलन अभियान एवं शासन की पुर्नवास नीति से प्रभावित होकर कई नक्सली समाज की मूल धारा में लौटना चाहते हैं। नक्सलियों की खोखली विचारधारा, उनके शोषण, अत्याचार व हिंसा से तंग आकर सीपीआई माओवादी संगठन प्रतिबंधित माओवादी संगठन
के सदस्य अब हिंसा का रास्ता छोड़ रहे हैं।
दिया गया प्रोत्साहन राशि
महिला नक्सली पिछले तीन साल से संगठन की स्थाई सदस्य के रूप में कार्य कर रही थी। प्रदेश सरकार की नई इनाम पॉलिसी के तहत महिला नक्सली पर 1 लाख रुपए का इनाम घोषित था। पुलिस अधीक्षक सलभ कुमार सिन्हा ने आत्मसमर्पित महिला नक्सली को प्रोत्साहन राशि 10 हजार नगद प्रदान किया। एसपी ने बताया कि महिला नक्सली पिछले तीन साल से संगठन में कार्य कर रही थी। पूछताछ में बताया कि अब तक किसी बड़ी घटना में शामिल नहीं थी। उसके खिलाफ किसी भी थाने में मामला दर्ज नहीं है। एसपी ने कहा कि नक्सली विचारधारा को छोड़ अब लोग समर्पण कर रहे हैं।

तीन वर्ष पहले बनी नक्सली
महिला नक्सली ने बताया कि वर्ष 2019 में नक्सली संगठन के रावघाट एरिया कमेटी केएमएस प्रभारी रमशीला पोटाई द्वारा उसे जबरदस्ती भर्ती किया गया था। वर्ष 2021 में पानीडोबीर एलओएस की स्थायी सदस्य बनाए जाने के बाद से वह प्रतिबंधित माओवादी संगठन की सक्रिय सदस्य कार्य कर रही थी। तीन साल के अंदर ही उसे समझ में आ गया कि नक्सली खोखली विचारधारा के हैं। शोषण, अत्याचार, हिंसा करते आ रहे थे, परेशान होकर संगठन का साथ छोड़कर आत्मसमर्पण कर दिया।

जबरदस्ती बनाया जा रहा है नक्सली
अतिसंवेदनशील क्षेत्र में रहने वाले युवक युवतियों को लोभ लालच व धमकी देकर जबरदस्ती नक्सली अपने संगठन में जोड़कर शोषण, अत्याचार व हिंसा किया जा रहा है। पुलिस द्वारा चलाए जा रहे अभियान व शासन की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर ये नक्सली संगठन छोड़कर आत्मसमर्पण कर रहे हैं। नक्सलियों की खोखली विचारधारा से परेशान होकर करीब एक माह पहले भी इनामी महिला-पुरुष नक्सली ने शासन की पुर्नवास नीति से प्रभावित होकर हथियार के साथ आत्मसमर्पण कर दिया था।